मनेन्द्रगढ़-चिरिमिरी-भरतपुर

शिक्षा के लिए रोज अपनी जान की बाजी लगा रहे नौनिहाल
30-Aug-2024 2:18 PM
शिक्षा के लिए रोज अपनी जान की बाजी लगा रहे नौनिहाल

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
मनेन्द्रगढ़, 30 अगस्त।
पढ़ाई के लिए बच्चे रोजाना अपनी जान खतरे में डाल रहे हैं। बरसात का मौसम होने की वजह से आए दिन नदी का जल स्तर बढ़ा रहता है, लेकिन बच्चों के कदम नहीं ठहरते। वे नदी पार कर स्कूल पहुंचते हैं। इसके लिए जहां प्रशासन की लापरवाही झलकती है वहीं नदी पार करते वक्त बच्चों के साथ कोई अनहोनी होती है तो अभिभावक भी कम दोषी करार नहीं दिए जाएंगे।

एमसीबी जिले के खडग़वां विकासखंड अंतर्गत ग्राम पंचायत फुनगा स्थित भाठाटोला वार्ड क्र. 11 जहां लगभग 25 घर हैं। इन घरों में रहने वाले 15 से 20 बच्चे पढ़ाई के लिए रोजाना अपनी जान खतरे में डाल रहे हैं। दरअसल स्कूल जाने के लिए उन्हें नेवरी धार नदी पार करना होता है। नदी पर पुल की मांग लंबे समय से की जा रही जो आज तक पूरी नहीं हो सकी है। ऐसे में पुल के अभाव में प्रायमरी से लेकर मिडिल और हाई स्कूल के बच्चे अपनी जान की परवाह किए बगैर स्कूल जाने के लिए रास्ते में पडऩे वाले नेवरी धार नदी में उतर जाते हैं।

कुछ बच्चों के कंधे पर बैग होता है तो कुछ एक हाथ में पाठ्यसामग्री और एक हाथ में जूता-चप्पल पकडक़र रोजाना यहां नदी पार करते नजर आते हैं। इनमें प्रायमरी स्कूल के छोटे बच्चे भी होते हैं।

रोजाना नदी पार कर स्कूल जाने वाले कुछ बच्चों ने चर्चा के दौरान बताया कि जब वे नदी पार करते हैं तो कहीं कम और कहीं ज्यादा पानी होता है, ऐसे में उनके ड्रेस भीग जाते हैं। कॉपी-किताब भी गीले होकर खराब हो जाते हैं। कई बार ऐसा भी हुआ कि नदी में जल स्तर बढ़े होने पर बच्चों को स्कूल का नागा कर अपने घर लौटना पड़ा है। 

वहीं कुछ बच्चों ने यह भी बताया कि कई बार ऐसा भी हुआ कि स्कूल से लौटने के दौरान नदी का जल स्तर बढ़ा रहा, तब नदी का जल स्तर कम होने के लिए उन्हें घंटों तक नदी किनारे बैठना पड़ा है। बताया जाता है कि पूर्व में मीडिया में खबर आने के बाद पूर्ववर्ती सरकार ने नेवरी धार नदी पर पुल निर्माण हेतु सर्वे भी कराया था, लेकिन यहां पुल का निर्माण नहीं कराया गया, बल्कि कुछ ही दूरी पर इसी नदी पर बुधरा नदी का संगम है वहां पुल निर्माण हो रहा है जो अन्य गांव को जोड़ेगा, जबकि नेवरी धार नदी पर भी पुल बनाया जाता तो वहां से भी कई गांव आपस में एक-दूसरे से जुड़ते साथ ही बच्चों को भी स्कूल जाने के लिए अपनी जान जोखिम में नहीं डालनी पड़ती।


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