महासमुन्द

नाबालिग का विवाह होता, इससे पहले विभाग के अफसरों ने गांव पहुंच शादी रुकवाई
04-Apr-2021 4:54 PM
 नाबालिग का विवाह होता, इससे पहले विभाग के अफसरों ने गांव पहुंच शादी रुकवाई

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
महासमुंद, 4 अप्रैल।
नाबालिग का विवाह होता इससे पहले विभाग के अफसरों ने गांव पहुंचकर शादी रुकवा दी है। परिजन उसका विवाह कम उम्र में ही कर रहे थे। 
शनिवार से विवाह कार्यक्रम की शुरूआत होने वाली थी। लेकिन सही समय में विभाग के अफसरों ने घर पहुंचकर परिजनों को समझाईश देकर विवाह नहीं होने दिया। अब वर पक्ष बारात लेकर नाबालिग के घर नहीं आएंगे। मामला बागबाहरा विकासखंड के ग्राम बिराजपाली का है। परिजन अपनी बड़ी बेटी व छोटी बेटी का विवाह एक साथ कर रहे थे। जिसकी तैयारी परिजनों ने पूरी कर ली थी। मंडप भी सज गया था। इसकी भनक विभाग को लगी तो अफसर गांव पहुंच गए और नाबालिग के परिजन व दूल्हे पक्ष से उनके पिता को बुलाकर समझाईश देते हुए नाबालिग के विवाह के बाद होने वाले दुष्परिणामों को बताया।  तब कहीं जाकर परिजन माने और लिखित में विभाग को विवाह नहीं करने का सहमति पत्र दिया। 

बागबाहरा क्षेत्र के परियोजना अधिकारी चंद्रहास नाग ने बताया कि कार्यकर्ताओं से जानकारी मिली कि बिराजपाली के एक घर में उनके परिजन अपनी बड़ी बेटी के साथ छोटी बेटी का विवाह कर रहे हैं। छोटी बेटी की उम्र 16 साल 1 माह है। अभी नाबालिग है, इसके बावजूद परिजन उनका विवाह करा रहे हैं। बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम के तहत सजा के कड़े प्रावधान हैं। मामला सिद्ध होने पर दुल्हा-दुल्हन, उनके माता-पिता सहित विवाह में शामिल सभी लोगों को सजा हो सकती है। यहां तक की बाराती वाहन के चालक, फोटोग्राफर, लाइट डेकोरेशन, बैंड बाजा वाले भी सजा के दायरे में आ जाते हैं। बाल विवाह के मामलों में दो वर्ष सश्रम कारावास व एक लाख रुपए जुर्माने का प्रावधान है।

जिले में बाल विवाह पर रोक नहीं लग पा रही है। शादी के सीजन में हर साल प्रशासन कुछ नाबालिगों का विवाह रुकवाती है पर अधिकतर परिजन अपनी नाबालिग बेटियों की शादी करा दे रहे हैं। आंकड़ों पर गौर करें तो जिले में बीते 5 सालों में 33 बालिकाओं को प्रशासन ने विवाह की बलि पर चढऩे से बचाया है। ग्रामीण क्षेत्रों में अशिक्षा की जड़ें इतनी गहरी है कि बाल विवाह रुकने का नाम नहीं ले रहा है। माता-पिता की अशिक्षा और परंपराओं के कारण कई नाबालिगों का विवाह करा दिया जाता है। बाल विवाह रुकवाने के लिए 3 स्तरीय समिति का गठन किया गया है। जिला स्तरीय समिति में कलेक्टर एवं विभिन्न विभागों के अधिकारी हैं। विकासखंड स्तरीय समिति में एसडीएम की टीम है और गांव की टीम में गांव में पंच, सरपंच, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता व नगरीय क्षेत्रों में पार्षद व आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को बाल विवाह के मामलों में निगरानी के लिए तैनात किया गया है। जिले में अब तक रुकवाई गई शादियों में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। 
 


अन्य पोस्ट