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बस मालिकों ने टैक्स माफ करने, किराया बढ़ाने की मांग रखी
'छत्तीसगढ़' संवाददाता
रायपुर, 26 जून। राज्य सरकार ने आज से निजी यात्री बसों के संचालन की अनुमति दे दी है, लेकिन राजधानी रायपुर समेत प्रदेश की सड़कों पर कोई बसें नहीं चलीं। सभी बसें बस स्टैंड-आसपास खड़ी रहीं और यात्री भटकते रहे। दूसरी ओर बस मालिकों ने टैक्स माफ और डीजल के दाम में वृद्धि समेत अपनी आधा दर्जन मांगें रखी हैं। उनका कहना है कि वे सभी अपनी मांगों को लेकर आजकल में परिवहन आयुक्त से चर्चा करेंगे। इसके बाद ही प्रदेश में धीरे-धीरे बसों का संचालन शुरू करेंगे।
प्रदेश में लॉकडाउन के बाद से करीब 13 हजार निजी बसें खड़ी हुई हैं। तीन महीने में कई बसें पंचर हो गई हैं। कई बसों की बैटरी डाउन हो गई या लाइट, हॉर्न, ब्रेक खराब हो गए हैं। अधिकांश बसें तुरंत सड़कों पर चलने की स्थिति में नहीं है। जबकि सरकार ने एकाएक इन बसों के संचालन की अनुमति दे दी। बस मालिकों का कहना है कि तीन महीने से खड़ी बसों को बिना फिटनेस के साथ सड़कों पर उतारना कठिन है। इससे हादसों का डर बना रहेगा। ऐसे में वे बसों की मरम्मत के साथ ही धीरे-धीरे बसों को सड़कों पर उतारेंगे।
छत्तीसगढ़ यातायात महासंघ के प्रकाश देशलहरा व अन्य पदाधिकारियों का कहना है कि सरकार ने लॉकडाउन में छूट के साथ निजी बसों के संचालन की अनुमति दे दी है, लेकिन बस मालिकों की भी कुछ मांगें हैं। अपनी मांगों को लेकर वे सभी आजकल में परिवहन आयुक्त से चर्चा करेंगे। इसके बाद ही अपनी बसों का संचालन शुरू करेंगे। उनकी मांगों में लॉकडाउन अवधि को छोड़कर छह महीने का टैक्स माफ करने, फार्म के एवं एम की अनिवार्यता खत्म करने, डीजल की कीमत में लगातार वृद्धि को देखते हुए यात्री किराया बढ़ाने, बसों की किश्त में से ब्याज माफ करने आदि शामिल हैं।
बस मालिकों का कहना है कि है कि सामाजिक दूरी समेत अन्य शर्तों के साथ बस संचालन से उन्हें काफी नुकसान होगा। वैसे भी तीन महीने से बसों के खड़ी होने से उसका फिटनेस खत्म हो गया है। अभी इस महीने सिर्फ पांच दिन बस चलाकर पूरे महीनेभर का टैक्स देने से कोई मतलब नहीं हैं। फिलहाल सड़कों पर यात्री भी कम मिलेंगे। ऐसे में बस मालिक बसों की मरम्मत कराने के साथ ही धीरे-धीरे बसों का संचालन शुरू करेंगे। जब तक उनकी शासन-प्रशासन से चर्चा भी हो जाएगी।