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नीतीश कुमार के बेटे निशांत कुमार की बिहार की सियासत में इतनी चर्चा क्यों है?
23-Jul-2025 10:05 PM
नीतीश कुमार के बेटे निशांत कुमार की बिहार की सियासत में इतनी चर्चा क्यों है?

-चंदन कुमार जजवाड़े

बीते दो दशक से बिहार की सत्ता पर काबिज़ नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू में एक नए चेहरे की चर्चा ने राज्य की सियासत में एक नई बहस छेड़ दी है। नीतीश के बेटे निशांत कुमार अपने जन्मदिन पर पिता से आशीर्वाद लेने आए तो उनके जन्मदिन से ज़्यादा चर्चा उनके सियासी भविष्य को लेकर शुरु हो गई।

बिहार में इसी साल विधानसभा के चुनाव होने हैं। माना जा रहा है कि नीतीश कुमार के लिए यह आखऱिी चुनाव हो सकता है और इसके बाद वो सक्रिय राजनीति से अलग हो सकते हैं।

बिहार के सियासी मैदान में जहां कांग्रेस, आरजेडी और अन्य विपक्षी दल अपनी पूरी ताकत लगा रहे हैं। वहीं एनडीए गठबंधन भी बिहार में फिर से वापसी की कोशिश में लगा है।

हालांकि बिहार में एनडीए की तरफ से सीएम पद का चेहरा कौन होगा यह स्पष्ट नहीं है। यहीं से बिहार में सीएम के चेहरे को लेकर चर्चा छिड़ी हुई है।

नीतीश के इकलौते बेटे निशांत कुमार ने भी अपने पिता की तरह इंजीनियरिंग की डिग्री ली है। उनकी स्कूली शिक्षा पटना और मसूरी में हुई है। बाद में उन्होंने रांची से अपनी इंजीनियरिंग की डिग्री ली।

निशांत कुमार कऱीब 50 साल के हो चुके हैं, मुख्यमंत्री का बेटा होने के बाद भी वो अपने पिता की सियासी जिंदगी से दूर रहते हैं और खुद को काफी लो प्रोफाइल रखते हैं। उन्होंने अब तक शादी नहीं की है।

हाल के कुछ महीनों में निशांत कुमार ने कुछ सियासी बयान ज़रूर दिए हैं लेकिन उनकी राजनीतिक सक्रियता को लेकर जो भी कय़ास लगाए गए हैं वो अब तक सही साबित नहीं हुए हैं।

निशांत ने रविवार को अपने जन्मदिन के मौक़े पर दावा किया, ‘मेरे पिताजी ही मुख्यमंत्री होंगे। एनडीए की सरकार बनेगी। और अच्छे बहुमत से हम लोग जीतेंगे, मुझे पूरा विश्वास है। उन्होंने बीस साल में जो काम किया है उसका फल राज्य के लोग ज़रूर देंगे।’

इस दौरान निशांत कुमार से पत्रकारों ने पूछा कि वो कब राजनीति में आएंगे? लेकिन निशांत ने इसका कोई जवाब नहीं दिया।

हालांकि इसके बाद भी सियासत में उनके प्रवेश को लेकर कई मौक़ों पर बहस ख़ुद जेडीयू के नेताओं ने ही छेड़ी है।

सियासत में उनकी एंट्री को लेकर चर्चा इसी साल होली के आसपास शुरू हुई थी।

निशांत कुमार की चर्चा क्यों

वरिष्ठ पत्रकार माधुरी कुमार कहती हैं, निशांत कुमार की चर्चा केवल इसलिए होती है क्योंकि वो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बेटे हैं। वो न तो सक्रिय राजनीति में हैं और न ही किसी भूमिका में। नीतीश के बाद जेडीयू में कोई मज़बूत चेहरा नहीं है, तो यह भी बात है कि नीतीश के बाद क्या होगा या नीतीश के बाद पार्टी के चेहरा कौन होगा।

हालांकि माधुरी कुमार मानती हैं कि भले ही निशांत कुमार ने हाल फिलहाल कुछ राजनीतिक बयान दिए हैं लेकिन उन्हें राजनीति के लिहाज से अभी भी तैयार होना है।

दरअसल नीतीश की पार्टी में दूसरे नंबर पर कोई नेता टिक नहीं पाता है, इसलिए पार्टी में नीतीश के बाद अगला चेहरा कौन होगा इसकी तस्वीर कभी भी स्पष्ट नहीं रही है। जेडीयू में कई ऐसे नेता रहे जो नीतीश के काफ़ी कऱीबी माने जाते थे लेकिन कुछ ही दिनों में नीतीश से उनकी केमिस्ट्री बिगड़ी हुई दिखी।

इस सिलसिले में नौकरशाही से राजनीति में आए आरसीपी सिंह, चुनावी रणनीतिकार रहे प्रशांत किशोर का नाम लिया जा सकता है।

मौजूदा समय में राष्ट्रीय लोक मोर्चा के नेता उपेंद्र कुशवाहा भी कुछ साल पहले तक नीतीश की पार्टी में ही थे और उनके काफी करीब माने जाते थे, लेकिन फिर अपनी अलग पार्टी बना ली।

