राजनांदगांव

राजनांदगांव, 24 जुलाई। आप अगर मन की शांति चाहते हैं, आत्म उन्नति चाहते है तो अंतर यात्रा कर स्वयं को पहचानने की कोशिश करें। आप होते हुए भी नहीं होने का अनुभव करें। एकांत क्षण को आराधना साधना में लगायें। उक्त उद्गार शनिवार को अपने नियमित प्रवचन में जैन संत श्री हर्षित मुनि ने व्यक्त किए।
समता भवन में चल रहे प्रवचन में हर्षित मुनि ने कहा कि हम घर पर होते हुए भी नहीं होते हैं, दुकान में होते हुए भी नहीं होते हैं, क्योंकि हमारा मन कहीं और होता है। आपका मन बाहर विचरण करते रहता है। आप अंतर यात्रा करें और स्वयं को पहचानने की कोशिश करें। आप स्वयं को पहचानने की कोशिश करेंगे तो आपको मन की शांति मिल जाएगी। उन्होंने कहा कि शांति पाना, समाधि पाना इतना आसान नहीं होता, पर परिचय बहुत खतरनाक है। हम एक बार इसमें पड़े तो हम साधना की जितनी सीढ़ी चढ़े थे, उतने ही नीचे उतर जाएंगे। हमने बाहर की यात्रा तो बहुत कर ली कभी अंतर्मन की यात्रा करें। साधना करनी है तो एकांत क्षण जरूरी है। उक्त जानकारी विमल हाजरा ने दी।