मनेन्द्रगढ़-चिरिमिरी-भरतपुर
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
मनेन्द्रगढ़, 1 अगस्त। शासकीय सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र मनेंद्रगढ़ वर्तमान में रेफर सेंटर बनकर रह गया है। डॉक्टर निर्धारित समय पर ड्यूटी पर नहीं आ रहे हैं। शाम को अस्पताल में कोई भी चिकित्सक ड्यूटी पर नहीं रहता है जिससे मरीजों को स्वास्थ्य सुविधाओं के लाभ से वंचित होना पड़ रहा है।
उक्त बातें सर्व आदिवासी समाज एमसीबी जिलाध्यक्ष शरण सिंह ने 10 सूत्रीय मांगों को लेकर जिला मुख्यालय मनेंद्रगढ़ में तहसील कार्यालय के समीप सर्व आदिवासी समाज द्वारा आयोजित धरना प्रदर्शन को संबोधित करते हुए कही। धरना प्रदर्शन के उपरांत मुख्यमंत्री के नाम तहसीलदार को ज्ञापन सौंपा गया। सभा को संबोधित करते हुए सर्व आदिवासी समाज के जिलाध्यक्ष सिंह ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग में नियमविरूद्ध तरीके से विभिन्न पदों में नियुक्ति की गई थी जिसमें से अधिकांश ने अपना कार्य कभी नहीं किया है। उन्होंने इसकी जांच कराकर दोषियों पर कार्रवाई किए जाने की मांग की।
उन्होंने कहा कि नियमविरूद्ध तरीके से कई कर्मचारियों को संलग्न करके रखा गया है। निजी लैब से मरीजों को जांच के लिए कहकर गरीब मरीजों का शोषण किया जा रहा है। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी के गैर जिम्मेदाराना कार्यों के चलते अस्पताल की व्यवस्था ठीक नहीं है। उन्होंने निर्माण कार्यों में भी भ्रष्टाचार का आरोप लगाया और कहा कि करोना काल में अस्पताल में खरीदी में भी भारी गड़बड़ी की गई है। अस्पताल में गरीबों के शोषण पर दु:ख व्यक्त करते हुए जिलाध्यक्ष ने कहा कि कमीशन का खेल इस प्रकार चल रहा है कि चिकित्सकों के द्वारा अस्पताल की लैब रिपोर्ट को न मानकर बाहर निजी लैब में जांच के लिए मरीजों को भेजा जा रहा है। अस्पताल में कई सालों से सोनोग्राफी मशीन बंद पड़ी है, अस्पताल आने वाले मरीज इसके लाभ से भी वंचित हैं और आज बाहर निजी स्वास्थ्य केंद्रों में उन्हें सोनोग्राफी करानी पड़ रही है। लंबे समय से अस्पताल में स्त्री रोग विशेषज्ञ का पद खाली पड़ा है जिससे महिला मरीजों को कष्ट उठाना पड़ रहा है।
उन्होंने कहा कि यह विडंबना है कि यहां के लोगों को स्त्री रोग विशेषज्ञ के लिए अनशन पर बैठना पड़ता है। जिलाध्यक्ष शरण सिंह ने कहा कि कुछ दिनों पहले सीएचसी मनेंद्रगढ़ में स्त्री रोग विशेषज्ञ की पदस्थापना आदेश जारी हुआ है, जिस दिन डॉक्टर ड्यूटी ज्वाइन कर लेंगी सर्व आदिवासी समाज के द्वारा उनका स्वागत किया जाएगा, लेकिन अभी पदस्थापना केवल कागजों पर है, क्योंकि इसी साल फरवरी माह में खडग़वां विकासखंड अंतर्गत ग्राम नेवारीबहरा में स्वास्थ्य मंत्री के द्वारा मंच से 15 दिनों के भीतर निश्चेतना और स्त्री रोग विशेषज्ञ की पदस्थापना किए जाने की घोषणा की गई थी, लेकिन 6 माह बाद भी वे अपनी घोषणा पर अमल नहीं कर सके हैं। स्वास्थ्य मंत्री के गृह जिले में मैदानी क्षेत्रों में स्टाफ की कमी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि प्रदेश में स्वास्थ्य जैसी बुनियादी सुविधा का क्या हाल है।
जिलाध्यक्ष शरण सिंह ने कहा कि सर्व आदिवासी समाज की मांगों पर कार्रवाई नहीं होने पर राज्यपाल को ज्ञापन सौंपकर कार्रवाई के लिए अनुरोध किया जाएगा। अन्य वक्ताओं ने भी सभा को संबोधित किया और स्वास्थ्य विभाग की लचर व्यवस्था को लेकर जमकर अपनी भड़ास निकाली। इस दौरान ओबीसी सभा से अधिवक्ता रामनरेश पटेल, सरपंच अमोल सिंह मरावी, संतोष सिंह, परमेश्वर मरकाम सहित बड़ी संख्या में पदाधिकारी और कार्यकर्ता उपस्थित रहे।


