महासमुन्द

आरोप-पक्ष में बोलने के लिए बलौदाबाजार और आरंग से लोग पहुंचे थे
उत्तरा विदानी
महासमुंद, 8 अक्टूबर (‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता)। कौंवाझर पंचायत के खैरझिटी गांव में करणीकृपा पॉवर प्राइवेट लिमिटेड की मिनी स्टील प्लांट को लेकर पर्यावरण अफसरों के सामने हुई जनसुनवाई में अधिकांश ग्रामीणों ने कल अपना विरोध दर्ज कराया है। प्लांट के पक्ष में बोलने के लिए बलौदाबाजार और आरंग से लोग पहुंचे थे। लेकिन सैकड़ों महिलाओं और पुरुषों ने जिला प्रशासन पर ग्रामीणों की बात नहीं सुनने का आरोप लगाते हुए जमकर नारेबाजी की। गुस्साए ग्रामीण प्लांट मैनेजमेंट के वाहन के सामने खड़े हो गए। ग्रामीणों के आक्रोश को देखते हुए मैनेजमेंट और स्टाफ दबे पांव दूसरे रास्ते से निकल गए।
मालूम हो कि महासमुंद जिले के कौंवाझर पंचायत के खैरझिटी गांव में करणीकृपा पॉवर प्राइवेट लिमिटेड के स्टील प्लांट संचालित है। गांव का एक वर्ग इस प्लांट के समर्थन में हैं, जबकि दूसरा वर्ग विरोध में।
इस गांव के सरपंच पर ग्रामीणों का आरोप है कि फर्जी सहमति पत्र जमा कर ग्रामीणों का समर्थन लिया है। इसी बात को लेकर गुरूवार को दो घंटे चली जनसुनवाई में पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन नई दिल्ली के अफसरों के सामने ग्रामीणों ने प्लांट लगाने से किन-किन परेशानियों का सामना करना होगा, इस पर बारी-बारी से अपना विरोध दर्ज कराया।
इसके बाद जनसुनवाई से निकले अफसरों पर ग्रामीण और किसानों ने पूरी बात नहीं सुनने का आरोप लगाया और नारेबाजी करते हुए प्लांट मैनेजमेंट के वाहन के सामने खड़े हो गए। ग्रामीणों ने स्कूल परिसर आने जाने वाले मार्ग को अवरूद्ध भी किया। लिहाजा स्टील प्लांट के मैनेजमेंट और स्टाफ को दबे पांव दूसरे रास्ते से निकलना पड़ा।
यहां स्टील प्लांट के विरोध में कौंवाझर, खैरझिटी, कुकराडीह, जोबा, भोरिंग, अछोला, अछोली, पीढ़ी, मालिडीह, पिरदा, परसाडीह, तुमगांव, महासमुंद के अलावा अखिल भारतीय क्रांतिकारी किसान सभा और जनप्रतिनिधियों ने भी स्टील प्लांट का जमकर विरोध किया। इस दौरान स्टील प्लांट के समर्थकों ने समर्थन पत्र और विरोधकर्ताओं ने भी लिखित विरोध पत्र अफसरों को सौंपा है।
करणीकृपा पॉवर प्राइवेट लिमिटेड की ओर से नवीन कुमार चौधरी और निर्णय चौधरी ने बताया कि परियोजना प्रस्तावना और राज्य शासन के नियमानुसार पहले चरण में 5 सौ से अधिक लोगों को रोजगार दिया जाएगा। इनमें कुशल और अकुशल शामिल होंगे।
उन्होंने यह भी बताया कि प्रदूषण नियंत्रण के लिए ईएसपी मशीन लगाएं जाएंगे और उद्योग द्वारा सीएसआर फंड से स्कूल में रेन वाटर हार्वेस्टिंग, स्कूल का उन्नयन, एम्बुलेंस और प्रदूषण रहित रखने के लिए पौधरोपण भी किया जाएगा। इस जनसुनवाई में संसदीय सचिव विनोद सेवनलाल चंद्राकार, पर्यावरण विभाग से मनीष कश्यप, एडीएम डॉ.नेहा कपूर, एडिशनल एसपी मेघा टेंभूरकर, एसडीएम बीपी जायसवाल, तहसीलदार प्रमु साहू सहित प्लांट के मेनेजमेंट मौजूद थे।
