महासमुन्द
महासमुंद,17नवंबर। पूर्व संसदीय सचिव व महासमुंद के पूर्व विधायक विनोद सेवनलाल चंद्राकर ने 14 नवंबर को आयोजित साय केबिनेट की बैठक में हड़ताली सहकारी कर्मचारियों की मांगों पर विचार नहीं किए जाने तथा एस्मा लागू कर कर्मचारियों को बर्खास्त किए जाने की कार्रवाई को दमनकारी व तानाशाही पूर्ण कार्रवाई बताया है।
श्री चंद्राकर ने जारी विज्ञप्ति में कहा कि शासन ने धान खरीदी को आवश्यक श्रेणी में शामिल किया हैए लेकिन इस आवश्यक कार्य को सफलता पूर्वक अंजाम देने वाले इन कर्मचारियों को हासिए पर रख दिया हैए सरकार मनमानी पूर्ण कार्रवाई करते हुए कर्मचारियों के आंदोलन को कुचलने का प्रयास कर रही है।
श्री चंद्राकर ने कहा कि भाजपा की साय सरकार ने मोदी की गारंटी के तहत सरकार बनने के 100 दिन के भीतर इन कर्मचारियों की सभी मांगे पूर्ण करने का वादा किया था। कर्मचारियों की कोई अतिरिक्त मांग नहीं है। वे केवल वही मांग रहे हैं जो भाजपा ने देने का वादा किया। अब 2 साल बीतने को है लेकिन कर्मचारियों की एक भी मांगे पूरी नहीं की गई। हजारों कर्मचारी 15 दिन से आंदोलन कर रहे हैंए लेकिन सरकार के कानों में जूं तक नहीं रेंग रही।
पूर्व संसदीय सचिव ने कहा कि भाजपा की साय सरकार खरीफ सीजन में धान खरीद पाने में पूरी तरह असफल साबित हुई है। 2024 में भी अनेक अव्यवस्थाओं के बीच इन्होंने धान खरीदी की। जिससे महासमुंद जिले में ही 9 हजार से अधिक किसान धान बेचने से वंचित हो गए।
अब पुन: सरकार अपनी मनमानी कर रही है। 15 नवंबर को धान खरीदी शुरू करने की बात कही गई थी। लेकिन समितियां सूनसान हैं। अनेक किसान समिति पहुंचे लेकिन उन्हें बिना धान बेचे वापस लौटना पड़ा। धान खरीदी तिथि तक समितियों में किसी प्रकार की तैयारी नहीं की गई। ना ही ंसमितियों ंंकी सफाई हुई और ना ही ताले खुले। धान खरीदी नीति को लेकर सरकार के सारे दावे फेल साबित हो चुके हैं। यह सरकार किसानों से धान खरीद पाने में सक्षम नहीं है। सुशासन की सरकार में कर्मचारियों से लेकर किसानों तक को परेशान होना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि कर्मचारियों की समस्याओं का समाधान करने के बजाय उन्हें दंडित किया जा रहा है।


