राजनांदगांव

जिस घर में प्रेम है, वहां धन और यश की होती है बारिश - ललितप्रभ सागर
29-Jun-2022 2:56 PM
जिस घर में प्रेम है, वहां धन और यश की होती है बारिश - ललितप्रभ सागर

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 29 जून।
राष्ट्रसंत श्री ललितप्रभ सागर जी महाराज ने कहा कि किसी भी घर की ताकत दौलत और शोहरत नहीं, प्रेम और मोहब्बत हुआ करती है। प्रेम के बिना धन और यश व्यर्थ है, जिस घर में प्रेम है, वहां धन और यश अपने आप आ जाता है।
उन्होंने कहा कि जहां सास-बहू प्रेम से रहते हैं, भाई-भाई सुबह उठकर आपस में गले लगते हैं और बेटे बड़े बुजुर्गों को प्रणाम कर आशीर्वाद लेते हैं, वह घर धरती का जीता-जागता स्वर्ग होता है। उन्होंने कहा कि अगर भाई-भाई साथ है तो इससे बढक़र मां-बाप का कोई पुण्य नहीं है और मां-बाप के जीते जी अगर भाई-भाई अलग हो गए तो इससे बढक़र उस घर का कोई दोष नहीं है।

संतप्रवर श्री जैन श्वेतांबर मूर्तिपूजक संघ द्वारा सदर बाजार स्थित जैन बगीचा में आयोजित चार दिवसीय जीने की कला प्रवचन माला के तीसरे दिन हजारों श्रद्धालुओं को घर को कैसे स्वर्ग बनाएं विषय पर संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि उन्होंने कहा कि अगर आप संत नहीं बन सकते तो सद्गृहस्थ बनिए और घर को पहले स्वर्ग बनाइए, जो अपने घर-परिवार में प्रेम नहीं घोल पाया वह भला समाज में क्या प्रेम रस घोल पाएगा, जो अपने सगे भाई को सहारा बनकर ऊपर उठा न पाया, वह समाज को क्या ऊपर उठा पाएगा। संतश्री ने कहा कि ईंट, चूने, पत्थर से मकान का निर्माण होता है, घर का नहीं। जहां केवल बीबी-बच्चे रहते हैं वह मकान घर है, पर जहां माता-पिता और भाई-बहन भी प्रेम और आदरभाव के साथ रहते हैं। वही घर परिवार कहलाता है। संतश्री ने कहा कि लोग सातों वारों को धन्य करने के लिए व्रत करते हैं, अच्छा होगा वे आठवां वार परिवार को धन्य करेए सातों वार अपने आप सार्थक हो जाएंगे।


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