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लोकसभा में "ऑपरेशन सिंदूर" पर विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने सरकार का पक्ष रखा.
उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच सैन्य संघर्ष को ख़त्म करने में किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता के दावों को पूरी तरह से ख़ारिज़ कर दिया.
विदेश मंत्री ने कहा कि 22 अप्रैल से 17 जून के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच कोई बातचीत नहीं हुई.
उन्होंने यह भी बताया कि 9 मई को अमेरिकी उप राष्ट्रपति जेडी वेंस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को फोन कर ये जानकारी दी कि अगले कुछ घंटों में पाकिस्तानी बड़ा हमला कर सकता है.
उन्होंने बताया, "प्रधानमंत्री ने अपने जवाब में यह स्पष्ट कर दिया कि यदि ऐसा कोई हमला होता है, तो हमारी ओर से इसका उचित जवाब दिया जाएगा."
उन्होंने कहा, "सीमा पार आतंकवाद की चुनौती जारी है, लेकिन ऑपरेशन सिंदूर ने भारत का एक चेहरा पेश किया है."
उन्होंने कहा, अब यही भारत की नई नीति है. इसके लिए भारत ने स्पष्ट तौर पर पांच बिंदु निर्धारित किए हैं.
- आतंकवादियों को छद्म नहीं माना जाएगा.
- सीमा पार आतंकवाद का उचित जवाब दिया जाएगा.
- आतंक और बातचीत एक साथ संभव नहीं हैं. केवल आतंकवाद पर बातचीत होगी.
- परमाणु ब्लैकमेल के आगे न झुकना.
आतंक और अच्छे पड़ोसी एक साथ नहीं रह सकते, खून और पानी एक साथ नहीं बह सकते.
उन्होंने कहा कि आतंकवाद को लेकर भारत की स्थिति पूरी तरह से साफ है.
उन्होंने आगे कहा, "25 अप्रैल से लेकर 'ऑपरेशन सिंदूर' शुरू होने तक, कई फोन कॉल और बातचीत हुईं. मेरे स्तर पर 27 कॉल आई, प्रधानमंत्री मोदी के स्तर पर लगभग 20 कॉल आई."
विदेश मंत्री ने सदन को बताया, "करीब 35-40 समर्थन पत्र आए और हमने 'ऑपरेशन सिंदूर' के लिए एक नैरेटिव बनाने और कूटनीति तैयार करने की कोशिश की."
उन्होंने सदन को जानकारी दी, " संयुक्त राष्ट्र में 193 देश हैं; पाकिस्तान के अलावा केवल 3 देशों ने 'ऑपरेशन सिंदूर' का विरोध किया." (bbc.com/hindi)