मनेन्द्रगढ़-चिरिमिरी-भरतपुर
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
चिरमिरी, 10 अगस्त। ज्यों-ज्यों छतीसगढ़ विधानसभा का चुनाव नजदीक आ रहा है, त्यों त्यों राजनैतिक दलों ने अपने विधानसभा प्रत्याशियों की तलाश शुरू कर दी है। अगर हम मनेन्द्रगढ़ विधानसभा की बात करे तो इस बार कांग्रेस और भाजपा जैसी राष्ट्रीय पार्टियों के साथ ही गोंडवाना गणतंत्र पार्टी और आम आदमी पार्टी इस बार चिरमिरी से अपना प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतारने की तैयारी कर रही है।
ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर मनेन्द्रगढ़ विधानसभा का प्रत्याशी चिरमिरी से क्यों ? राजनीति के जानकार बताते है कि मनेन्द्रगढ़ विधानसभा में मुख्य रूप से तीन क्षेत्र आते है । मनेन्द्रगढ़, चिरमिरी और खडग़वां , लेकिन मनेन्द्रगढ़ विधानसभा का एकमात्र नगर निगम क्षेत्र चिरमिरी आबादी और क्षेत्रफल में मनेन्द्रगढ़ और खडग़वां से बड़ा है। पिछले चुनाव की यदि बात करे तो चिरमिरी के लगभग 65 हजार वोटर से यहां मतदान किया था। वहीं मनेन्द्रगढ़ और झगराखांड के 28 हजार एवं खडग़वां के 34 हजार मतदाताओं ने अपने मत का उपयोग किया था। इस लिहाज से मनेन्द्रगढ़ विधानसभा के प्रतिनिधित्व का पहला हकदार चिरमिरी है।
जानकारों का कहना है कि खडग़वां में मुख्य रूप से कांग्रेस एवं गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के प्रभाव वाला क्षेत्र है। वहीं मनेन्द्रगढ़ क्षेत्र के मतदान का रुझान बिखरा हुआ है एवं किसी भी एक राजनैतिक पार्टी के पक्ष में नहीं जाता। जबकि चिरमिरी का मतदान ही मनेन्द्रगढ़ विधानसभा में किसी भी प्रत्याशी की जीत सुनिश्चित करता है। यहां पर यह बताना जरूरी हो जाता कि नए परिसीमन के बाद वर्ष 2008 में चिरमिरी मनेन्द्रगढ़ विधानसभा क्षेत्र से जुड़ा था। इससे पूर्व चिरमिरी बैकुंठपुर विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत आता था।
यदि हम पिछले तीन विधानसभा के चुनाव परिणामों पर नजर डाले तो वर्ष 2008 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने मनेन्द्रगढ़ विधानसभा की सीट राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी को समझौते के तहत देकर भाजपा को वाक ओव्हर दे दिया था। जिसका नतीजा यह हुआ कि इस चुनाव में भाजपा के स्व. दीपक पटेल ने 18 हजार से ज्यादा मतों से अपनी जीत दर्ज की। दूसरी बार 2013 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के श्याम बिहारी जायसवाल ने कांग्रेस के स्व. गुलाब सिंह को शिकस्त दी और चुनाव में जीत हासिल की। इसके बाद हुए 2018 के चुनाव में कांग्रेस के डॉ. विनय जायसवाल ने भाजपा के श्याम बिहारी जायसवाल को शिकस्त देकर अपनी जीत की।
पिछले दो विधानसभा चुनाव के नतीजों को देखने पर एक बात स्पष्ट रूप से दिखाई देती है कि मनेन्द्रगढ़ विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और भाजपा के बीच कांटे की टक्कर होती है। दोनों ही बार विजेता प्रत्याशियों के जीत का अंतर 5 हजार वोटो के भीतर ही रहा है, और दोनों बार प्रत्याशियों के जीत में चिरमिरी की भूमिका निर्णायक रही है। राजनीति के जानकार तो यहां तक कह रहे है कि जिस भी राजनैतिक पार्टी ने चिरमिरी की उपेक्षा की, उसे चुनाव में हार का मुंह देखने से कोई नही रोक सकता।
यही कारण है कि इस बार लगभग सभी राजनैतिक दल मनेन्द्रगढ़ विधानसभा के लिए अपना प्रत्याशी चिरमिरी से तलाश करने में जुट गए है।


