रायगढ़

बिजली आपूर्ति बहाल नहीं होने पर जिंदल उद्योग के खिलाफ 29 से नाकेबंदी
जिंदल का कहना- विद्युत दरें अब तक आयोग ने तय नहीं की है
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायगढ़, 26 अप्रैल। रायगढ़ जिले के लैलूंगा विधानसभा क्षेत्र में स्थित पूंजीपथरा औद्योगिक पार्क एक बार फिर से सुर्खियों में है। वहां लगे उद्योगों की बिजली की यूनिट को लेकर फैक्ट्री मालिकों ने जिंदल उद्योग पर मनमानी का आरोप लगाया है, वहीं जिंदल ने बाजार मूल्य पर ही विद्युत की सप्लाई लगातार जारी रखने की बात कहकर उद्योगपतियों को ही घेरने का प्रयास किया है।
इस पूरे मामले में सबसे महत्वपूर्ण पहलू यह है कि जिंदल के औद्योगिक पार्क में लगभग 50 से अधिक छोटे बड़े उद्योग संचालित हो रहे हैं और यहां बिजली जिंदल उद्योग द्वारा सप्लाई की जाती है और पहले भी उद्योगपतियों व जिंदल के बीच बिजली यूनिट को लेकर विवाद हो चुका है। जिसमें जिंदल द्वारा उद्योगों की लाईट तक काटने की कार्रवाई हो चुकी थी और अब एक बार फिर से विवाद सामने आ गया है।
फैक्ट्री मालिकों ने जिंदल की दादागिरी बताते हुए जबरन बिजली यूनिट को उद्योगपतियों पर थोपने का आरोप लगाते हुए उनके उद्योग पर अतिरिक्त भार बढ़ाने का आरोप लगाया है। इस पूरे मामले में पूंजीपथरा स्थित उद्योगपतियों का कहना है कि वर्तमान में तीन रूपये 90 पैसे यूनिट की दर से भुगतान किया जाता है और जिंदल अपने नए दर के अनुसार भुगतान मांग रहा है। नया भुगतान कितना, यह भी स्पष्ट नहीं हो पाया है, लेकिन जानकार सूत्र बताते हैं कि नई दरों को लेकर यह विवाद खड़ा हो गया है, जिसमें उद्योगपति व जिंदल समूह आमने-सामने हैं।
पूंजीपथरा स्थित औद्योगिक पार्क में छोटे बड़े उद्योगों को बीते कई वर्षों से जिंदल उद्योग अपनी शर्तों पर बिजली सप्लाई कर रहा है, लेकिन बीच-बीच में यूनिट में बढ़ोतरी को लेकर हो रही खींचतान से दोनों पक्षों में तकरार बढ़ती जा रही है और इस बार फिर से जिंदल द्वारा अपनी शर्तों पर प्रति यूनिट सप्लाई की राशि बढ़ाई तो उद्योगपति सकते में है और उनका साफ तौर पर कहना है कि कोरोनाकाल से पूरी तरह उबरे भी नहीं है और ऐसे में नई दरों को उनके उपर थोपना सरासर गलत है और इन नई दरों से उत्पादन पर इसलिए फर्क पड़ेगा। चूंकि सभी उद्योग घाटे में चल रहा है और बैंक का कर्जा भी लगातार बढ़ रहा है, ऐसे में नई दरें उनके लिए घातक सिद्ध होगी।
इस संबंध में इस्पात संघ के सभी उद्योगपतियों ने सोमवार देर शाम पत्रकारों को भी आमंत्रित करके बैठक आयोजित की। जिसमें यह फैसला लिया गया कि जिंदल द्वारा अगर बिजली आपूर्ति बहाल नहीं की जाती है तो 29 अप्रैल से जिंदल उद्योग के खिलाफ प्रदर्शन करते हुए आर्थिक नाकेबंदी की जाएगी। इस्पात संघ के प्रमुख संजय अग्रवाल ने बताया कि 45 उद्योगों में बीते 6 माह से मात्र 8 घंटे बिजली सप्लाई की जाती है जिसके चलते उत्पादन ठप हो गया है और करोड़ों के कर्ज में डूबे उद्योगपति सडक़ पर आ गए हैं। प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से 10 से 15 हजार मजदूर भी प्रभावित हो रहे हैं।
वहीं दूसरी ओर जिंदल उद्योग ने जारी विज्ञप्ति में कहा है कि जिंदल स्टील अपने विद्युत वितरण दायित्वों को पूर्ण करने के लिए एक समझौते के तहत विद्युत प्रदाय कर रहा था। विद्युत वितरण किस दर पर की जाएगी, इसका निश्चय प्रदेश का विद्युत रेग्युलटॉरी कमिशन करता है,जहां पर आज तारीख तक उसका ऐन्यूअल रेवन्यू रिक्वायरमेंट किसी न किसी कारणों से तय नहीं किया जा सका। फलस्वरूप हमें अपने आपसी समझौते की दर पर इंडस्ट्रीयल पार्क स्थित सभी उद्योगों को विद्युत प्रदाय करनी पड़ी। इन सब स्थितियों की वजह से बड़े लम्बे समय से पहले रेग्युलटॉरी कमिशन फिर दिल्ली स्थित अपटेल अथॉरिटी, प्रदेश के उच्च न्यायालय तथा सुप्रीम कोर्ट में वाद-विवाद चल रहा है।
हाल ही में करीब दो महीने से अपटेल अथॉरिटी में चल रही सुनवाई में औद्योगिक पार्क के रायगढ़ इस्पात औद्योगिक संघ ( आरआईयूएस) ने यह लिखित में दे दिया है कि उसको समझौते की दर पर विद्युत लेना मान्य नहीं है। कोयले की अनुपलब्धता और उसके परिवेश में बढ़ती दरें 10 से 12 हजार रुपए प्रति टन ने विद्युत आपूर्ति करना नामुमकिन सा कर दिया है। आरआईयूएस बढ़ी हुई दरों पर विद्युत आपूर्ति के लिए राजी नहीं हैं फिर भी हम कुछ विद्युत रोटेशन प्रणाली के तहत सभी को देने की चेष्टा कर रहे हैं जिसका भारी नुकसान हमें उठाना पड़ रहा है। इस समस्या का तुरंत समाधान करने के लिए हमने प्रदेश के विद्युत रेग्युलेटरी कमिशन में सभी न्यायिक प्रक्रियाओं के समाप्त होने तक और फाइनल विद्युत दर तय हो जाने तक प्रोविजन दर तय करने के लिए आवेदन भी दे दिया है। जिंदल स्टील अपने विद्युत वितरण लाइसेन्स के दायित्वों को पूर्ण रूप से समझता है और उसे पूर्ण करने के लिए वचन बध्य भी है। कंपनी यह नहीं चाहती कि उसके चलते छोटे उद्योगों को परेशानी हो।