रायगढ़

नरेश शर्मा
रायगढ़, 9 जून (‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता)। छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले में एक लंबे अर्से से जंगली हाथियों का आतंक व्याप्त है। यहां के धरमजयगढ़ व रायगढ़ वन मंडल में बीते कई सालों से हाथी और मानव के बीच द्वंद में कभी हाथी तो कभी इंसानों की मौत की घटनाएं लगातार सामने आते रही है। राज्य शासन हाथी और मानव के बीच हो रहे इस द्वंद को रोकने कई योजनाएं चलाने के बावजूद आज तलक इसमें सफलता नहीं मिल सकी है।
छत्तीसगढ़ शासन ने हाल ही में हाथियों के मूवमेंट पर नजर रखने के लिये एक नया ऐप लॉन्च किया है। हालांकि यह ऐप अभी ट्रायल में है और जल्द ही इसको हाथी प्रभावित क्षेत्रों में उपयोग में लाने की तैयारी हो चुकी है। शासन के अनुसार नये ऐप से जंगली हाथियों के मूवमेंट पर नजर रखने पर सफलता हाथ लगी है और इस ऐप से हाथियों के उत्पात तथा उनके जंगल से निकलकर दूसरे क्षेत्रों में जाने की पल-पल की खबर मिलने से वन विभाग काफी हद तक जनता को राहत दिलवाने में सफल होगा।
क्या है एलीफेंट ट्रैकिंग एंड अलर्ट ऐप
जंगली हाथियों के मूवमेंट की हाईटेक मॉनिटरिंग करने छत्तीसगढ़ में एलीफेंट ट्रैकिंग एंड अलर्ट ऐप विकसित किया गया है। जंगलों में हाथियों के मूवमेंट की हाईटेक मॉनिटरिंग शुरू कर दी गई है। इसके लिए एआई आधारित ‘छत्तीसगढ़ एलीफेंट ट्रैकिंग एंड अलर्ट ऐप’ विकसित किया गया है। पिछले 3 महीनों से उदंती सीतानदी टाईगर रिजर्व में इस ऐप का उपयोग किया जा रहा है। 10 किलोमीटर के इलाके में हाथियों के रियल टाईम मूवमेंट का अलर्ट ग्रामीणों के मोबाइल पर सफलतापूर्वक भेजा रहा है। इस ऐप में ग्रामीणों के मोबाइल नंबर और जीपी ऐप लोकेशन का पंजीयन किया जाता है।
लगातार बढ़ रही है जंगली हाथियों की संख्या
रायगढ़ और धरमजयगढ़ वन मंडल में 150 से ज्यादा जंगली हाथियों ने डेरा डाल रखा है। इसके अलावा जिले से लगे कोरबा, जशपुर, सरगुजा में भी जंगली हाथियों का तांडव सर चढक़र बोलता है। लगातार इनके एक इलाके से दूसरे इलाके में घुसने के कारण जनहानि व फसल हानि भी होती है। जानकारी के अनुसार केवल धरमजयगढ़ वन मंडल में ही 150 जंगली हाथियों का दल विचरण कर रहे हैं, अलग-अलग दलों में विचरण करने वाले जंगली हाथियों में 37 नर, 75 मादा और 38 शावक शामिल हैं। जंगली हाथियों के शावकों की संख्या भी तेजी से बढऩे का कारण वन विभाग की चिंता का विषय है चूंकि दल में घुमने वाले जंगली हाथी अपने शावकों को साथ लेकर चलते हैं अगर शावक कहीं रूकता है या उसे कुछ होता तो पूरे हाथियों का दल वहीं डेरा डाल देते हैं।
दलों में मादा हाथियों की संख्या ज्यादा
वन विभाग ने ग्रामीणों को जंगली हाथियों को लेकर अलर्ट जारी करते रहता है और जंगल की ओर जाने की मनाही कर दी जाती है। धरमजयगढ़ वन मंडल के छाल रेंज सहित अन्य गांवों के जंगलों में जिसमें बेहरामार, कुडेकेला, गलीमार, हाटी, लोटान, बनहर, औरानारा, पुरूंगा, खडग़ांव, गिधकालो में विचरण कर रहे हैं वहीं धरमजयगढ़ क्षेत्र के ओंगना, बायसी, रूपुंगा, पोटिया, कोयलार में जंगली हाथियों का अलग-अलग दल विचरण कर रहा है। वन विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक छाल खडग़ांव में 22, हाटी में 25, बेहरामार में 16 वहीं धरमजयगढ़ के कोयलार में 38, पोटिया में 18, कापू में 14 जंगली हाथी के अलावा धरमजयगढ़ और छाल के अलग-अलग गांवा में जंगली हाथियों का दल विचरण कर रहा है। लगातार विचरण करने वलो जंगली हाथियों में 37 नर, 75 मादा और 38 शावक मौजूद है।
कोरबा वन मंडल में भी सक्रिय है जंगली हाथियों का दल
वन विभाग के अनुसार कोरबा वनमंडल से 22 जंगली हाथियों का दल छाल परिक्षेत्र के खडगांव परिसर में एवं 40 से अधिक जंगली हाथियों का दल धरमजयगढ़ के बायसी और कोयलार में विचरण कर रहा है। वहीं जशपुर जिले के अलावा सरगुजा में भी 50 से अधिक जंगली हाथियों का दल अलग-अलग इलाकों में उत्पात मचाता है। जिसको लेकर वन विभाग की टीम सीमा से लगे ओडिशा व झारखंड की ओर उन्हें खदेड़ते हैं, लेकिन खदेडऩे के बाद भी ये जंगली हाथी फिर से इन जिलों में लौट आते हैं।
जंगलों के कारण बढ़ रही संख्या, ड्रोन कैमरे की भी ली जाती है मदद
छत्तीसगढ़ का रायगढ़ जिला चारों तरफ से जंगलों से घिरा हुआ है, यहां की नदियों में बहता पानी और घने जंगल हाथियों के साथ-साथ अन्य वन्य प्राणियों के लिए भी अनुकूल है। खासतौर पर हाथियों का दल हमेशा यहां के गावों में उत्पात मचाते रहता है, जिसकी वजह से दो दर्जन से भी अधिक गांव के ग्रामीण दहशत के साये में जीने पर विवश हो चुके हैं। हाथी प्रभावित क्षेत्रों में हाथी टै्रकिंग दल एवं हाथी मित्र दल द्वारा गांव-गांव में मुनादी कराकर गांव के ग्रामीणों को जंगल की ओर नहीं जाने समझाईश दी जा रही है। साथ ही साथ हाथियों के मूवमेंट पर लगातार ड्रोन कैमरे से निगरानी की जा रही है।
शाम होते ही कई गांवों में पसर जाता है सन्नाटा
जंगली हाथियों के आतंक से प्रभावित गांवों में शाम ढलते ही जहां गांव की सडक़ें सूनी हो जाती हैं, वहीं उनकी चिंघाड़ से ग्रामीण डरे-सहमे अपने-अपने घरों में दुबकने के लिए मजबूर हो जाते हैं। वहीं कुछ ग्रामीण खौफ के साए में अपने खेतों की रखवाली करते हैं। 2 दिन पहले भी देर रात जंगली हाथियों के दल ने धरमजयगढ़ वन मंडल के छाल क्षेत्र के गलीमार, बनहर, हाटी और धरमजयगढ़ के बायसी, शेरबंद, नागदरहा, सागरपुर में फसलों को नुकसान पहुंचाया है।