राजनांदगांव

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तीन साल से एक भी मुठभेड़ नहीं, पड़ोसी राज्य गढ़चिरौली कामयाबी के शिखर पर
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 24 जुलाई। नक्सल मोर्चे में मानपुर पुलिस सफलता के लिए लंबा इंतजार कर रही है। वहीं पड़ोसी राज्य महाराष्ट्र की गढ़चिरौली पुलिस कामयाबी के शिखर पर है। गुजरे तीन साल में मानपुर पुलिस नक्सल शव तो दूर मुठभेड़ में नक्सलियों को घेरने के लिए तरस रही है। पड़ोसी जिले में नक्सलियों के बड़े कैडर सुरक्षाबलों के हत्थे चढ़ गए लेकिन मानपुर पुलिस को भनक तक नहीं लगी।
मानपुर पुलिस सीमा पर मुस्तैद होने का जरूर दावा कर रही, पर नक्सलियों की आवाजाही और लोगों से मेल-मुलाकात को रोकने की दिशा में व्यापक कदम उठाने में पुलिस नाकाम रही है। राजनांदगांव जिलें को यह दक्षिणी इलाका सरहदी जिलों से सटा हुआ है। मानपुर के नाम पर नक्सलियों को डिवीजन चल रहा है। अंदरूनी इलाको में नक्सल दलम को वजूद बना हुआ है। यह दीगर बात है कि नक्सली गतिविधियां खुले तौर पर भले ही नियंत्रित दिख रही है, लेकिन असल में नक्सल संगठन की मौजूदगी से नक्सल खौफ बरकरार है।
नक्सल चहलकदमी का पर काबू पाने के मामले में मानपुर पुलिस की रूचि हाल ही के वर्षो में घटती दिख रही है। मानपुर के महाराष्ट्र और कांकेर जिलें की सीमा पर नक्सलियों की दबे पांव धमक बनी हुई है। मदनवाड़ा-औंधी के अलावा मोहला दलम इलाके में सक्रिय है। साथ ही नक्सल विचारधारा से जुड़ी नाट्य मंडली भी लोगों के बीच अपनी पकड़ बनाए हुए है। दरअसल गुजरे तीन साल में नक्सलियों ने मानपुर क्षेत्र में हिंसक वारदातों और बैनर-पोस्टर फेंककर अपनी धमक बनाए रखा है। नक्सल मोर्चे में एक वक्त ऐसा रहा जब फोर्स ने नक्सलियों को आसानी से ढ़ेर कर दिया। नक्सलियों को लगातार जवानों ने मौका देखकर मार गिराया उसी का प्रतिफल रहा कि पल्लेमाड़ी दलम का सफाया हो गया। इसके बाद से मौजूदा पुलिस अफसरों को सफलता के लिए लंबा समय लग गया।
गढ़चिरौली में इसी अवधि में नक्सलियों के लगभग 40 से ज्यादा साथी पुलिस की बंदूक का शिकार बने। वही मुठभेड़ और गिरफ्तारी भी गढ़चिरौली में लगातार हुआ। आत्मसमर्पण के मामले में भी पड़ोसी पुलिस की रफ्तार बनी रही। नक्सल आतंक से मुक्ति की आस लगाए बैठे मानपुर क्षेत्र की जनता को पुलिस की कमजोर पकड़ से सुरक्षा के मामले में चिंतित कर दिया है। पिछले तीन साल में मानपुर पुलिस नक्सलियों की तय रूटों पर कई बार घात लगाए बैठी रही। नक्सली भी पुलिस को चकमा देने में कामयाब रहे। नक्सल प्रदर्शन के लिहाज से कम से कम गुजरा दो साल मानपुर पुलिस ने लिए निराशाभरा रहा।
बताया जाता है कि राज्य पुलिस के शीर्ष अफसर मानपुर पुलिस के खराब प्रदर्शन से नाखुश है। हालांकि पुलिस का दावा है कि नक्सल मोर्चे में जवानों की मेहनत में कमी नही है। इस संबंध में मानपुर एसडीओपी हरीश पाटिल ने ‘छत्तीसगढ ’ से कहा कि फोर्स लगातार सघन रूप से गश्त कर रही है। सूचना में देरी और कुछ व्यवहारिक दिक्कतों के कारण नक्सली पुलिस के हाथ से बच रहे है। एसडीओपी का कहना है कि जल्द ही पुलिस को सफलता मिलेगी। इस बीच मानपुर पुलिस नक्सली मामलो में लगातार कमजोर पड़ती दिख रही है। पुलिस के लिए नक्सलियों तक पहुंचना टेड़ी खीर साबित हो रहा है। जबकि नक्सली अपनी धाक जमाए रखने के लिए बकायदा जंगलो में सक्रिय है।
नक्सल के बजाए दीगर मामलों में ध्यान
मानपुर पुलिस को राज्य में बेहतर नक्सल मामलों के निपटारा करने के लिए जाना जाता है। पिछले कुछ सालों से नक्सली के बजाए पुलिस का ध्यान दीगर मामलों में बढ़ा है। स्वाभाविक रूप से पुलिस नक्सली समस्या से परे दूसरें मामलों की दिलचस्पी से आला अफसर नाराज है। मानपुर इलाके में अवैध शराब, सट्टा और जुआं की गतिविधि बढ़ी है। इस मामलें को लेकर मानपुर डिवीजन में पिछले दिनों राज्य के संसदीय सचिव व क्षेत्रीय विधायक इंद्रशाह मंडावी ने खुलेतौर पर प्रदर्शन कर पुलिस को आईना दिखाया था। प्रदेश सरकार के उपमंत्री का खुलकर ऐसे मामलो को लेकर प्र्रदर्शन करना पुलिस पर सवाल खड़ा करना है। मानपुर इलाके में शराब की अवैध बिक्री और सटोरियों के जमावड़े से आला अफसर भी वाकिफ लेकिन नक्सल मामलो में चुप्पी साधनें को लेकर गंभीर सवाल भी अफसरों की परेशानी को बढ़ा रहा है।