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हाईकोर्ट का पक्ष में फैसला आने के बाद भी सूचना आयोग में नियुक्ति नहीं
28-Nov-2025 2:37 PM
हाईकोर्ट का पक्ष में फैसला आने के बाद भी सूचना आयोग में नियुक्ति नहीं

सरकार की सुप्रीम कोर्ट में दो दिन बाद पेशी, इधर रिट अपील दायर
छत्तीसगढ़' संवाददाता 

बिलासपुर, 28 नवंबर। छत्तीसगढ़ में राज्य मुख्य सूचना आयुक्त और राज्य सूचना आयुक्तों के पद लंबे समय से खाली पड़े हैं। सुप्रीम कोर्ट के बार-बार कड़े निर्देश और फटकार के बावजूद राज्य सरकार नियुक्ति प्रक्रिया में तेजी नहीं दिखाई। हाईकोर्ट में एक याचिका खारिज होने के बाद राज्य सरकार के पास मौका था लेकिन फिर भी नियुक्तियों को रोककर रख दिया गया। अब उसे 1 दिसंबर को फिर सुप्रीम कोर्ट में जवाब देना है।

इस साल मार्च 2025 में राज्य सरकार ने राज्य सूचना आयुक्त के पदों के लिए विज्ञापन निकाला था। 163 लोगों ने आवेदन किया। सर्च कमेटी ने शॉर्टलिस्टिंग के लिए नया नियम बनाया कि केवल 25 साल या उससे अधिक अनुभव वाले उम्मीदवार ही इंटरव्यू के लिए पात्र होंगे। यह विज्ञापन में नहीं था, केवल इंटरव्यू के लिए चयन करते समय निर्धारित किया गया। इसके खिलाफ अंबिकापुर के अधिवक्ता डॉ. दिलेश्वर प्रसाद सोनी ने इस नियम को मनमाना बताते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। 11 नवंबर 2025 को हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने उनकी याचिका खारिज कर दी। अब डॉ. सोनी ने सिंगल बेंच के फैसले के खिलाफ डिवीजन बेंच में रिट अपील दाखिल कर दी है। अपील में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट के अंजलि भारद्वाज मामले (2019) में स्पष्ट निर्देश है कि शॉर्टलिस्टिंग के मानदंड पहले से सार्वजनिक होने चाहिए, जिसकी अवहेलना की गई है।

दूसरी ओर, सुप्रीम कोर्ट में चल रहे मूल मामले (अंजलि भारद्वाज व अन्य बनाम भारत संघ) की 17 नवंबर 2025 को हुई सुनवाई में छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से कहा गया था कि कोर्ट की कार्यवाही खत्म हो चुकी है और 6 हफ्ते में नियुक्तियां कर दी जाएंगी,  लेकिन अभी तक कोई नियुक्ति नहीं हुई है। सुप्रीम कोर्ट ने सख्ती दिखाते हुए अगली सुनवाई एक दिसंबर 2025 को तय की है। नियुक्तियों को लेकर क्या प्रगति हुई है, राज्य सरकार को इस बारे में जवाब देना है।
राज्य में सूचना का अधिकार कानून के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए सूचना आयोग का पूर्ण रूप से काम करना जरूरी है, लेकिन मुख्य आयुक्त व सदस्यों का पद खाली रहने से हजारों अपीलें लंबित पड़ी हैं। अब सभी की नजरें एक दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई और हाईकोर्ट में दायर अपील पर टिकी हैं।


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