मनेन्द्रगढ़-चिरिमिरी-भरतपुर

पात्र किसानों को जारी किया जाए वनाधिकार पट्टा- शरण
03-Jun-2023 3:03 PM
पात्र किसानों को जारी किया  जाए वनाधिकार पट्टा- शरण

सर्व आदिवासी समाज के जिलाध्यक्ष ने सौंपा कलेक्टर को ज्ञापन

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

मनेन्द्रगढ़, 3 जून।  पूर्व जिला पंचायत सदस्य एवं सर्व आदिवासी समाज के जिलाध्यक्ष शरण सिंह ने परंपरागत वन क्षेत्र निवासी अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति व अन्य पिछड़ा वर्ग के ग्रामीण जो कि कई पीढिय़ोंं से निवास करते हुए अपना जीवन यापन कर रहे हैं, उन्हें उनके कब्जे के आधार पर चिन्हित कर अविलंब शत-प्रतिशत पात्र ग्रामीणों को वनाधिकार पट्टा प्रदान किए जाने की जिला प्रशासन से गुहार लगाई है।

जिलाध्यक्ष सिंह ने कलेक्टर को इस संबंध में ज्ञापन सौंपकर जिला प्रशासन का ध्यानाकर्षण कराते हुए कहा कि अनूसूचित जनजाति के लिए वर्ष 1990-91 में प्रदाय तिरंगा पट्टा को वन अधिकार पट्टा में परिवर्तित करते हुए भू-राजस्व पट्टा अभिलेख में दर्ज कर तथा खसरा नंबर के आधार पर नक्शा काट कर भू-राजस्व पट्टा तैयार कर कृषकों को वितरित किया जाए, ताकि शासन द्वारा प्रदाय विभिन्न योजनाओं का लाभ उठाकर अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत बना सकें।

उन्होंने यह भी कहा कि पुरानी पट्टा के समान निर्धारित सालाना भू-राजस्व राशि लगान के रूप में कृषकों से ली जाए, ताकि शासन को राजस्व

प्राप्त हो। अन्य पिछड़ा वर्ग के ग्रामीणों को 13 दिसंबर 2005 के नियम के अनुसार (75 सालाना अथवा 3 पीढ़ी का कब्जा) अथवा वर्तमान में सरलीकरण संशोधित नियम यदि की गई हो तो वन अधिकार पट्टा प्रदान किया जावे। उन्होंने कहा कि वर्तमान स्थिति में ग्रामीणों का दस्तावेज के अभाव में ग्राम पंचायत स्तर एवं जनपद पंचायत स्तर पर विभिन्न कारणों से लंबित है, जिनका अविलंब निराकरण करना आवश्यक है।  जिलाध्यक्ष सिंह ने कहा कि पूर्व में तत्कालीन जिला कलेक्टरों के कार्यकाल में इनके निराकरण के संबंध में बहुत ही संतोषप्रद कार्य इस दिशा में हुआ है, लेकिन अभी भी बहुत कुछ करना शेष है। उन्होंने जिला प्रशासन से अनुरोध किया कि अतिशीघ्र ग्राम पंचायत, जनपद पंचायत अथवा काबिज कृषकों के पास भी यदि लंबित आवेदन है तो उसे स्वीकार करते हुए पट्टाधारकों की सूची तैयार कर उनके दस्तावेजों का परीक्षण कर उन्हें पट्टा प्रदाय किया जाए, ताकि ग्रामीणजनों का विश्वास वन अधिकार अधिनियम व शासन-प्रशासन के प्रति बना रहे एवं उन्हें अपने काबिज भूमि का मालिकाना हक प्राप्त हो सके।


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