रायपुर

तत्काल वितरण के अलावा अन्य प्रयोजन के लिए राशि निकाल कर रखना गंभीर अनियमितता
19-Apr-2025 7:31 PM
 तत्काल वितरण के अलावा अन्य प्रयोजन के लिए राशि निकाल कर रखना गंभीर अनियमितता

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

रायपुर, 17 अप्रैल। वित्त सचिव ने बजट व्यय के लिए कुछ और कड़े निर्देश जारी किया है। इसके मुताबिक तत्काल वितरण के अलावा किसी भी अन्य प्रयोजन के लिए राशि निकाल कर रखना गंभीर अनियमितता मानी जाएगी।इसके लिए संबंधित दोषी अधिकारी पर कार्रवाई की जाएगी। श्री बंसल ने सभी एसीएस,पीएस,सचिव, विभागाध्यक्षों को जारी पत्र में कहा है कि  कोई भी राशि कोषालय से तब तक आहरित नहीं की जाएगी, जब तक की तत्काल वितरण किया जाना अपेक्षित न हो। मांग की प्रत्याशा में या बजट अनुदानों के लैप्स सरेंडर होने से बचाने कोषालय से राशि निकालना एक गंभीर अनियमितता है तथा ऐसे आहरण के लिए दोषी व्यक्ति अनुशासनिक कार्यवाही का भागी होगा।

बंसल ने यह भी चेताया है कि कतिपय विभाग कुछ मदों में बजट से व्यय के लिए उपलब्ध राशि से अधिक राशि के दायित्व (देनदारी)निर्मित कर लेते है एवं भुगतान के लिए वित्त विभाग से अत्तिरिक्त राशि की मांग करते  हैं। यह प्रक्रिया उचित नहीं है। ऐसे प्रकरणों में जहां बजट प्रावधान से अधिक राशि के व्यय की स्वीकृति आवश्यक हो, प्रशासकीय विभाग के माध्यम से अधिक देनदारी तय करने उसके कारण एवं औचित्य सहित वित्त विभाग को प्रस्ताव भेजकर पूर्वानुमति लिया जाए । ऐसा नहीं करने की स्थिति में  वित्त विभाग बाध्य नहीं होगा।

 बंसल ने यह  कहा है कि कुछ प्रकरणों में विभागीय कार्यालय बिना वित्त विभाग की पुर्वानुमति के वाहन किराये पर लेकर अतिरिक्त राशि की मांग वित्त विभाग से की जाती है। इसी प्रकार सडक़ों के संधारण एवं अनुरक्षण मदों में भी बजट प्रावधान से अधिक राशि की स्वीकृत्तियां जारी कर अतिरिक्त देनदारी निर्मित किये जाते हैं। यह वित्तीय अनुशासन का उल्लंघन है  भविष्य में इसकी पुनरावृत्ति न की जाये।

ऐसे कार्य जिनकी प्रशासकीय स्वीकृति के 3 वर्ष पूर्ण होने के उपरांत भी कार्य अप्रारंभ है एवं उसमें कोई व्यय नहीं किया गया है, ऐसे कार्यों की पुन: प्रशासकीय स्वीकृति प्राप्त किये जाने का प्रावधान है।

ऐसे कार्यों की आवश्यकता का पुन: परीक्षण करते हुए प्रथमत: उनको नवीन लागत्त एवं स्कोप आफ वर्क के अनुरूप अद्यतन विस्तृत परियोजना प्रतिवेदन (डीपीआर) पर आधारित लागत के साथ पुन: परीक्षित नवीन मद के रूप में बजट में शामिल कराते हुए प्रशासकीय स्वीकृति जारी किया जाए।


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