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बालोद के डोमार सिंह कुंवर को पद्मश्री
06-Apr-2023 2:16 PM
बालोद के डोमार सिंह कुंवर को पद्मश्री

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बालोद, 6 अप्रैल।
बालोद जिले के लाटाबोड़ निवासी डोमार सिंह कुंवर को बुधवार शाम राष्ट्रपति भवन में आयोजित सम्मान समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने पद्मश्री से सम्मानित किया। इस दौरान उन्होंने पुरस्कार लेने से पूर्व अतिथियों का अभिवादन किया, जिसमें देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह सहित समस्त देशभर के दिग्गज मौजूद रहे।

पुरस्कार मिलने के बाद डोमार सिंह ने कहा कि इतने वर्षों की तपस्या का यह परिणाम है। यह मेरा नहीं पूरे बालोद और छत्तीसगढ़वासियों का सम्मान है। उन्होंने कहा कि यहां पर नाचा जो मूल विधा है छत्तीसगढ़ की, उनके लिए उन्हें सम्मान मिला और मैं छत्तीसगढ़ के लिए कुछ कर पाया।

डोमार सिंह ने बताया- जब 12 साल के थे, तब से नाचा की प्रस्तुति दे रहे हैं। उन्होंने कभी यह नहीं सोचा था कि उनकी यह मेहनत यह फल देगी। सम्मान के लिए उनका नाम पुकारा गया। राष्ट्रपति के हाथों सम्मान मिला तो उनकी आंखें नम हो गई। आंखों में खुशी के आंसू थे और पूरा परिवार और समाज जश्न मना रहा है।

48 साल की मेहनत लाई रंग
पद्मश्री मिलने के बाद डोमार सिंह ने कहा कि उनकी 48 साल की मेहनत आज सफल हुई। उन्होंने अब तक लगभग 5200 मंचों में नाचा की प्रस्तुति देकर लोगों को नाचा विधा के बारे में बताने का प्रयास किया और आज इसे पुन: राष्ट्र स्तर पर पहचान मिली है।

नाचा जैसी विधाओं को पुनर्जन्म लेना बहुत ही अनिवार्य
डोमार ने बताया कि एक समय था जब गांव में टीवी और मोबाइल नहीं हुआ करते थे। नाचा लोगों का मनपसंद कार्यक्रम हुआ करता था। इसकी लोकप्रियता इतनी थी कि पूरा परिवार पूरा गांव एक मंच पर आकर पूरी रात जिस का लुफ्त उठा था था, परंतु आज मोबाइल ने सब कुछ खत्म कर दिया है। परिवार एक साथ बैठते नहीं हैं, इसलिए नाचा जैसी विधाओं को पुनर्जन्म लेना बहुत ही अनिवार्य है।

केवल मनोरंजन नहीं, संदेश भी
डोमार ने बताया कि नाचा केवल मनोरंजन ही नहीं अपितु संदेश देने का एक बेहतरीन माध्यम है। उन्होंने कहा कि मैंने अपने हर मंचन में लोगों को समाज की बुराइयों को दूर करने के लिए प्रेरित किया। नशा और महिला सशक्तिकरण जैसे विषयों पर हमने काम किया। समय बदलता गया, शासन की योजनाएं भी बदलती गई। बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ स्वच्छ भारत अभियान जैसे ऐसे कई कार्यक्रम हैं, जिनमें हमने बढ़-चढक़र हिस्सा लिया और लोगों को इससे जोडऩे की कोशिश की।

जीता रहूंगा इसके लिए
उन्होंने बताया कि मैं नहीं चाहता कि मेरे जाने के बाद यह विधा समाप्त हो जाये। अपने क्षेत्र के लोगों को इस विद्या से जोडऩे नियंत्रण प्रयास कर रहा हूं और युवा जो कहीं-कहीं नाचा से दूर होते जा रहे हैं, उन्हें भी मैं सिखाता हूं ताकि वे इसे आगे भी जीवित रख पाए। आज राष्ट्रीय स्तर पर पुन: इसे पहचान मिली है। लोग इसके बारे में अध्ययन तो कर ही रहे होंगे कि आखिर नाचा है क्या और डोमार को यह पद्मश्री क्यों मिला ?

जश्न का माहौल
डोमार के लाटाबोड़ गांव सहित पूरे बालोद जिले में जश्न का माहौल है और लोग उनके आगमन की प्रतीक्षा कर रहे हैं। जनपद सदस्य हरीश चंद्र साहू ने बताया कि जब वे वापस दिल्ली से लौटकर आएंगे तो उनके सम्मान में एक विशाल कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा।
ज्ञात हो कि इससे पहले भारतीय जनता पार्टी कांग्रेस सहित अन्य राजनीतिक दल सामाजिक संस्थाओं के लोग उन्हें उनके घर जाकर बधाई एवं सम्मानित कर चुके हैं।
 


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