ताजा खबर
नोएडा, 27 दिसंबर। उत्तर प्रदेश में ग्रेटर नोएडा के एक निजी अस्पताल के चिकित्सकों और वरिष्ठ स्वास्थ्य अधिकारियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है।
एक महिला ने आरोप लगाया है कि वर्ष 2023 में प्रसव के दौरान उसके पेट में लगभग आधा मीटर लंबा सर्जिकल कपड़ा छोड़ दिया गया था, जिससे उसे करीब डेढ़ साल तक गंभीर दर्द सहना पड़ा। पुलिस ने शनिवार को यह जानकारी दी।
पुलिस ने बताया कि अदालत के निर्देशों पर नॉलेज पार्क थाने ने 24 दिसंबर को छह लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की, जिनमें चिकित्सक अंजना अग्रवाल और मनीष गोयल, गौतम बुद्ध नगर के मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) नरेंद्र कुमार और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी चंदन सोनी और आशा किरण चौधरी शामिल हैं।
प्राथमिकी के अनुसार, शिकायतकर्ता अंशुल वर्मा ग्रेटर नोएडा के डेल्टा वन सेक्टर की निवासी है। वह घरेलू सहायिका के रूप में काम करती है तथा आजीविका के लिए सिलाई और कढ़ाई का काम भी करती है। उसने आरोप लगाया कि 14 नवंबर 2023 को तुगलकपुर के 'बैक्सन हॉस्पिटल' में डॉ. अग्रवाल ने उसका प्रसव ऑपरेशन किया गया था।
प्राथमिकी में कहा गया है कि प्रक्रिया के दौरान लापरवाही के कारण लगभग आधा मीटर सर्जिकल कपड़ा उसके पेट के अंदर रह गया था। उसे 16 नवंबर 2023 को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई थी।
कुछ समय बाद ही उसकी सेहत बिगड़ने लगी और उसे पेट में दर्द होने लगा जो लगातार बढ़ता रहा। महिला ने बताया कि बाद में वह मुजफ्फरनगर स्थित अपने मायके गई, जहां चिकित्सकों ने उसे अल्ट्रासाउंड सहित कई चिकित्सकीय जांच कराने की सलाह दी।
प्राथमिकी में कहा गया है कि शिकायतकर्ता ने बताया कि उसने ग्रेटर नोएडा के शारदा अस्पताल और कई अन्य निजी अस्पतालों में चिकित्सकों से परामर्श लिया, लेकिन किसी ने भी उसके पेट में किसी बाहरी वस्तु के होने का संदेह नहीं जताया। महीनों के इलाज के बावजूद दर्द का कारण पता नहीं चल पाया।
वह 22 मार्च 2025 को तेज बुखार और पेट में गंभीर दर्द के साथ ग्रेटर नोएडा के यथार्थ सिटी अस्पताल गईं, लेकिन दर्द का सटीक कारण पता नहीं चल सका। इसके बाद अप्रैल की शुरुआत में जीआईएमएस अस्पताल में उसकी एमआरआई सहित कई और जांचें की गईं, हालांकि रिपोर्ट सामान्य बताई गई।
प्राथमिकी के अनुसार, महिला ने बाद में ग्रेटर नोएडा के कैलाश अस्पताल से संपर्क किया, जहां चिकित्सकों ने उसके पेट में गांठ का पता चलने पर सर्जरी की सलाह दी। ऑपरेशन 22 अप्रैल 2025 को किया गया।
सर्जरी के दौरान चिकित्सकों ने कथित तौर पर उसके पेट से आधा मीटर लंबा कपड़ा निकाला, जिसके बारे में शिकायतकर्ता का आरोप है कि यह वही कपड़ा था, जो 2023 में प्रसव के दौरान अंदर रह गया था। उसने सबूत के तौर पर कपड़े की तस्वीरें और वीडियो होने का दावा किया।
प्राथमिकी में कहा गया है कि महिला के पति ने बाद में सीएमओ को एक लिखित शिकायत सौंपी, जिसके बाद आंतरिक जांच का आदेश दिया गया और स्वास्थ्य विभाग के दो अधिकारियों को जांच अधिकारी नियुक्त किया गया।
शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि जांच में देरी हुई और उसके पेट से निकाले गए कपड़े को फोरेंसिक जांच के लिए नहीं भेजा गया। उसने यह भी आरोप लगाया कि आरोपी ने उसे और उसके पति को चुप रहने की धमकी दी।
प्राथमिकी में दावा किया गया है कि कथित लापरवाही के कारण महिला को दो बड़ी सर्जरी करानी पड़ीं और दूसरी सर्जरी के दौरान उसे आठ यूनिट खून चढ़ाया गया। चिकित्सकों ने कथित तौर पर कहा है कि आगे की सर्जरी संभव नहीं है, जिससे उसकी दोबारा गर्भधारण करने की क्षमता प्रभावित हो सकती है।
थाना प्रभारी सर्वेश चंद्र ने कहा, "प्राथमिकी दर्ज कर ली गई है और जांच जारी है।"
मुख्य चिकित्सा अधिकारी नरेंद्र कुमार ने 'पीटीआई भाषा' को बताया कि अदालत के निर्देशों के अनुसार कार्रवाई की जाएगी।
उन्होंने देरी के आरोपों से इनकार करते हुए कहा कि जांच अधिकारियों को कपड़ा (पेट से निकला) समय पर उपलब्ध नहीं कराया गया था। (भाषा)


