राजनांदगांव

बेखौफ लहराया तिरंगा
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 18 अगस्त। आजादी के मुखर विरोधी रहे नक्सलियों की धाक मदनवाड़ा में बीते जमाने की बात हो गई। देश की आजादी की 75वीं वर्षगांठ का मौका इस बार बेहद ही खास रहा। नक्सलियों की तूती बोलती इस इलाके में तिरंगा जहां शान से लहराया। वहीं आजादी के जश्न के मुबारक अवसर पर मदनवाड़ा खेलों के रोमांच में डूबा रहा। मदनवाड़ा में नक्सलियों की पकड़ लगातार पुलिस की सख्ती के चलते कमजोर हो रही है। मदनवाड़ा का नाम सुनकर नक्सलियों के खौफ से लोग सहम जाते थे, अब पुलिस ने पूरे इलाके को नक्सलियों के चंगुल से लगभग मुक्त कर दिया है।
75वीं आजादी के जश्न में दिनभर थाना परिसर के अलावा गांवों में खेलों का आयोजन किया गया। नक्सलियों की धमक को फीका करते हुए ग्रामीणों ने भी सुरक्षाबलों के साथ संयुक्त रूप से राष्ट्रीय पर्व मनाया। मदनवाड़ा के थाना परिसर में एक वक्त नक्सलियों की शहीद स्मारक हुआ करती थी। पुलिस ने नक्सलियों से चुनौती लेते हुए शहीद स्मारक को तोडक़र एक नए थाना का निर्माण किया। मदनवाड़ा थाना क्षेत्र में राष्ट्रीय पर्व और दूसरे आयोजनों में नक्सली हमेशा खलल पैदा करते थे। बताया जा रहा है कि पुलिस और जनता के बीच गांवों में तालमेल बढऩे के साथ जागरूकता भी लोगों में बढ़ी है। राष्ट्र के समग्र विकास में ग्रामीण अपनी भूमिका को बखूबी समझने लगे हैं। लिहाजा शिक्षा और दूसरी बुनियादी जरूरतों के लिए ग्रामीणों ने नक्सलियों से दूरी बना ली है।
नक्सल विचारधारा को राष्ट्र विरोधी गतिविधि होने का आभास अब ग्रामीणों को हो चुका है। इस बीच मदनवाड़ा में पुलिस अफसरों और पैरामिलिट्री फोर्स आईटीबीपी ने संयुक्त ध्वजारोहण किया। दोनों फोर्स देशभक्ति से ओतप्रोत होकर इलाके को नक्सल भय से दूर ले जाने में भी कामयाब हुए हैं। थाना प्रभारी शशांक पौराणिक ने ‘छत्तीसगढ़’ से कहा कि काफी समय बाद राष्ट्रीय ध्वज को फहराने के साथ-साथ ग्रामीणों ने पुलिस द्वारा आयोजित खेलों के प्रति अपनी रूचि जाहिर की है। इसे नक्सल विचारधारा का सटीक जवाब माना जा सकता है। मदनवाड़ा के अलावा दूसरे गांव में भी पुलिस की प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष मौजूदगी के चलते राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा शान से लहराया।
सामुदायिक पुलिसिंग से पुलिस-ग्रामीण रिश्ते हुए मजबूत
सामुदायिक पुलिसिंग के जरिये मदनवाड़ा पुलिस ने ग्रामीणों के बीच अपनी गहरी पैठ बना ली है। ग्रामीणों के जीवनस्तर को ऊंचा करने के अलावा उनकी आवश्यकता को समझते हुए सामुदायिक पुलिसिंग से फोर्स और जनता के आपसी रिश्ते मजबूत हुए हैं। पुलिस को देखकर राह बदलने वाले ग्रामीण अब उनके साथ न सिर्फ प्रत्यक्ष रूप से रूबरू हो रहे हैं, बल्कि अपनी दुख-तकलीफों को भी साझा कर रहे हैं। सामुदायिक पुलिसिंग के साथ-साथ मदनवाड़ा में शिक्षा की तकनीकी क्रांति का भी आगाज हुआ है। पुलिस की मदद से विद्यार्थियों को कम्प्यूटर के ज्ञान से दक्ष किया जा रहा है। वहीं महिलाओं और युवतियों को भी शिक्षा-दीक्षा के साथ-साथ घरेलू कामकाज के गुर सिखाए जा रहे हैं।