रायपुर

एनआईटी , यूनिसेफ और कॉरपोरेट्स ने सामाजिक परिवर्तन को आगे बढ़ाने एक मंच पर आए
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 11 मई। एनआईटी) रायपुर और यूनिसेफ ने संयुक्त रूप से छत्तीसगढ़ नज समिट 2.0 की मेजबानी की। अब छत्तीसगढ़ के प्रमुख कॉर्पोरेट घराने राज्य में सामाजिक परिवर्तन लाने के लिए साथ काम करेंगे। इन कंपनियों से कॉरपोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी (सीएसआर) फंड के तहत मिली राशि का उपयोग कुपोषण, एनीमिया और बाल मृत्यु दर को कम करने के साथ-साथ परिवारों और समुदायों के बीच व्यवहार परिवर्तन को बढ़ावा देने में सरकार को समर्थन देने के लिए किया जाएगा।
कॉरपोरेट्स, यूनिसेफ और एनआईटी ने संयुक्त रूप से पहला अभिनव मंच, थिंक-सो लॉन्च किया ।
इस फोरम का उद्देश्य ज्ञान साझा करने की सुविधा बढ़ाना, सर्वोत्तम प्रथाओं को बढ़ावा देना, सक्रिय कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (सीएसआर) निकायों के बीच सहयोग को प्रोत्साहित करना और बुनियादी ढांचे से परे उत्तम समाधान बनाने के लिए कार्यक्रमों की योजना बना के सकारात्मक सामाजिक प्रभाव को बढ़ावा देना है।
बी आई यू नोडल इंचार्ज डॉ. गोवर्धन भट्ट ने यूनिसेफ के साथ 2015 से एन आई टी रायपुर की साझेदारी, नज समिट और बीआईयू की जानकारी दी।
मुख्य अतिथि आनंद शेखर, अतिरिक्त निदेशक, नीति आयोग ने कहा, यह एक अभूतपूर्व समय है जब भारत में आम नागरिक के विकास के लिए उच्च स्तर की इच्छाशक्ति है, जहां समुदाय का विकास सर्वोपरि है। उन्होंने लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए नागरिक समाज संगठन, सरकार और शिक्षा जगत के बीच उत्तम तालमेल की आवश्यकता पर बल दिया।
छत्तीसगढ़ में यूनिसेफ के प्रमुख जॉब जकारिया ने कहा कि कॉर्पोरेट घराने समुदाय में व्यवहार परिवर्तन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। छत्तीसगढ़ में सीएसआर फंड प्रति वर्ष लगभग 1000 करोड़ रुपये है। यदि इस निधि का एक हिस्सा व्यवहार परिवर्तन और सामुदायिक सहभागिता के लिए उपयोग किया जाता है, तो राज्य में कुपोषण, एनीमिया और बाल मृत्यु दर में काफी कमी आएगी। यह स्तनपान, साबुन से हाथ धोना, पूर्ण टीकाकरण और सुरक्षित पानी के उपयोग जैसे प्रमुख व्यवहारों को भी बढ़ावा देगा।
एनआईटी के निदेशक डॉ. एन वी रमना राव ने प्रतिभागियों को उन क्षेत्रों और जरूरतों को साझा करने के लिए आमंत्रित किया जहां प्रौद्योगिकी सामाजिक परिवर्तन के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।
एक दिवसीय कार्यक्रम में विभिन्न कॉरपोरेट्स, एन जी ओ, सिविल सोसायटी, शिक्षाविदों और विकास पेशेवरों के 150 प्रतिभागियों ने भाग लिया। इनके साथ वेदांता , हीरा , अल्ट्राटेक, आईबी , जिंदल जैसे कॉर्पोरेट कंपनियों के प्रतिनिधियों ने अनुभव-साझा किया।
सरकार के पास सीएसआर फंड के आंकड़े नहीं हैं
यहां बता दें कि राज्य सरकार के पास सीएसआर मद में मिलने वाली राशि के अधिकृत आंकड़े नहीं हैं। वहीं यूनीसेफ ने एक बड़ा खुलासा किया है।
बीते बजट सत्र में विधायक भावना बोहरा, सुशांत शुक्ला, द्वारिका यादव और अन्य के प्रश्नों पर उद्योग मंत्री लखन देवांगन ने सदन में कहा था। उन्होंने यह भी बताया था कि इस मद की राशि उद्योग सीधे स्थानीय लोगों के प्रस्ताव पर खर्च करते हैं। इसमें सरकार या विभाग का कोई नियंत्रण नहीं रहता। विधायकों ने राज्य सरकार, विभाग या जनप्रतिनिधियों की भूमिका तय करने केंद्र को पत्र लिखने कहा था। क्योंकि वर्तमान व्यवस्था से इस बात का संदेह पैदा होता है कि उद्योग सीएसआर मद में खर्च कर रहे हैं केवल टैक्स बचाने कागजों में दर्शाते हैं।