महासमुन्द

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
महासमुंद, 6 अक्टूबर। कृषि विज्ञान केन्द्र भलेसर में सोमवार को आजादी का अमृत महोत्सव अंतर्गत उर्वरकों में प्रत्यक्ष लाभ हस्ताक्षरण डीबीटी प्रणाली का पांच वर्ष पूर्ण होने के अवसर पर उर्वरक जागरूकता कार्यक्रम एवं कृषक वैज्ञानिक परिचर्चा का आयोजन किया गया। इसमें जिले के अनेक किसान शामिल हुए।
कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों को उर्वरक का संतुलित मात्रा में उपयोग करने तथा प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण डीबीटी, पीओएस एवं डिजीटल ट्रांजेक्शन के द्वारा उर्वरकों की खरीदी के बारे में जानकारी प्रदान की गई तथा इसका उपयोग मृदा स्वास्थ्य कार्ड के आधार पर ही करने की सलाह दी गई। ताकि पौधों को सहीं मात्रा में पोषक तत्व मिलने के साथ ही उसका वातावरण एवं मनुष्यों के स्वास्थ्य पर भी विपरीत असर ना पड़े। इसके लिए खेतों में रासायनिक खाद का उपयोग कम करने तथा जैविक खाद का उपयोग अधिक से अधिक करने की सलाह दी गई।
इस दौरान वैज्ञानिकों ने उर्वरकों के उपयोग से फसलों पर पडऩे वाले विपरीत प्रभाव, मृदा स्वास्थ्य सुधार एवं फसल पोषण में मिट्टी परीक्षण का महत्व, पोषक तत्व की दक्षता बढ़ाने के लिए खाद एवं उर्वरकों के मिले-जुले प्रयोग, फ सल प्रणाली में दलहनी फ सलों के समावेश से लाभ, समन्वित पोषक तत्व के लाभ, जैव उर्वरकों के प्रभावी उपयोग, जैव उर्वरकों द्वारा बीज उपचार, हरी खाद का उपयोग, गोबर खाद, केंचुआ खाद, नाडेप कम्पोस्ट का उपयोग, नत्रजन, पोटाश, द्वितीयक एवं सूक्ष्म पोषक तत्व के संतुलित उपयोग एवं ड्रिप फर्टीलाईजेशन से ऊर्वरकों की दक्षता में वृद्धि इत्यादि विषयों पर जानकारी दी।