पर्यावरण अफसरों के सामने स्टील प्लांट मेनेजमेंट पोल खुल गई। जनसुनवाई के दौरा स्टील प्लांट की पैरवी करने दो लोग पहुंचे थे। इनमें एक बलौदाबाजार से और दूसरा आरंग विधानसभा के ग्राम अकोली का पता बता रहे थे। इन दोनों का महासमुंद जिले से कोई लेना देना नहीं था। यहां बहुत से लोग स्टील प्लांट के समर्थन में बाहर से भी आये थे। इस दौरान भीड़ इतनी थी कि अपना समर्थन देने के बाद बहुत लोग जनसुनवाई स्थल से नदारद हो गए। जिन्हें कौंवाझर एवं खैरझिटी तथा कुकराडीह के पंच-सरपंच भी नहीं पहचानते थे। जनसुनवाई से पहले स्टील प्लांट के लिए समर्थन जुटाने पिछले चार दिनों से कौंवाझर सहित अन्य कई गांवों में सैकड़ों अजनबियों का डेरा है।
कौंवाझर के पूर्व सरपंच लक्ष्मण यादव, विजय यादव, लक्ष्मीनारायण ध्रुव, कुंदन ध्रुव सहित पंचों का कहना है कि स्टील प्लांट मैनेजमेंट के लोग शाम रात को गांव के चक्कर लगाते थे और लोगों को चार दिनों से बकरा पार्टी के साथ शराब पीने के लिए पैसे देते थे। स्टील प्लांट का विरोध करने वाले अधिकांश बुजुर्ग महिलाएं हंै, जबकि प्लांट का समर्थन करने वाले युवा वर्ग के हंै।
जीवनलाल साहू
कुकराडीह सरपंच जीवन लाल साहू कहते हैं कि पर्यावरण अफसरों के सामने मैंने कहा कि ऐसे एक प्लांट में काम करते हुए प्रदूषण और डस्ट से गांव के 4 युवाओं की मौत हो चुकी है। पैसे कमाने के लिए जीवन से खिलवाड़ नहीं किया जा सकता। शहरों के अपेक्षा गांव के लोग लंबी उम्र तक जिन्दगी जीते हैं। क्योंकि गांव प्रदूषण मुक्त होता है। मैंने कहा कि मेरे पंचायत ने आपके स्टील प्लांट के विरोध में प्रस्ताव दिया है।
उदयराम चंद्राकर
गांव के उदयराम चंद्राकर कहते हैं कि पॉवर प्लांट में काम करते हुए प्लांट से निकलने वाली प्रदूषण और डस्ट आंख में चले जाने से मेरा एक आंख खराब हो चुका था। इलाज में 4 लाख रुपये खर्च किया गया था। लेकिन प्लांट वालों ने एक रुपये की मदद नहीं की। प्लांट लगाने से पहले बहुत से दावे किए जाते हैं, लेकिन एक बार प्लांट लगने के बाद वे किसी की भी नहीं सुनते।
डिगेश्वरी चंद्राकर
पंच डिगेश्वरी चंद्राकार कहती हैं कि प्लांट मेनेजमेंट और गांव के सचिव से मिलीभगत कर फर्जी पंचायत प्रस्ताव बनाकर दे दिया गया है। जबकि मेरे अलावा सभी महिला पंच पहले से ही प्रदूषण और उससे निकलनी वाली डस्ट को लेकर स्टील प्लांट के खिलाफ है। गांव के जो भी व्यक्ति प्लांट को अपना समर्थन दे रहा है, वह गांव का विनाश चाहता है।
तारेंद्र यादव
उप सरपंच तारेंद्र यादव कहते हैं कि सरपंच ने प्लांट के समर्थन में फर्जी प्रस्ताव बनाकर दिया है। जिसकी लिखित शिकायत कलेक्टर से की गई है। गांव के अधिकांश लोग खेती किसानी को लेकर चिंतित हैं। स्टील प्लांट लगने की जानकारी जब से मुझे हुई है, तब से मुझ पर राजनीतिक दबाव बनाया जाता रहा। राजनीतिक दबाव में आकर मैं समर्थन कैसे कर सकता हूं? मुझे और मेरे परिवार को तो इसी गांव में रहना है। आने वाले समय में प्रदूषण की चपेट में आकर खेती किसानी चौपट हो गई तो कोई भी राजनीतिक दल मुझे या मेरे परिवार का भरणपोषण नहीं करेगा।