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कांग्रेस ने भाजपा को गिनाया, चीन से उसके कब क्या रिश्ते रहे, कब बुलाया, कब गए...
25-Jun-2020 3:27 PM
कांग्रेस ने भाजपा को गिनाया, चीन से उसके कब क्या रिश्ते रहे, कब बुलाया, कब गए...

'छत्तीसगढ़' संवाददाता

नई दिल्ली, 25 जून। भारत-चीन सीमा विवाद और फौजी तनाव के बीच कल से कांग्रेस पर यह तोहमत लगाई गई है कि चीन की सत्तारूढ़ पार्टी के साथ उसका एक गठबंधन रहा है। इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका भी दर्ज की गई है जिसमें कहा गया है कि कांग्रेस और कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना के बीच 2008 में हुए समझौते की जानकारी दी जाए। कोर्ट के बाहर भी कांग्रेस पर ये आरोप लगाए जाते रहे हैं कि राहुल गांधी चीनी राजदूत और चीन के दूसरे लोगों से मिलते रहे हैं, जबकि वे विपक्ष में थे, और सरकार में नहीं थे। कांग्रेस ने आज तथ्यों के साथ इन आरोपों पर जमकर हमला किया है। 

कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने आज ऐसे दर्जन भर मौकों को गिनाया है जब भाजपा के नेता, या उसके मुख्यमंत्री चीन की सरकार, वहां की पार्टी के साथ गहरे रिश्ते निभा रहे थे, चीन जा रहे थे, वहां से सत्तारूढ़ पार्टी को हिन्दुस्तान बुला रहे थे। 

पवन खेड़ा ने एक लंबे बयान में कहा-   आज देश की सीमाओं पर एक गंभीर चुनौती आई है। सरकार के सामने दो विकल्प हैं, या तो पूरे देश को साथ लेकर सेना के पीछे खडे होकर चीन का मुकाबला करें और या शुतुरमुर्ग की तरफ रेत मे सर छुपाकर यह मान लें कि एलएसी पर कोई घुसपैठ हुई ही नहीं।  
 
उन्होंने कहा- अफसोस कि मोदी सरकार ने एक तीसरा रास्ता चुना, जहां जो सेवानिवृत सेना अधिकारी, सुरक्षा विशेषज्ञ, विपक्ष, मीडिया कोई भी अगर सरकार से सीमाओं की अखंडता पर प्रश्न पूछे या सरकार को आगाह करें तो उन्हें लाल आंख दिखाई जा रही है और देश के दुश्मन को क्लिन चिट दी जा रही है। प्रधानमंत्री का वक्तव्य कि कोई घुसपैठ हुई ही नहीं आज तक चीन पूरे विश्व समुदाय को मोदी जी द्वारा दी गई एक क्लिन चिट के तौर पर दिखा रहा है। मोदी जी कहते हैं कि चीन आया ही नहीं और चीन भी कह रहा है कि हम तो अपने भूभाग पर हैं और गलवान हमारा भूभाग है। जब पूरे देश में इस वक्तव्य पर गुस्सा और रोष दिखाई देने लगा तो प्रधानमंत्री कार्यालय, प्रधानमंत्री के वक्तव्य का खंडन करता है लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी होती है। 
 
पवन खेड़ा ने कहा- दोस्तों, कूटनीति के क्या उद्देश्य होते हैं देश के आर्थिक हितों की रक्षा और देश के सामरिक हितों की रक्षा करना। कूटनीति के परम्परागत माध्यम के अलावा ट्रैक 2 एवं टै्रक 3 और भी कई माध्यम मानें जाते हैं। जब पार्टी से पार्टी अथवा आर्गनाइजेशन से आर्गनाइजेशन आदान प्रदान किए जाते हैं तो वह ट्रैक 2 एवं ट्रैक 3 की श्रेणी में गिना जाएगा।
 
उन्होंने कहा- जब राजनाथ सिंह जी भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष थे तब चीन की कम्युनिस्ट पार्टी का प्रतिनिधि मंडल 30 जनवरी 2007 को उनसे मिलने आया और वक्तव्य में भारतीय जनता पार्टी द्वारा यह कहा गया कि भारतीय जनता पार्टी और चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के ऐतिहासिक संबंध हैं।
 
