महासमुन्द

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
महासमुंद,25 अप्रैल। इस वर्ष सर्वर की समस्या के कारण कई सरायपाली क्षेत्र के स्कूलों में आरटीई के तहत अपने बच्चों को पढ़ाने वाले हितग्राहियों के दस्तावेज में ऑनलाईन परिवर्तन होने से पालकों की समस्याएं बढ़ गई है। जानकारी अनुसार आरटीई के तहत सत्र 2025-26 के लिए 3 वर्ष से 6 वर्ष के बच्चों के लिए प्रायवेट स्कूलों में पंजीयन प्रक्रिया विगत 1 मार्च से प्रारंभ हुई थी जिसकी अंतिम तिथि 31 मार्च तक थी। इसके पश्चात समयावधि बढ़ाकर इसे 8 अप्रैल किया गया। अभी वर्तमान में आरटीई के तहत स्कूलों में आवेदन जमा किया गया है। जिसके सत्यापन के लिए नोडल अधिकारी पालकों को बुलाकर दस्तावेज सत्यापन कर रहे हैं। लेकिन कुछ पालकों के आवेदनों में दस्तावेज त्रुटि, स्कूल त्रुटि आदि कई समस्याएं आ रही हैं। जिसकी वजह से वे इस योजना का लाभ लेने से वंचित होते दिखाई रहे हैं।
इस मामले में पालकों का कहना है कि आवेदन सही भरा गया है और उनके पास जो हार्ड कॉपी है, उसमें भी सब सही है, लेकिन ऑनलाईन में गलत दस्तावेज व त्रुटि होने से पालक अचंभित हैं। इस प्रकार की समस्या से अब उन्हें अपने बच्चों के दाखिले से वंचित होने का डर सता रहा है। वार्ड क्रमांक 09 के निवासी आमोस ताण्डी ने बताया कि उनकी पुत्री अनुप्रिया ताण्डी का फार्म ऑनलाईन भरा गया था। जिसकी उम्र 4 साल से कम है और उस हिसाब से उनका इवास और स्टीफन स्कूल के लिए फार्म भरा गया था। इस दौरान हार्ड कॉपी भी प्रिंट किया गया था। लेकिन स्कूल जाकर संपर्क किया गया तो उक्त स्कूल में नाम दिखाई नहीं देने की बात कही गई।
जबकि ऑनलाईन चेक करने पर पता चला कि उक्त बच्चे का नाम ऑटोमेटिक गौरव विद्या मंदिर स्कूल में दिखाई दे रहा है। यहां गौर करने वाली बात यह भी है कि गौरव विद्या मंदिर में 5 वर्ष से अधिक उम्र के बच्चे ही आर टी ई के माध्यम से प्रवेश ले सकते हैं। लेकिन 4 वर्ष से कम उम्र के बच्चे का अचानक नाम यहां आ जाने से सर्वर की समस्या होने का अंदेशा लगाया जा रहा है। पालक श्री आमोस ने कहा कि उनके पास सभी दस्तावेज हैं फिर भी वे सर्वर की समस्या के चलते आरटीई का लाभ नहीं ले सकेंगे। उन्होंने उच्च विभाग से दस्तावेज सुधार करने के लिए साईट को पुन: एक दिन के लिए खोलने की मांग की है।
एक अन्य पालक गोपाल प्रधान ने फोन पर बताया कि उन्होंने अपने पुत्र इशान प्रधान के लिए आवेदन किया था। जिसकी आयु 4 वर्ष से कम है। इनके मामले में च्वाईस सेंटर में तो सभी सही दस्तावेज अपलोड किया गया था। लेकिन ऑनलाईन में सभी फ ोटो दूसरे का दिखाई दे रहा है। इसी तरह एक अन्य पालक के सत्यापन दस्तावेज में प्रीतम सिंह नाम का आधार कार्ड जो भिलाई का है, के पते के सत्यापन में जयकांत रोहिदास के नाम का आधार कार्ड दिखा रहा है, जो राजनांदगांव का है और जन्म प्रमाण में कांकेर के प्रियल सोनकर नाम दिखाई दे रहा है। इन में सबको देखने पर अब ऑनलाईन में सर्वर की समस्या से होने वाली गलती में दिखाई दे रही है। अगर सर्वर में समस्या नहीं होती, तो ऐसा नहीं होता। पालकों का कहना है कि च्वाईस सेंटर का में सही दस्तावेज अपलोड किया गया डी है, तो वह अलग-अलग जिलों का दिखाई कैसे देगा।
विकासखण्ड शिक्षा अधिकारी प्रकाशचन्द्र मांझी ने कहा कि आम तौर पर इस तरह की समस्याएं तो नहीं आती हैं, लेकिन यदि ऐसे मामले सामने आये हैं, तो यह सॉफ्टवेयर में कुछ त्रुटि वश हुआ होगा। उन्होंने इसे उच्च कार्यालय के संज्ञान में लाने की बात कही।
इस संबंध में जिला शिक्षा अधिकारी मोहन राव सावंत से पूछे जाने पर उन्होंने बताया कि जो दस्तावेज अपलोड किए हैं,उनका मिलान कर सत्यापन करने का अधिकार है और वे दस्तावेज का मिलान करके ही अप्रूव करते हैं। अगर सर्वर की वजह से गलती हुई है तो उच्च कार्यालय ही इस समस्या का समाधान कर सकता है। उन्होंने कहा कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम 12-1सी के अंतर्गत सभी गैर अनुदान प्राप्त और गैर अल्पसंख्यक प्राइवेट स्कूलों के प्रारंभिक कक्षाओं में 25 प्रतिशत सीट निर्धन और असुविधाग्रस्त परिवार के बच्चों के लिए आरक्षित होता है। इस अधिनियम के तहत 3 से 6 वर्ष तक के बच्चे किसी भी प्राइवेट स्कूल के प्रारंभिक कक्षा में प्रवेश ले सकें इसके लिए शासन के द्वारा यह योजना प्रारंभ की गई। ताकि प्रवेशित छात्र कक्षा 12वीं तक नि:शुल्क चयनित स्कूल में अध्ययन कर सकें।