मनेन्द्रगढ़-चिरिमिरी-भरतपुर
कांग्रेस बाहरी प्रत्याशी को मुद्दा बना रही, वहीं बीजेपी बेटी बताकर जनता से आशीर्वाद मांग रही
रंजीत सिंह
मनेन्द्रगढ़, 26 अक्टूबर (‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता)। प्रदेश की पहली विधानसभा का दर्जा प्राप्त भरतपुर-सोनहत विधानसभा में बीजेपी ने केंद्रीय राज्यमंत्री रेणुका सिंह को प्रत्याशी के रूप में चुनाव मैदान में उतारकर मुकाबला काफी रोचक बना दिया है, क्योंकि सर्वे में वर्तमान विधायक गुलाब कमरो के टक्कर में बीजेपी को कोई स्थानीय प्रत्याशी नजर नहीं आया। केंद्रीय राज्यमंत्री के आने से बीजेपी और कांग्रेस के बीच कड़ी टक्कर होते साफ नजर आ रही है, लेकिन जीत का सेहरा किसके सिर सजेगा इसके लिए 3 दिसंबर तक इंतजार करना होगा।
वर्ष 2003 में विधानसभा के परिसीमन के बाद अस्तित्व में आई भरतपुर-सोनहत विधानसभा मनेंद्रगढ़ से अलग होकर बनी यह विधानसभा आरक्षित जाति के लिए रिजर्व है। पहला चुनाव 2008 में हुआ था। इसके बाद 2013 और 2018 में 3 बार यहां विधानसभा चुनाव हुए हैं, जिसमें 2 बार बीजेपी और एक बार कांग्रेस प्रत्याशी ने जीत दर्ज की है।
पांच साल पहले इस सीट पर वर्तमान कांग्रेसी विधायक गुलाब कमरो ने 19 हजार 533 के बड़े अंतर से बीजेपी की चंपा देवी पावले को करारी शिकस्त दी थी। कांग्रेस प्रत्याशी को यहां 51 हजार 732 तथा बीजेपी प्रत्याशी को 32 हजार 199 वोट मिले थे, लेकिन इस साल चुनावी बयार किस ओर बह रही है यह देखना रोचक होगा।
भरतपुर-सोनहत में 87 हजार 174 पुरूष मतदाता, 89 हजार 241 महिला मतदाता तथा 6 मतदाता थर्ड जेंडर के साथ कुल 1 लाख 76 हजार 421 मतदाता हैं।
पिछले चुनाव में अविभाजित कोरिया और एमसीबी जिले की तीनों विधानसभाओं में सबसे अधिक मतों से जीत दर्ज करने वाले विधायक गुलाब कमरो बीजेपी उम्मीदवार रेणुका सिंह को बाहरी प्रत्याशी बताकर और अपने कार्यकाल में किए गए बेशुमार काम के दम पर जनता का आशीर्वाद मांग रहे हैं, वहीं रेणुका सिंह प्रचार-प्रसार में स्वयं को भरतपुर-सोनहत की बेटी बता रही हैं।
यहां के लोग भी उनके अपने हैं कोई पराए नहीं हैं। वहीं बीजेपी और कांग्रेस के बीच चल रही खंदक की लड़ाई में इस विधानसभा सीट पर आदिवासी गोंड़ जनजाति के वोट निर्णायक साबित होते रहे हैं, इसे नकारा नहीं जा सकता है।
पिछले तीन चुनावों में बढ़ते क्रम में वोट हासिल करने वाले गोंडवाना गणतंत्र पार्टी का प्रदर्शन काफी अच्छा रहा है। 2008 में गोंगपा तीसरे स्थान पर रही। गोंगपा प्रत्याशी यशवंत गोंड़ को 9 हजार 114 वोट मिले थे।
इसी तरह 2013 में गोंगपा प्रत्याशी कनसलाल को 18 हजार 166 मत हासिल हुए, जबकि 2018 में गोंगपा प्रत्याशी श्याम सिंह मरकाम को 26 हजार 632 वोट मिले थे। लगातार बढ़ते क्रम में वोट हासिल करने वाली गोंगपा 2023 के चुनाव में क्षेत्रीय चर्चा और परिस्थिति के हिसाब से दोनों दलों को कांटों की टक्कर देने की स्थिति में है।
त्रिकोणीय मुकाबला तो नहीं कहा जा सकता, लेकिन प्रदेश की पहली विधानसभा सीट पर मुख्य मुकाबला हर बार की तरह इस बार भी बीजेपी और कांग्रेस के बीच ही होता नजर आ रहा है, हां यह जरूर है कि मतों का अंतर कुछ कम अवश्य हो सकता है।


