महासमुन्द

उपभोक्ता दिवस विशेष
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
महासमुंद, 24 दिसंबर। जिला उपभोक्ता आयोग का लाभ पिछले एक साल से महासमुंद जिले के उपभोक्ताओं को नहीं मिल पा रहा है। उपभोक्ता अभी भी न्याय के लिए आयोग के दफ्तर का चक्कर काट रहे हैं, लेकिन कोरम पूरा नहीं होने के कारण सुनवाई नहीं हो पा रही है। यहां अध्यक्ष की नियमित नियुक्ति भी नहीं हुई है। इसके चलते उपभोक्ताओं के विभिन्न प्रकार के 235 मामले सालभर से पेंडिंग हैं। जन सूचना अधिकारी नितिन कुमार वर्मा कहते हैं कि कोरोना काल से सुनवाई नहीं हो पा रही है। महीने में तीन दिन प्रकरणों की सुनवाई होती थी, लेकिन सदस्यों की नियुक्ति नहीं होने के कारण सुनवाई टल जाती है।
उन्होंने बताया कि बिना सदस्यों की नियुक्ति के सुनवाई नहीं होती है। अध्यक्ष के साथ दो सदस्य होना अनिवार्य है। संभवत: जनवरी से उपभोक्ताओं को लाभ मिलेगा। क्योंकि नए अध्यक्ष के साथ दो सदस्यों की नियुक्ति प्रक्रिया चल रही है। इसके बाद ही नियमित सुनवाई हो पाएगी। पिछले एक साल से सदस्यों की नियुक्ति नहीं होने के कारण मामला पेंडिंग में चल रहा है। उपभोक्ताओं के केस आगे बढ़ रहे हैं। पेंडिंग मामले की संख्या वर्तमान में 235 है। इन मामलों की सुनवाई होनी है। इसमें कई मामलों पर नतीजे भी तैयार हैं लेकिन सदस्यों की नियुक्ति नहीं होने के कारण आदेश जारी नहीं हो पा रहा है।
गौरतलब है कि वर्ष 1986 में प्रधानमंत्री राजीव गांधी की पहल पर 9 दिसंबर 1986 को उपभोक्ता संरक्षण विधेयक पारित किया गया जिसे राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद आज की ही तारीख 24 दिसंबर को देशभर में लागू किया गया। अब इसमें उपभोक्ता आयोग ने उपभोक्ताओं को बड़ी राहत दी है। अब उपभोक्ताओं को प्रकरण दर्ज कराने के लिए आयोग आने की जरुरत नहीं है, वे घर बैठे ही ऑनलाइन प्रकरण दर्ज करा सकते हैं। यह सुविधा आयोग ने 6 महीने पूर्व ही प्रदान की है।
अधिवक्ता गिरिश श्रीवास्तव ने बताया कि एक प्रकरण है जिसमें रुखमणी निषाद व उसके पति ने 25-25 लाख रुपए सहारा इंडिया में इनवेस्ट किया था। लेकिन उसका पैसा कंपनी नहीं दे रही है। दोनों ने उपभोक्ता आयोग में वसूली के लिए लगाया है। पिछले एक साल से केस पेंडिंग है। कोरम के अभाव में प्रकरण टल रहा है और उपभोक्ता को न्याय नहीं मिल पा रहा है। उपभोक्ता भारत लाल दीवान ने बताया कि उन्होंने एसबीआई से लोन लिया था। लोन पूर्ण होने पर जब स्टेटमेंट की जांच की गई तो पता चला कि एसबीआई ने 30 से 40 हजार रुपए की अधिक वसूली की है। इसके बाद उसने उपभोक्ता आयोग में न्याय पाने के लिए आवेदन किया है।
इसी तरह फ्लेटिंग के मामले में चल रहा केस के उपभोक्ता रमेश गुप्ता ने बताया कि उपभोक्ता आयोग में प्रकरण दर्ज है। भारतीय स्टेट बैंक के विरुद्ध मामला चल रहा है। बैंक के अधिकारियों ने टर्म को बदलकर फ्लेटिंग ब्याज के बढ़ते दर पर कर दिया और एक्स्ट्रा एक लाख रुपए की वसूली कर ली है। मामला आयोग में है, लेकिन सुनवाई ही नहीं हो रही है।