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'छत्तीसगढ़' संवाददाता
केशकाल, 18 जून। कोंडागांव के क्वॉरंटीन सेंटरों के कर्मचारियों के द्वारा मजदूरों की व्यवस्था व सुरक्षा को लेकर लापरवाही का मामला सामने आया है। बीती रात झारखंड से पहुंचे 46 मजदूरों को किसी च्ॉरंटीन सेंटर में जगह न मिलने के कारण रात 3 से सुबह 8 बजे तक सड़क किनारे भूखे-प्यासे बैठे रहे।
कोंडागांव कलेक्टर पुष्पेंद्र कुमार मीणा द्वारा क्वॉरंटीन सेंटरों में बाहर से आये मजदूरों की मूलभूत सुविधाओं का ध्यान रखने के लिए सख्त निर्देश दिए थे साथ ही इसमें लापरवाही होने पर जिम्मेदार अधिकारियों पर कड़ी कर्रवाई करने की बात कही थी। लेकिन केशकाल में कुछ अलग ही नजर देखने को मिल रहा है, जहां झारखंड से छत्तीसगढ़ के लिए 16 जून को 46 मजदूर निकले थे जिनमें कांकेर, कोंडागांव आदि जिलों के मजदूर शामिल थे। जहां केशकाल ब्लॉक के 12, विश्रामपुरी से 24 , माकड़ी से 5, उड़ीसा से 1, कांकेर से 4 मजदूर थे। वे सब बीती रात लगभग 12 बजे सभी मजदूर खलेमुरवेंड स्क्रीनिंग सेंटर पहुंचे जहां जांच प्रक्रिया पूरी होते होते देर रात 3 बज गए। इसके बाद मजदूरों को स्क्रीनिंग सेंटर से केशकाल क्वॉरंटीन सेंटर बालक स्कूल में भेजा गया, जहां पर मजदूरों की सुध लेने के लिए कोई नहीं था। इसके बाद मजदूरों को 3 अलग-अलग क्वॉरंटीन सेंटरों में घुमाया गया। कहीं शरण नहीं मिलने पर बस के ड्राइवर ने उन्हें वापस बालक स्कूल लाकर छोड़ दिया।
मजदूरों से बात करने पर उन्होंने बताया कि हम झारखंड से 16 जून को निकले थे, जिसके बाद बीती रात 12 बजे खलेमुरवेंड स्क्रीनिंग सेंटर में रुके थे, बीते 2 दिनों से हमें खाने-पीने की कोई सुविधा नहीं मिली है, इसलिए 2 दिनों से हम भूखे-प्यासे सफर कर रहे हैं और केशकाल आने के बाद भी हमें ठहरने के लिए भी किसी प्रकार की सुविधा नहीं मिली है।
सुबह-सुबह जब लोगों ने भारी संख्या में मजदूरों को सड़क के किनारे बैठे हुए देखा उनसे पूछताछ किया गया तो उन्होंने अपनी व्यथा बताई, कि किस प्रकार से उन्होंने 2 दिनों में भूखे-पेट झारखंड से छत्तीसगढ़ तक का सफर तय किया तथा अभी तक उन्हें किसी च्ॉरंटीन सेंटर में जगह नहीं दी गयी है। जिसके बाद स्थानीय प्रशासन के द्वारा उन सभी को ग्राम धनोरा के क्वॉरंटीन सेंटर में शिफ्ट किया गया।