17 अक्टूबर 2008 को चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के पोलित ब्यूरो के महत्वपूर्ण सदस्य राजनाथ सिंह जी से मिले और फिर से यह दोहराया गया कि चीन की कम्युनिस्ट पार्टी और भारतीय जनता पार्टी के संबधों को सुदृढ़ किया जाना चाहिए।

पवन खेड़ा ने कहा- जनवरी 2009 में आरएसएस एवं भाजपा के एक प्रतिनिधिमंडल ने चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के आमंत्रण पर पांच दिवसीय यात्रा की। जहां अरूणाचल प्रदेश और तिब्बत पर चर्चा की गई। न तो आरएसएस एक राजनीतिक दल है और न भारतीय जनता पार्टी सत्ता में थी, लेकिन चीन जाकर, चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के साथ बैठकर अरूणाचल प्रदेश और तिब्बत जैसे महत्वूपर्ण विषयों पर चर्चा की जा रही थी।
 
19 जनवरी 2011 को भारतीय जनता पार्टी के उस वक्त के अध्यक्ष नितिन गडकरी भाजपा के एक प्रतिनिधि मंडल को चीन की पांच दिवसीय यात्रा पर ले गए, भाजपा और चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के संबंधों को और मजबूती देने के उद्देश्य से।
 
पवन खेड़ा ने आगे कहा- मई 2014 में भाजपा की सरकार बनी और नवम्बर 2014 में भाजपा के 13सांसद व विधायक एक सप्ताह की यात्रा पर चीन गए। यात्रा का उद्देश्य था दोनों सतारूढ़ दलों को मजबूती देना। यह प्रतिनिधिमंडल चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के स्कूल जिसको 'द पार्टी स्कूल' कहा जाता है वहां पार्टी को किस तरह चलाया जाता है वह सीखने गए।
 
उन्होंने आगे कहा- नरेन्द्र मोदीजी के चीन से संबंध कोई आज के तो हैं नहीं जब मोदी जी गुजरात के मुख्यमंत्री थे उस वक्त की परिस्थितियों में विश्व के अनेक देश मोदी जी के संपर्क में नहीं आना चाहते थे। 2 ही देश थे जिन्होंने मोदी जी से संबंध बनाए और रखे, चीन उनमें से प्रमुख था बतौर मुख्यमंत्री मोदी जी ने 4 बार चीन की यात्रा की और अनेक बार चीन के महत्वपूर्ण पदों पर आसीन लोगों की गुजरात यात्रा हुई। वाइब्रेरेंट गुजरात में चीनी कंपनियों का एक अलग ही महत्व दिखता था। जब मई 2014 में मोदीजी प्रधानमंत्री बनें तब 'ग्लोबल टाइम्स' जो चीन की सतारूढ़ पार्टी का मुखपत्र माना जाता है ने लिखा चीन मोदी जी एवं भारतीय जनता पार्टी के साथ काम करने में बहुत सहज महसूस करता है। 'ग्लोबल टाइम्स' लिखता है कि मोदी जी का काम करने का तरीका एवं सोच चीन के बहुत नजदीक है। 'ग्लोबल टाइम्स' आगे लिखता है  “As a right-winger in Indian politics, Modi is more likely to become India's "Nixon" who will further propel the China-India relationship”
 
पवन खेड़ा ने कहा- 2014 के बाद का इतिहास भी सबके सामने है। मोदीजी बतौर प्रधानमंत्री 5 बार चीन गए और 3 बार  चीन के राष्ट्रपति को भारत आमंत्रित किया। 2014 में अहमदाबाद, 2016 में गोवा और 2019 में महाबलिपुरम में।
 
हम सब ने देखा कि एक तरफ मोदी जी और चीन के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री जी साबरमती के किनारे झुला झुलते हुए फोटो खिंचवा रहे थे और वहीं दूसरी तरफ चीन के सैनिक लद्दाख के चुमार इलाके में घुसपैठ कर रहे थे।


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