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नयी दिल्ली, 27 नवंबर। तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के राज्यसभा सांसद साकेत गोखले ने निर्वाचन आयोग द्वारा पश्चिम बंगाल में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के लिए उपयोग किए जाने वाले ‘रहस्यमयी’ कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) ‘एप्लीकेशन’ पर सवाल उठाए।
निर्वाचन आयोग ने कहा है कि वे एसआईआर के लिए एआई का उपयोग करेंगे।
टीएमसी सांसद ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा कि ऐप और इसकी कार्य क्षमता के बारे में कोई विवरण उपलब्ध नहीं है।
गोखले ने कहा, ‘‘निर्वाचन आयोग का रहस्यमयी ‘एआई ऐप’... अब निर्वाचन आयोग कह रहा है कि बंगाल में एसआईआर के दौरान वह ‘एआई ऐप’ का इस्तेमाल करेगा। इस ऐप को किसने तैयार किया और इसकी कार्य क्षमता कैसी है, इसकी कोई जानकारी नहीं है।’’
निर्वाचन आयोग के अधिकारियों के अनुसार, आयोग पश्चिम बंगाल में मतदाता सूची के एसआईआर के दौरान फर्जी या मृत मतदाताओं के नाम मतदाता सूची से हटाने के लिए एआई-आधारित सत्यापन प्रणाली शुरू करने की तैयारी में है।
उन्होंने कहा कि मतदाता डेटाबेस में तस्वीरों में चेहरे की समानता का विश्लेषण करके एआई प्रणाली कई स्थानों पर पंजीकृत व्यक्तियों की पहचान करने में मदद करेगी।
गोखले ने ऐप को विकसित करने वाले और उसके विक्रेता के बारे में जानकारी मांगी तथा यह भी जानना चाहा कि क्या पारदर्शिता के लिए एआई का ऑडिट किया गया था।
उन्होंने सवाल किया, ‘‘जब मौजूदा पीडीएफ सॉफ्टवेयर आसानी से यह काम कर सकता है, तो दोहराव वाले नामों की खोज के लिए एआई की आवश्यकता क्यों है?’’
गोखले ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा निर्वाचन आयोग को लिखे गए पत्र का उल्लेख किया जिसमें बाहर से 1,000 ‘डाटा-एंट्री ऑपरेटर’ और 50 ‘सॉफ्टवेयर डेवलपर्स’ की नियुक्ति पर चिंता जताई गई थी।
उन्होंने कहा, ‘‘इसकी क्या गारंटी है कि इस रहस्यमय ऐप को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से जुड़े किसी व्यक्ति ने विकसित नहीं किया है?’’ (भाषा)


