महासमुन्द

चूल्हा-चौका के साथ एलईडी बल्ब बनाकर बिखेर रही हैं रौशनी
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
महासमुंद, 28 सितम्बर। आजकल देश में इलेक्ट्रॉनिक बाजार में मशहूर मल्टी नेशनल कंपनियों के बीच बड़ी प्रतिस्पर्धा है। लेकिन अब आपको जानकर हैरानी होगी कि महासमुंद जिले के ब्लॉक बागबहारा के ग्राम मरार कसही बाहरा में बिहान के अंतर्गत गठित सखी सहेली समूह स्व सहायता समूह की ग्रामीण इलाके की कुछ घरेलू महिलाओं ने अपने दम पर इन कंपनियों को कड़ी टक्कर देने में जुटी हैं।
लोगों का मानना है कि स्वसहायता समूहों को मार्केटिंग के स्तर पर थोड़ा और सरकार का साथ मिल जाए, तो ये महिलाएं अंधरे को रोशनी में तब्दील कर सकती हैं। वैसे शासन और जिला प्रशासन इनका ज़रूरी पूरा सहयोग कर रहा है।
राजेश्वरी चंद्राकर और यशवानी साहू सखी सहेली स्वयं सहायता समूह का हिस्सा है, जो अपने दम पर कई जगह रोशनी बांट रही हैं। मरार कसहीबाहरा में 10-12 महिलाओं का एक स्वयं सहायता समूह है। जिन्होंने हाल ही में एलईडी बल्ब, बैटरी बल्ब (बत्ती जाने पर 3 घंटे रोशनी देते हैं), बिजली की माला, नाइट लैम्प, झूमर बनाने का काम शुरू किया और 15-20 दिनों के भीतर ही 10 हज़ार रुपए का बल्ब बेचा।
समूह की अध्यक्ष राजेश्वरी कहती हैं, मेरे पति और पारिवारिक मित्र से मैंने इसका प्रशिक्षण लिया। फिर रॉ मटेरियल यानी कच्चा माल दिल्ली से लायी। इसके बाद गांव की और भी महिलाओं को प्रशिक्षित की। अब महिलाएं खुद ही इनको असेम्बल करने में जुट जाती हैं। हम सस्ते दाम पर एलईडी बल्ब, बैटरी बल्ब जो बिजली जाने के बाद भी 3 घंटे तक रोशनी देते हैं, बनाती हैं। इसके अलावा कलरफूल, नाइट लैम्प, बिजली की झालर औऱ झूमर तैयार कर रही हैं। 9 वॉट का एलईटी बल्ब 30 रुपए का और बेटरी बल्ब की क़ीमत 270 रुपए है। बैटरी बल्ब की 6 माह की गारंटी भी देती है। हमने प्रचार के लिए दो लडक़े भी रखे हंै जो गांव.गांव, बाज़ार-बाजार जाकर इसका प्रचार और मार्केट में मदद कर रहे हैं।
इस तरह जो महिलाएं कभी चूल्हा-चौका और खेती किसानी तक ही सीमित रहती थीं, अब रोशनी देने का काम भी कर रही हैंं। इन महिलाओं को आशा है कि सरकार मार्केट के स्तर पर कुछ बेहतर पहल करें। इनको आशा है कि यदि जिला प्रशासन सरकारी कार्यालय, स्कूल, शाला आश्रमों और कालेज आदि में उनके बनाए बल्ब खऱीदने के निर्देश दें तो बड़ी और मशहूर कम्पनियों का मुकाबला कर सकती हैं।
बताना जरूरी है कि ये महिलाएं अपने दम पर एलईडी बल्ब समेत अन्य आइटम खुद असेम्बल कर रही हैं। इनकी सप्लाई जिले के अलावा पड़ोसी जिलों तक करने की इच्छा रखती हैं। समूह में जुडऩे से पहले अधिकांश सदस्य खेती मजदूरी का काम कर रही थी। बिहान से जुडक़र सभी महिला सदस्य नियमित बचत, बैठक आदि करती थी। मालूम हुआ है कि अच्छे समूह का पहचान पाकर बिहान क्रेडर द्वारा इन समूह का आर एफ 150000 फॉर्म भरा तथा सीआईएफ 60000 फॉर्म भरकर उन्हें लाभ प्राप्त करवाया है। इसी राशि में से सखी सहेली समूह एलईडी लाईट बनाने का कार्य शुरू किया।
इसके लिए अधिक राशि की आवश्यकता हुई तो एफ एलसीआरपी ने इस समूह को बैंक लिंकेज एक लाख रुपए उपलब्ध कराया। और रिन्यूअल भी दो लाख का कराया। आज इनका समूह बड़ी बजट में एलईडी लाईट बनाने का कार्य कर रही हैं। सखी सहेली समूह के सभी सदस्य अपने स्तर में गांव-गांव जाकर प्रचार प्रसार भी कर रहे हैं। जनपद पंचायत बागबाहरा में जनपद अध्यक्ष,सीईओ एवं अन्य विभागों में प्रचार प्रसार किया जा रहा है तथा बिक्री भी हो रही है।