रायगढ़

हिंडाल्को कंपनी पर मनमानी का आरोप
14-Jan-2024 2:39 PM
हिंडाल्को कंपनी पर मनमानी का आरोप

मकान तोडऩे के 7 साल बाद भी नहीं दिया मुआवजा, एसडीएम का आदेश भी बेअसर

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायगढ़,14 जनवरी।
तमनार क्षेत्र स्थित हिंडालको कंपनी पर मनमानी के आरोप लगे हैं। प्रशासनिक आदेश को भी नहीं माना जा रहा है। जिससे कोल माइंस से प्रभावित ग्रामीणों में आक्रोश है। दरअसल, गारे पेलमा 4गुना4 कोल माइंस हिंडालको इंडस्ट्रीज प्राइवेट लिमिटेड को आवंटित है। हिंडाल्को कंपनी द्वारा गांव,जंगल उजाडऩे के बाद कोयला उत्खनन किया जा रहा है, लेकिन मकान तोडऩे के 7 साल बाद भी एक परिवार आज तक मुआवजा राशि के लिए भटक रहा है।

कोंडकेल निवासी तीर्थानंद पटेल द्वारा मुख्यमंत्री को लिखे गए मुआवजे की मांग पत्र में बताया गया है कि ग्राम कोडकेल के ही बनखेता मोहल्ला में उसका मकान था। जिसे गारे पेलमा कोल ब्लॉक के हिंडाल्को इंडस्ट्रीज कंपनी द्वारा अवैधानिक रूप से बीते एक अप्रैल 2016 को तोड़वा दिया गया था। जिस संबंध में न्यायिक जांच हेतु पीडि़त ने कलेक्टर जनदर्शन में आवेदन पत्र दिया था। इसके बाद जांच कार्यवाही में तमनार रेगांव निवासी सत्यवादी के प्रकरण की जांच को कार्यवाही विवरण के रूप में पूर्ण दर्शाया गया था।

इसके बाद पीडि़त ने फिर कलेक्टर जन चैपाल में घर तोड़े जाने के संबंध में न्यायिक जांच व दोषियों पर कार्रवाई के लिए आवेदन पत्र दिया। इसके बाद 14 जनवरी 2021 को जांच कार्य अनुविभागीय अधिकारी घरघोड़ा को सौपा गया। अनुविभागीय अधिकारी द्वारा जांच का कार्य पूर्ण करने के पश्चात हिंडालको कंपनी को घर के मुआवजा राशि 39 लाख 15900 रुपये पीडि़त को देकर उक्त कार्यवाही से अवगत कराने हेतु निर्देशित किया गया।

कोंडकेल निवासी तीर्थानंद पटेल द्वारा हिंडाल्को कपनी पर अवैधानिक रूप से मकान तोडऩे के बाद भी मुआवजा राशि आज तक नहीं दिए जाने का आरोप लगाया है। पीडि़त परिवार मुआवजे को लेकर बीते साढ़े 7 साल से दर-दर की ठोकर खा रहा है। मंत्री,क्षेत्रीय विधायक, कलेक्टर, एसडीम, तहसीलदार से मुआवजा दिलाने की मांग पीडि़त द्वारा किया जा चुका है। लेकिन आज पर्यंत तक मुआवजा नहीं मिला है, जिससे मजबूरन पीडि़त परिवार ने गांव वालों के साथ मिलकर बीते 5 दिनों से कोल खदान गेट पर नाकेबंदी कर दी है। जिससे कोल उत्खनन कार्य प्रभावित हो चुका है।

प्रशासनिक आदेश बेअसर
हिंडालको कंपनी द्वारा मुआवजे की राशि नहीं दिए जाने के बाद पीडि़त ने मामले की शिकायत कलेक्टर, एसडीएम से की थी। शिकायत के बाद मामले की प्रशासनिक जांच हुई। जांच उपरांत हिंडालको कंपनी को एसडीएम द्वारा निर्देशित किया गया कि पीडि़त को 39 लाख 15900 रुपए की मुआवजा राशि दी जाए, और उक्त कार्यवाही से कार्यालय को अवगत कराया जाए। लेकिन एसडीएम का निर्देश भी बेअसर साबित हुआ। हिंडालको ने पीडि़त को न मुआवजा दिया और न हीं एसडीएम कार्यालय को जवाब।


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