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प्रतीकात्मक तस्वीर
'छत्तीसगढ़' संवाददाता
बिलासपुर 17 जून। नगरीय क्षेत्रों को आवारा पशु मुक्त, स्वच्छ एवं दुर्घटना मुक्त रखने के लिये 19 जून से 30 जून तक रोका-छेका अभियान समस्त नगरीय निकायों में चलाया जायेगा।
राज्य के ग्रामीण परिवेश में फसल बोआई कार्य के पूर्व खुले में चराई कर रहे पशुओं के नियंत्रण हेतु रोका-छेका प्रथा प्रचलित है। शहरों के आसपास स्थित फसलों, बाडिय़ों, उद्यानों की सुरक्षा हेतु इस प्रकार की व्यवस्था की जाती है। कलेक्टर डॉ. सारांश मित्तर ने जिले में रोका-छेका की वृहद तैयारी सुनिश्चित करने के लिये संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिया है।
कार्यक्रम की शुरूआत में 19 जून को पशुपालकों द्वारा इस हेतु संकल्प पत्र भरा जायेगा। नगरीय निकायों में इस कार्यक्रम के व्यापक प्रचार-प्रसार हेतु मुनादी करायी जायेगी। नगरीय निकाय में निर्मित गौठानों का आंकलन कर चारे की व्यवस्था प्राथमिकता के आधार पर की जायेगी। कलेक्टर ने आयुक्त एवं मुख्य नगर पालिका अधिकारी को निर्देश दिये हैं कि कोई भी मवेशी सार्वजनिक स्थल पर आवारा घूमते हुए न पाया जाये। आवारा घूमते हुए पशुओं को कैचर द्वारा गौठान भेजने की व्यवस्था की जाये। पालतू पशुओं को नियमानुसार जुर्माना का भुगतान करने के उपरांत ही मुक्त कर संबंधित पशुपालक को सौंपा जाये। उन्होंने निर्देशित किया है कि 30 जून के उपरांत यदि कोई मवेशी निकाय क्षेत्र में घूमता हुआ पाया जाता है तो इसके लिये संबंधित आयुक्त या मुख्य नगर पालिका अधिकारी जिम्मेदार होंगे।
कार्यक्रम की सफलता के लिये प्रत्येक वार्ड में वार्ड प्रभारी की नियुक्ति की जायेगी, जिनके द्वारा 18 जून 2020 तक वार्ड का सर्वेक्षण कर वार्ड में निवासरत पशुपालकों के नाम एवं पालतू पशुओं की जानकारी एकत्रित की जायेगी। निर्देशित किया गया है कि नागरिकों को पशुपालन के लिये अधिक से अधिक प्रोत्साहित किया जाये। नगरीय क्षेत्रों में स्थित कांजी हाउस गौठान की जानकारी से समस्त नागरिकों को अवगत कराने के साथ ही घूमते पाये जाने वाले आवारा पशुओं हेतु निकाय द्वारा निर्धारित दंड के बारे में भी व्यापक प्रचार-प्रसार किया जाये। पशुपालन से उत्सर्जित पदार्थों से खाद बनाने के लिये पशुपालकों को उत्साहित किया जाये। ऐसे स्थान जहां पर खाद निर्माण के लिये जगह की कमी हो रही है वहां पर निकायों में स्थित कम्पोस्ट शेड की जानकारी से भी अवगत कराना अनिवार्य होगा।