राजनांदगांव

वेतन की लेटलतीफी से कर्जदार बने कर्मचारी, निगम ने सरकार से मांगी आर्थिक मदद
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 16 जुलाई। शहरी सरकार के पहिये माने जाने वाले कर्मचारियों की माली हालत दिन-ब-दिन खराब होती जा रही है। कारण है महीनों से कर्मचारियों को वेतन नहीं मिलना। तय समय पर तनख्वाह नहीं मिलने से कर्मचारी उधार की जिंदगी जी रहे हैं। वहीं घरेलू कामकाज के निपटारे के लिए कर्मचारी सूदखोरों के जाल में फंस गए हैं। यानी दैनिक जरूरतों के लिए खर्च का जुगाड़ कर्मचारी उधार लेकर कर रहे हैं। यही कारण है कि कर्मचारियों में मौजूदा कांग्रेस सरकार के प्रति आक्रोश भी पनप रहा है।
नगर निगम अपने कर्मचारियों को तनख्वाह देने के मामले में असक्षम हो गया है। आर्थिक रूप से निगम की हालत खराब हो गई है। नगर निगम में लगभग 700 कर्मचारियों को वेतन देने के लिए फंड नहीं है। इस बीच कर्मचारी परिवार चलाने के लिए लोगों से उधार लेकर कर्जदार बन गए हैं। सूदखोरों से पैसा लेकर कर्मचारी परिवार चला रहे हैं। इधर नगर निगम प्रशासन ने बिगड़ती आर्थिक हालत के मद्देनजर राज्य सरकार से 9 करोड़ रुपए मांगे हैं। इन रुपयों से कर्मचारियों का वेतन जारी किया जाएगा। नगर निगम हर महीने कर्मचारियों को लगभग ढाई करोड़ रुपए का वेतन जारी करता है। दो-तीन महीने से कर्मचारियों को तनख्वाह नहीं देने से निगम प्रशासन दबाव में है। निगम की हालत ऐसे वक्त में खराब हुई है, जब त्यौहारी सीजन का सिलसिला शुरू होने की कगार में है। त्यौहारों में एडवांस लेकर कर्मचारी अपना काम चलाते हैं।
बताया जा रहा है कि राज्य सरकार से दो महीने का चुंगीकर भी लंबित है। चुंगीकर के रूप में निगम को 26 लाख रुपए मिलते हैं। राजस्व वसूली में पिछडऩे के कारण भी कर्मचारियों को तनख्वाह के लाले पड़ गए हैं। नगर निगम में 450 नियमित और 300 से ज्यादा अनियमित कर्मचारी कार्यरत हैं। हर महीने नगर निगम को आला अफसरों से लेकर निचले पदों में कार्यरत कर्मियों को ढाई करोड़ रुपए तनख्वाह के रूप में भुगतान करना पड़ता है। कर्मचारियों में लगातार नाराजगी निगम प्रशासन के खिलाफ बढ़ रही है। राजनीतिक तौर पर कांग्रेस सरकार के लिए भी गुस्सा बढ़ता दिख रहा है। राज्य में कांग्रेस सरकार होने के बावजूद स्थानीय कांग्रेस की शहरी सरकार वेतन को लेकर संघर्ष की स्थिति में है। बहरहाल तय समय पर वेतन नहीं मिलने से कर्मचारियों में व्याप्त नाराजगी बढ़ती जा रही है। वहीं अफसरों ने तनख्वाह देने से एक तरह से हाथ भी खड़े कर दिए हैं।