मनेन्द्रगढ़-चिरिमिरी-भरतपुर
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
मनेन्द्रगढ़, 3 जून। यदि हम साइकिल चालन को अपने दैनिक दिनचर्या में सम्मिलित करें तो पर्यावरण के क्षेत्र में एक बहुत बड़ा योगदान दे सकते हैं। हमें साइकिल को रोजमर्रा के आवागमन में एक जरूरी साधन के रुप में सम्मिलित करना चाहिए।
उक्त बातें वरिष्ठ पर्यावरणविद एवं पतंजलि योग समिति के तहसील प्रभारी सतीश उपाध्याय ने विश्व साइकिल दिवस पर कहीं।
योग प्रशिक्षक उपाध्याय ने बताया कि साइकिल चालन पर्यावरण संरक्षण एवं उत्तम स्वास्थ्य के लिए जरूरी है। यदि हम छोटी-मोटी जरूरतों को पूरी करने के लिए साइकिल का इस्तेमाल करते हैं तो प्रतिवर्ष करोड़ों मिट्रिक टन कार्बन डाइऑक्साइड के उत्सर्जन पर रोक लगा सकते हैं तथा स्वस्थ रहकर देश, समाज एवं स्वयं का भी भला कर सकते हैं। साइकिलिंग को स्वास्थ्य से जोड़ते हुए उपाध्याय ने कहा कि आज देश में करोड़ों लोग डायबिटीज, हाइपरटेंशन एवं अवसाद की बीमारी से ग्रसित हैं, यदि व्यक्ति अपने दैनिक दिनचर्या में प्रतिदिन 1 मील भी साइकिल चला लेता है तो इन गंभीर बीमारियों से मुक्त हो सकता है।
साइकिल को रोजमर्रा के आवागमन के साधन के रूप में अपनाने की अपील करते हुए उन्होंने कहा कि विश्व साइकिल दिवस पर हमें यह संकल्प लेना चाहिए कि पर्यावरण संरक्षण एवं देश की आर्थिक संसाधन को प्रबल करने हेतु हम यथासंभव साइकिल चलाने की आदत विकसित करेंगे।
ज्ञातव्य है कि साइकिल चलाने से होने वाले शारीरिक लाभ को बताने के लिए, योग प्रशिक्षण सतीश उपाध्याय पिछले 20 वर्षों से प्राणायाम के साथ साइकलिंग को भी अनिवार्य आसन के रूप में सम्मिलित कर लोगों को साइकिल चालन के महत्व बता रहे हैं। उपाध्याय ने कहा कि साइकिल को लेकर हमें अपनी सोच बदलनी होगी एवं यह संकल्प लेना होगा कि साइकिल चालन से हम न केवल अपने उत्तम स्वास्थ्य के प्रति प्रयासरत हैं, बल्कि देश की अर्थव्यवस्था की मजबूती के लिए भी कदम बढ़ा रहे हैं।