ख़ुद नीतीश की पार्टी में कभी राजीव रंजन सिंह (ललन सिंह) तो कभी संजय झा को नीतीश के बाद पार्टी में सबसे बड़े चेहरे के तौर पर देखा गया। लेकिन इन सारी बातों को लेकर कय़ास ज़्यादा लगाए गए हैं।

जेडीयू की इसी स्थिति ने निशांत कुमार को सुर्खियों में ला दिया है। बिहार में हाल के दिनों में यह चर्चा भी होती रही है कि निशांत कुमार अपने पिता की राजनीतिक विरासत को संभालने के लिए आगे आ सकते हैं।

कई नेताओं की नजर

नीतीश कुमार की उम्र और उनकी सेहत को लेकर हो रही चर्चा के बीच इसी साल होली के आसपास बिहार की सियासत में उनकी एंट्री को लेकर भी चर्चा शुरू हुई थी।

वरिष्ठ पत्रकार नचिकेता नारायण कहते हैं, ‘निशांत कुमार शालीन नजऱ आते हैं और उनमें तेजस्वी यादव की तरह राजनीतिक महत्वाकांक्षा नहीं दिखती है। फिर उनकी चर्चा होने में ज़्यादा मीडिया का योगदान है।’

नचिकेता नारायण के मुताबिक, परिवारवाद की चाहे जितनी भी आलोचना की जाए लेकिन यह भी सच है कि मुलायम सिंह, लालू यादव, करुणानिधि जैसे नेताओं की पार्टी को उनकी ख़ुद की संतान ने संभाल लिया है, जबकि जयललिता या मायावती की पार्टी की हालत आप देख ही रहे हैं। इसलिए जेडीयू के कई नेता निशांत की तरफ देखते हैं।

दरअसल यह भी माना जाता है कि अपनी पृष्ठभूमि और पढ़े-लिखे होने की वजह से निशांत कुमार के साथ जेडीयू भी नीतीश से आगे अपना सफर बढ़ा सकती है और जेडीयू के परंपरागत कोयरी-कुर्मी वोट को भी पार्टी के साथ जोडक़र रखा जा सकता है।

वरिष्ठ पत्रकार सुरूर अहमद कहते हैं, निशांत कुमार मुख्यमंत्री नीतीश के बेटे हैं इसके अलावा उनमें कुछ और अब तक नजऱ नहीं आया है। वो कहीं भाषण दें तो पता चलेगा कि नेता के तौर पर कैसे हैं। बिहार में एनडीए में एक तरह की बेचैनी है कि नीतीश के बाद कौन चेहरा होगा? कोई नहीं तो नीतीश के बेटे ही सही।

सुरूर अहमद मानते हैं कि बीजेपी के पास भी कोई ऐसा नेता नहीं और वो बिहार में राजस्थान, मध्य प्रदेश या छत्तीसगढ़ जैसा प्रयोग भी नहीं कर सकती, इसी खालीपन की वजह से चिराग पासवान भी चेहरा बनने की कोशिश में लगे हैं।

क्या बिहार की सियासत पर होगा असर

दरअसल निशांत कुमार के नाम पर शुरू हुई मौजूदा चर्चा में बड़ी भूमिका कभी नीतीश के कऱीबी माने जाने वाले उपेंद्र कुशवाहा की है।

उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि अब नीतीश कुमार को हज़ारों कार्यकर्ताओं की इच्छा को देखते हुए पार्टी का नेतृत्व छोड़ देना चाहिए।

दरअसल उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी रालोमो के पास फि़लहाल बिहार में न तो कोई विधायक है और न ही कोई सांसद। ऐसे में वो अपनी राजनीतिक ज़मीन को बचाने की कोशिश में भी लगे हुए हैं।

नचिकेता नारायण उपेंद्र कुशवाहा की इसी कमज़ोर कड़ी को उनके बयान से जोड़ते हैं

उनका कहना है, उपेंद्र कुशवाहा की हालत किसी से छिपी नहीं है। उन्हें लगता है कि जेडीयू थोड़ी कमज़ोर होगी तो उसका कुछ वोट रालोमो के पास आ सकता है।

निशांत कुमार अगर जेडीयू में सक्रिय होते हैं तो माना जाता है कि यह विपक्ष की सबसे बड़ी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल को एक राहत दे सकता है।

दरअसल लालू प्रसाद यादव पर वंशवाद का आरोप लगता है और निशांत कुमार के नाम पर राजद को ख़ुद के बचाव का एक मौक़ा मिल जाएगा।

इस बीच बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी ने भी कहा है कि नीतीश कुमार से बिहार नहीं संभल रहा है तो वो अपने बेटे को ले आएं, वही बिहार चलाएंगे।

हालांकि जेडीयू प्रवक्ता नीरज कुमार ने राबड़ी देवी को जवाब देते हुए कहा है, राबड़ी देवी को अपने बेटे तेज प्रताप की ज़्यादा चिंता करनी चाहिए। निशांत की लोकप्रियता और उनके बयान को बिहार की सियासत में मास्टरस्ट्रोक की तरह देखा जा रहा है। हालांकि राजनीति में आने का फैसला वो ख़ुद करेंगे या नीतीश कुमार करेंगे।

उनके सामने तेजस्वी यादव होंगे जो बिहार के पिछले विधानसभा चुनाव में अपनी पार्टी को सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर जीत दिला चुके हैं और राजनीति के मैदान में अब तक सफल साबित हुए हैं। (bbc.com/hindi)


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