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प्रदर्शन स्थल से हटेंगे फिर भी जारी रहेगा आंदोलन- ग्रामीण
09-Jun-2021 8:18 PM
प्रदर्शन स्थल से हटेंगे फिर भी जारी रहेगा आंदोलन- ग्रामीण

   बदला सिलगेर के प्रदर्शन का स्वरूप  
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता 
दोरनापाल, 9 जून।
सुकमा और बीजापुर सीमावर्ती इलाके में बने नए सिलगेर कैंप को लेकर लगभग 25 दिनों से चल रहे आंदोलन पर अब प्रभाव देखने को मिल रहा है। बुधवार को सिलगेर से लगभग 2 किलोमीटर दूर प्रदर्शन स्थल में लगभग 5000 की संख्या में प्रदर्शनकारियों की मौजूदगी में आदिवासी एवं गोंडवाना समाज के प्रमुख और समाजसेवी सोनी सोरी की मौजूदगी में आंदोलन को लेकर एक बड़ा निर्णय लिया गया। निर्णय यह था कि कोविड-19 को देखते हुए विरोध प्रदर्शन की रूपरेखा में बदलाव किया जा रहा है, जिसके बाद प्रदर्शन स्थल में आज विरोध का आखिरी दिन था। माना जा रहा है कि जिस तरह से एक बड़ा आंदोलन शिविर में चल रहा था, अब वह नए रूपरेखा के अनुरूप किया जाना है और नए रूपरेखा के तहत यह आंदोलन धरना में तब्दील हो सकता है। 

ग्रामीणों ने ‘छत्तीसगढ़’ से बातचीत में कहा कि यह आंदोलन अभी भी जारी रहेगा। बेशक यह सभा आज खत्म हो जाएगी और यहां से भीड़ हट जाएगी, लेकिन सडक़ में लगाए गए लकड़ी के बैरिकेड तब तक नहीं उठेंगे, जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होती है और इस सडक़ से आवाजाही भी नहीं होगी। सरकार के समक्ष 6 सूत्रीय मांगें रखी गई थी, जिस पर अभी तक स्पष्टीकरण नहीं आया है और सरकार ने एक भी मांगों को पूरा नहीं किया है। जब तक मांगें पूरी नहीं होती है, तब तक यह आंदोलन जारी रहेगा।

ज्ञात हो कि ‘छत्तीसगढ़’की टीम सिलगेर पहुंच ग्रामीणों के निर्णय को जानने पहुंची, जहां पाया कि बढ़ते मानसून और कोविड-19 को ध्यान में रखते हुए विरोध प्रदर्शन के रूपरेखा में बदलाव किया जा रहा है।

समाजसेवी सोनी सोरी ने बताया कि आगामी रूपरेखा कलेक्टर से चर्चा के बाद ही तय की जाएगी, इसके तहत सुकमा या बीजापुर जिला मुख्यालय में कोविड-19 के तहत लोगों के साथ धरना स्थल पर धरना दिया जाएगा और बावजूद अगर उनकी मांगें नहीं पूरी होती है तो संभाग मुख्यालय में भी कुछ करने की बात कही। 

प्रदर्शन को लेकर बड़े निर्णय से पहले बड़ी संख्या में हजारों ग्रामीण वापस कैंप की ओर बढ़े और प्रदर्शन की एक और कड़ी में बड़ी संख्या में कैंप के सामने पोस्टर और पर्चे लगाए, जो कैंप के सामने चारों ओर देखने को मिल रहे हैं। इन पर्चों में वह सभी मांगे हैं, जो सरकार के समक्ष रखी गई। इसके अलावा कई जगह नारे भी देखने को मिले।

निर्णय के बाद समाज का प्रतिनिधिमंडल करेगा कलेक्टर से चर्चा
गौरतलब है कि सिलगेर मामले में समाज के प्रतिनिधिमंडल द्वारा सिलगेर मामले में प्रदर्शन स्थल में इस बड़े निर्णय पर चर्चा के बाद ग्रामीणों से चर्चा भी किया, जिसमें यह स्पष्ट हुआ कि प्रदर्शन का यह बड़ा स्वरूप अब बदल जाएगा और कोविड-19 जैसे वहां प्रदर्शन रुक सकता है, इसकी जगह यह प्रदर्शन जिला मुख्यालय में बतौर धरना हो सकता है, जिसको लेकर पहले जिला प्रशासन से अनुमति और कोविड-19 के तहत धरना की रूपरेखा तैयार करने कलेक्टर से मिलेंगे। 

इस पूरे मसले पर 9 सूत्रीय मांगों को लेकर ग्रामीणों से मांग भी इस सभा में तैयार किया गया, जिसको लेकर प्रतिनिधिमंडल कलेक्टर से मुलाकात करेगा। इस प्रतिनिधिमंडल में तेलम बोरैया, बुर्का नरेंद्र सुशील हेमला, अमित सुखमती हैं।

जांच में हो सहयोग वरना जंगल का आंदोलन मैदान में आएगा
इस पूरे मामले पर समाजसेवी सोनी सोरी ने ‘छत्तीसगढ़’ से वार्ता के दौरान कहा कि लोग यह सोच रहे हैं कि आंदोलन खत्म हो गया, लेकिन आंदोलन का केवल स्वरूप बदला है क्योंकि कोविड-19 है और कोरोना के चलते हम ग्रामीणों को जोखिम में नहीं डाल सकते। सरकार मांगों से लेकर जांच तक सहयोग करें, वरना यह जो आंदोलन जंगल के अंदर चल रहा यह बस्तर संभाग के मैदानी इलाकों में पहुंचने में देर नहीं लगेगी। फिलहाल सरकार ने मांगें नहीं मानी है और जब तक मांगें पूरी नहीं होती, तब तक बदले स्वरूप में यह आंदोलन धरना के रूप में देखा जाएगा। जिस पर कलेक्टर से अनुमति लेकर नियमों के तहत यह धरना देंगे। क्योंकि कोरोना कॉल के दौरान इतना बड़ा आंदोलन, जिसमें हजारों की संख्या में ग्रामीण आंदोलन कर रहे हैं, इसे दबाने महामारी एक्ट भी लगा सकती है और दूसरी ओर संक्रमण का खतरा भी बढ़ सकता है, इसलिए स्वरूप को बदला गया है। 

कल मूलवासी बचाओ मंच के प्रतिनिधिमंडल मुख्यमंत्री से मुलाकात करेंगे और इस पूरे मसले पर बात रखेंगे वहीं आज एक मांग पत्र ग्रामीणों से तैयार किया गया है, जिसको लेकर हम कलेक्टर से मुलाकात करेंगे।


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