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नई दिल्ली, 25 जून। सुप्रीम कोर्ट ने ढ्ढष्टस्श्व द्वारा आयोजित परीक्षा भी रद्द करने का आदेश दिया है। आईसीएसई ने सुप्रीम कोर्ट को कहा कि हम परीक्षा रद्द करने के लिए सहमत हैं। महाराष्ट्र राज्य ने बॉम्बे हाईकोर्ट को बताया है कि वे परीक्षा आयोजित नहीं कर सकते। इसलिए अब आईसीएसई बोर्ड की परीक्षाएं भी रद्द कर दी गई है। इसमें आंतरिक मूल्यांकन प्रणाली का पालन होगा। हालांकि आईसीएसई ने बाद में परीक्षा देने का विकल्प नहीं रखा है। सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट को आदेश पारित करना चाहिए कि इस मामले के बारे में मामला सुप्रीम कोर्ट में आना चाहिए न कि हाईकोर्ट में।
जुलाई महीने में बोर्ड की बची हुई परीक्षाएं होनी थीं, जिसके खिलाफ अभिभावकों की ओर से याचिकाएं डाली गई थी। इसमें कहा गया था कि कोविड-19 के संक्रमण के बीच बोर्ड को ये परीक्षाएं रद्द कर देनी चाहिए। बता दें कि काउंसिल फॉर द इंडियन स्कूल सर्टिफिकेट एग्जामिनेशन (आईसीएसई) ने कुछ समय पहले ही 10वीं और 12वीं के बचे हुए पेपर्स की परीक्षा के लिए शेड्यूल जारी किया था। ये परीक्षाएं जुलाई में होने वाली थीं। टाइम टेबल के अनुसार, आईसीएसई बोर्ड की परीक्षा 1 जुलाई से 14 जुलाई तक संचालित होनी थीं। लेकिन इन परीक्षाओं को रद्द कर दिया गया है, यानी परीक्षाएं आयोजित नहीं की जाएंगी।
क्या है पूरा मामला?
दरअसल, महाराष्ट्र राज्य में कोरोनावायरस के तेजी से बढ़ते हुए मामले देखकर बॉम्बे हाई कोर्ट ने पिछले हफ्ते राज्य सरकार को निर्देश दिए थे कि वो स्पष्ट करें कि राज्य में आईसीएसई बोर्ड को 10वीं और 12वीं की पेंडिंग परीक्षाएं आयोजित करने के लिए अनुमति देते हैं या नहीं। कोर्ट ने राज्य सरकार से परीक्षाओं को लेकर उनका स्टैंड क्लियर करने के लिए कहा था। इसपर सरकार ने कोर्ट में अपना पक्ष रखते हुए कहा था कि इंडियन सर्टिफिकेट ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन (आईसीएसई) बोर्ड को कोविड-19 स्थिति के मद्देनजर जुलाई में 10वीं और 12वीं क्लास की पेंडिंग परीक्षाएं आयोजित करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है।
वहीं, इससे पहले आईसीएसई बोर्ड ने बॉम्बे हाई कोर्ट के सामने अपना प्रस्ताव रखा था कि 10वीं और 12वीं क्लास के स्टूडेंट्स अगर चाहें तो परीक्षाओं को छोड़ सकते हैं। परीक्षा न देने का विकल्प चुनने वाले स्टूडेंट्स का रिजल्ट प्री- बोर्ड एग्जाम की परफॉर्मेंस या इंटरनल असेसमेंट के आधार पर जारी किया जाएगा।