रायपुर
रायपुर, 18 नवंबर। छत्तीसगढ़ राज्य गठन के बाद से शासकीय कार्यालयों, विद्यालयों और संस्थानों में मुद्रलेखन (टाइपिंग मशीन) परीक्षा पास करना अनिवार्य रखा गया है, जबकि वर्तमान में किसी भी कार्यालय में टाइपराइटर का उपयोग नहीं होता और सभी काम कंप्यूटर आधारित हो चुके हैं। इसी विसंगति को दूर करने की मांग को लेकर कर्मचारी नेता विजय कुमार झा ने मुख्यमंत्री एवं मुख्य सचिव को पत्र लिखा है। विजय झा ने कहा कि पिछले 10-15 वर्षों में तृतीय श्रेणी के जिन पदों पर नियुक्तियाँ हुई हैं, विशेषकर अनुकंपा नियुक्ति पाने वाले परिवारों के नियुक्ति आदेशों में मुद्रलेखन परीक्षा एवं कंप्यूटर परीक्षा उत्तीर्ण करने की शर्त जोड़ी गई है। जबकि राज्य में पिछले कई वर्षों तक मुद्रलेखन या शॉर्टहैंड परीक्षा आयोजित ही नहीं हुई। अब जब परीक्षाएँ हो रही हैं तो वे भी कंप्यूटर पर ही ली जा रही हैं। उन्होंने कहा कि जब संपूर्ण काम कंप्यूटर पर हो रहा है, तब पीजीडीसीए या कंप्यूटर डिप्लोमा को ही मान्य किया जाना चाहिए। राज्य के किसी भी कार्यालय में अब टाइपराइटर उपलब्ध नहीं हैं—वे या तो भंडार गृहों में पड़े-पड़े बेकार हो चुके हैं या कबाड़ में बेचे जा चुके हैं। ऐसी स्थिति में मुद्रलेखन परीक्षा उत्तीर्ण प्रमाण पत्र की शर्त अब अप्रासंगिक हो गई है। झा ने सामान्य प्रशासन विभाग से मांग की है कि मुद्रलेखन परीक्षा या कौशल परीक्षा की अनिवार्यता को समाप्त करते हुए तृतीय श्रेणी लिपिकीय संवर्ग के भर्ती नियमों में स्थायी संशोधन किया जाए।


