रायपुर
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 12 अक्टूबर। आल इंडिया इंश्योरेंस एम्प्लाइज एसोसिएशन ने कैबिनेट की नियुक्ति समिति द्वारा हाल ही में जारी किए गए कार्यकारी आदेश के खिलाफ अपना विरोध दर्ज कराया है। इसमें एलआईसी और सार्वजनिक क्षेत्र की सामान्य बीमा कंपनियों और भारतीय स्टेट बैंक सहित सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में पूर्णकालिक निदेशकों , प्रबंध निदेशकों, कार्यकारी निदेशकों और अध्यक्षों की नियुक्ति के लिए संशोधित समेकित दिशानिर्देशों को मंजूरी दी गई है।
ए आई आई ई ए के संयुक्त सचिव धर्मराज महापात्र ने सरकार के इन कदमों का तीव्र विरोध करते हुए कहा कि यह कदम राष्ट्रीयकरण की मूल भावना पर प्रहार करता है, जिसने यह सुनिश्चित किया कि बैंकिंग और बीमा निजी लाभ के बजाय जनहित में काम करें। संशोधित दिशानिर्देश इन अत्यंत सफल सार्वजनिक क्षेत्र के वित्तीय संस्थानों में निजी प्रभाव और अंतत: निजीकरण का द्वार खोलते हैं। ये लोगों की बचत की सुरक्षा को खतरे में डालने के अलावा राष्ट्र की आर्थिक संप्रभुता के लिए भी खतरा पैदा करेंगे। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक और बीमा कंपनियाँ समावेशी विकास और सामाजिक सुरक्षा की रीढ़ रही हैं। उनके सार्वजनिक चरित्र को कमजोर करने या संसद और जनता से नियंत्रण हटाने का कोई भी प्रयास अस्वीकार्य है। इन महत्वपूर्ण संस्थानों के शीर्ष पदों को निजी कॉर्पोरेट क्षेत्र के बाहरी लोगों के लिए पिछले दरवाजे से प्रवेश के माध्यम से खोलने से इन संस्थानों में पहले से ही अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कर रहे अधिकारियों का मनोबल गिरेगा ।
और आंतरिक करियर प्रगति में बाधा उत्पन्न होने की संभावना होगी। एपीएआर-आधारित योग्यता मूल्यांकन को हटाने और व्यवहार मूल्यांकन के लिए निजी मानव संसाधन एजेंसियों को नियुक्त करने से संसद द्वारा निर्धारित नियुक्ति ढाँचे में आमूलचूल परिवर्तन आएगा। इसलिए ए आई आई ई ए इन संशोधित दिशानिर्देशों को तत्काल वापस लेने की मांग करती है ।


