राजनांदगांव

छलकने लगे बैराज, जलाशयों का भराव शत-प्रतिशत के करीब
18-Jul-2022 12:08 PM
छलकने लगे बैराज, जलाशयों का भराव शत-प्रतिशत के करीब

मोंगरा, प्रधानपाठ, सूखानाला बैराज से छोड़ा जा रहा पानी, छिंदारी-मडियान बांध भी भरा
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 18 जुलाई।
इस साल सावन लगते ही मानसून ने मेहरबानी दिखाई है। जिले में लगातार हो रही बारिश से बांध और बैराज के सूखे को दूर कर दिया है। पिछले तीन दिनों से तेज और मध्यम बारिश से जिले के आधा दर्जन बैराज समेत जलाशयों में पानी का भराव क्षमता के करीब पहुंच गया है।

मोंगरा बैराज के अलावा सूखानाला और घुमरिया बैराज से लगातार पानी छोडऩे का असर शिवनाथ नदी पर पड़ा है। शिवनाथ का उफान के साथ बहाव तेज हो गया है। स्थानीय मोहारा स्थित पुराना पुल जलमग्न हो गया है। वहीं शिवनाथ का बैराया रूप देखने के लिए लोगों का बड़े पुल में जमावड़ा बढ़ गया है। शिवनाथ की रफ्तार देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि सहायक नदियों की स्थिति भी उफान मार रही है। खैरागढ़ अनुभाग के प्रधानपाठ बैराज में भी लगातार पानी छोड़ा जा रहा है। जिससे आमनेर भी छलक रही है।

मोंगरा बैराज के 10 में से 2 गेट से सोमवार को 8 हजार क्यूसेक पानी छोड़ा गया। रविवार को दिनभर हुई बारिश के कारण बैराज से 16 हजार क्यूसेक पानी छोड़ा गया।  बारिश थमने के बाद पानी छोडऩे में 50 फीसदी कटौती सोमवार को कर दी गई। इधर प्रधानपाठ बैराज के दो गेट से पानी रिलीज किया जा रहा है। प्रधानपाठ बैराज में कुल 3 गेट हैं। जिसमें दो गेट से लगातार पानी छोड़ा जा रहा है। इधर सूखानाला और घुमरिया बैराज से 1500 क्यूसेक पानी छोड़ा जा रहा है। इस तरह बैराजों में पानी की आवक तेज होने से नदियों में भी इसका असर पड़ा है।

भारी बारिश के कारण तीन दिनों में ज्यादातर जलाशय भी अपनी क्षमता के अनुरूप भराव के करीब पहुंच गए हैं। एक जानकारी के मुताबिक छिंदारी बांध में 80  फीसदी भराव हो गया है। सावन  का महीना बारिश के लिहाज से बैराज और बांधों के लिए अनुकूल हो गया है। छुईखदान जलसंसाधन के अधीन पैलीमेटा जलाशय भी 70 फीसदी से अधिक भर गया है। इसके अलावा राजनांदगांव जलसंसाधन के अधीन मटियामोती और मडियान जलाशय शत-प्रतिशत भर गए हैं। वहीं ढारा जलाशय अभी भराव से काफी दूर है।

उक्त जलाशय में सिर्फ 35 फीसदी भराव हुआ है। जिले में लघु और मध्यम बैराजों में भी भराव  तेजी से हो रहा है। पनियाजोब जलाशय भी छलकने की दिशा में आगे बढ़ रहा है। बताया जा रहा है कि कैचमेट एरिया से पानी की आवक होने का फायदा जलाशयों को हुआ है। अरसे बाद सावन  के शुरूआती दिनों में झड़ी से बांध और जलाशयों में जलस्तर बढ़ा है।
 


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