महासमुन्द

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
पिथौरा, 25 मार्च। भगवान श्रीराम का जन्म मर्यादा पुरुषोत्तम के रूप में हुआ जबकि भगवान श्री कृष्ण का जन्म लीला पुरुषोत्तम के रूप में हुआ। राम और कृष्ण दोनों नाम भारतीय संस्कृति का अभिन्न हिस्सा है और जनमानस के रोम रोम में समाए हुए हैं राम और कृष्ण हमारी संस्कृति के आधारभूत तत्व हैं हमारी जीवन शैली हैं हमारी आध्यात्मिक चिंतन शैली के मूल तत्व हैं मोक्ष के द्वार तक पहुंचाने वाले सबसे सहज सरल और सुलभ घटक है।
उपरोक्त बातें स्थानीय रानी सागरपारा में चल रहे श्रीमद् भागवत ज्ञान यज्ञ सप्ताह के पांचवे दिवस श्री राम एवं श्री कृष्ण जन्मोत्सव की कथा कहते हुए व्यासपीठ से पंडित अभिनव शुक्ला ने कहीं ।
उन्होंने कहा कि जब जब संसार में धर्म का पतन होता है अत्याचार अपनी पराकाष्ठा पर पहुंच जाता है गो ब्राह्मण और सज्जनों को सताया जाता है अन्याय और अत्याचार का भार सहना पृथ्वी के लिए मुश्किल हो जाता है तब तब धर्म की स्थापना के लिए भगवान का अवतरण होता है भगवान राम की नैतिकता पर आधारित लीला और भगवान कृष्ण की 16 कला वाली लीला दोनों को मिलाकर कलयुग में मनुष्य के लिए जीवन जीने की कला का मार्ग प्रशस्त होता है इसी कारण राम और कृष्ण हमारी संस्कृति के अभिन्न हिस्सा है।
रानी सागरपारा में राजपूत परिवार के द्वारा आयोजित भागवत कथा में पांचवे दिन राम जन्म और कृष्ण का जन्म हर्ष उल्लास के मध्य मनाया गया। सैकड़ों की संख्या में उपस्थित श्रोता सु मधुर संगीत की धुन में झूम उठे और कृष्ण जन्म को यादगार बना दिया दद्दू महाराज की कथा में घासीराम डडसेना एवं नारायण सोनी संगीत दे रहे हैं और उनके भजनों ने कथा को और रोचक बना दिया है।