राजनांदगांव

बोल-बम के जयघोष संग शिवालयों में जलाभिषेक
18-Jul-2022 12:32 PM
बोल-बम के जयघोष संग शिवालयों में जलाभिषेक

  सावन के पहले सोमवार सडक़ में दिखा कांवरियों का जत्था  
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 18 जुलाई।
सावन मास के पहले सोमवार को भक्तों ने भगवान भोलेनाथ का जलाभिषेक कर बोलबम के जयघोष किए। शिवनाथ नदी से जल लेकर कांवरिये शिवालयों में पहुंचे। करीब एक माह के सावन मास के पहले सोमवार को मंदिरों में हर तबके ने शिवलिंग में जल अर्पित किया। सावन के महीने को भगवान शिव की आराधना के लिए माना जाता है।

लोकमान्यता है कि सावन मास में भगवान शिव की पूजा-अर्चना करने से खुशहाली और मनचाही इच्छाएं पूरी होती है। शिवालयों में पहुंचे भक्तों ने बोलबम के जयघोष किए। मंदिरों में युवतियों की भी बड़ी तादाद रही। इससे पहले कांवरियों का अलग-अलग जत्था जल लेकर शहर के शिव मंदिरों में जल अभिषेक करने पहुंचा। शिवनाथ नदी के जल से शिवलिंग का स्नान कराने के लिए बड़ी संख्या में भक्त कांवरिये बनकर पहुंचते हैं।

कांवरियों की जुबां से सुबह बोलबम की गूंज सुनाई दी। भगवा पोशाक में कांवर लेकर चलते भक्तों का उत्साह देखकर वातावरण भक्तिमय हो गया। श्रद्धालुओं ने मंदिरों में पहुंचकर सुबह से घंटों पूजा-अर्चना की। परिजनों के साथ लोगों ने जल अर्पित कर अपनी मनोकामना पूर्ण करने के लिए भगवान शिव से कामना की। पिछले कुछ सालों में शिवभक्तों की तादाद में तेजी से बढ़ोत्तरी हुई है। युवा वर्ग भी भक्ति के वातावरण में पूजा-अर्चना करने मंदिरों में पहुंचने लगा है। वहीं उम्रदराज लोग मंदिरों के अंदर और बाहर बैठकर भगवान शिव की स्तुति गान करते हैं। सावन मास में घरों में भी धार्मिक आयोजन होंगे। भगवान शिव की अलौकिक गाथाओं से जुड़ी कथाओं का जहां वाचन करेंगे। वहीं पार्वती-शिव की महिमा का भी गान करेंगे।

महिलाओं में भी सावन मास के दौरान कठिन व्रत रखने के लिए एक अलग उत्साह दिखाई दे रहा है। इधर शिवालयों में भगवान भोलेनाथ की आराधना के लिए विशेष बंदोबस्त किए किए गए हैं। मंदिर समितियों द्वारा भक्तों से कोरोना प्रोटोकाल और मास्क को अनिवार्य किया गया है। आज सावन मास के पहले सोमवार को भगवान महादेव की आराधना जिलेभर के मंदिरों व देवालयों में हुई। ऐसी मान्यता है कि भगवान शिव की आराधना के लिए यह महीना सबसे पवित्र होता है, इसलिए माहभर घरों से लेकर अन्य सार्वजनिक स्थलों में भगवान शिव की स्तुतिगान होती रहती है। सावन महीने को तप और उपवास के लिए भी जाना जाता है।
 


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