महासमुन्द

धान खरीद पाने में सरकार असफल मूल सचिवों को बना दिया प्रबंधक-विनोद
18-Nov-2025 10:17 PM
धान खरीद पाने में सरकार असफल मूल सचिवों को बना दिया प्रबंधक-विनोद

पंचायतों का काम हो जाएगा प्रभावित

महासमुंद, 18 नवंबर। खरीफ सीजन 2025-26 के लिए धान खरीद पाने में सरकार पूरी तरह नाकाम साबित हो रही है। पटवारियों के इंकार के बाद अब शासन ने पंचायत सचिवों को प्रभारी प्रबंधक बनाने का आदेश जारी किया है। इनमें कई ऐसे भी हैं जिनकी मृत्यु हो चुकी है। इससे पंचायतों का काम तो प्रभावित होंगे ही, साथ ही समितियों में धान खरीदी हो पाना असंभव सा नजर आ रहा है। उक्त बाते पूर्व संसदीय सचिव छग शासन व महासमुंद के पूर्व विधायक विनोद सेवनलाल चंद्राकर ने कही।

श्री चंद्राकर ने कहा कि शासन प्रशासन धान खरीदी को लेकर गंभीर नहीं है। आनन.फानन में अव्यवस्थित तरीके से समिति में धान खरीदना चाहती है। जिन पंचायत सचिवों को प्रभारी बनाया गया है उनमें कई सचिवों की मृत्यु हो गई है। ऐसे में जिन सोसायटियों का प्रभार मृत सचिवों को दिया गया हैए वहां वे मृत सचिव कैसे ज्वॉइन कर पाएंगे। वहां धान खरीदी कैसे संभव हैघ् पिथौरा आरंगी सोसायटी में मृत रवि लाल चौहानए बड़े टेमरी में दुबराज साहू को प्रभारी बनाया गया है। इन सचिवों का देहांत हो चुका है। वहीं महासमुंद में ललित यादव और शंकर साहू जो निलंबित हैं उनका ड्यूटी बेलटुकरी व बडग़ांव में लगाया गया है।

पूर्व संसदीय सचिव ने कहा कि पहले पटवारियों को प्रभारी बनाकर पटवारियों के काम को प्रभावित करने का प्रयास किया गया। अब पंचायत सचिव को प्रभारी बनाकर दबाव पूर्वक उन्हें पंचायतों में ताला लगाने विवश कर रहे हैं। यदि पंचायत सचिव धान खरीदी करेंगे तो पंचायतों के मूलभूत विकास कार्य, निर्माण, जन्म.मृत्यु प्रमाण पत्र पंजीयन, पंचायत का लेन.देन, बैठक प्रक्रिया, पीएम आवास योजना के तहत हितग्राही संपर्कए ग्राम सभा की बैठक, टेक्स पेयरों की जानकारी, एंट्री कार्य पूरी तरह प्रभावित हो जाएंगे।  इसके अलावा यदि सचिव समितियों में ड्यूटी देंगे तो सुबह से देर रात तक उन्हें समितियों में बैठना पड़ेगा। पंचायतों के लिए उनके पास समय ही नहीं बचेगा। श्री चंद्राकर ने कहा कि शासन अपनी हठधर्मिता और मनमानी के चलते पूरी प्रशासिनक व्यवस्था को अस्त.व्यस्त करने पर तुली हुई है। यदिए समिति प्रबंधकों, ऑपरेटरों की सभी जायज मांगों को मान लिया जाता तो आज पटवारियों, पंचायत सचिवों, ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारियों, आरईओ सहित शासकीय कर्मचारियों को मूल श्कार्य से हटाने की आवश्यकता ही नहीं होती।


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