कोरिया

रामवनगमन मार्ग के 165 स्थानों के दर्शन कर कोरिया पहुंचे
चंद्रकांत पारगीर
बैकुंठपुर (कोरिया), 27 अपै्रल (‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता)। भगवान श्रीराम द्वारा वनवास काल के दौरान जिन-जिन स्थानों व मार्गों से होकर अयोध्या से रामसेतु तक पहुंचे थे, उन मार्गों व स्थान को देखने केरल के राधाकृष्णन सायकल से तय कर रहे हैं। वे सुरजपुर स्थित लक्ष्मण टांका और सीता लेखनी होकर बैकुंठपुर पहुंचे और कोरिया जिले स्थित रामवनगमन मार्ग के दर्शन करने निकल पड़े हैं। राधाकृष्णन अब तक सायकल से 8 हजार 400 किमी की यात्रा कर चुके हंै, जिसमंे 12 ज्योर्तिलिंग शामिल हंै।
65 बरस के राधाकृष्णन केरल के निवासी हंै और इस उम्र में उन्होंने भगवान श्रीराम के वनगमन मार्ग का सायकल से सफर तय कर रहे हंै। राधाकृष्णन की मानें तो राम वनगमन मार्ग का सफर तय करने के लिए उन्होंने देश के अंतिम छोर रामेश्वरम से सायकल से शुरूआत की। इसकी शुरूआत उन्होंने वर्ष 2021 की रामनवमीं से की थी। रामेश्वरम से या़त्रा शुरू करने के बाद आंध्रप्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा होते छत्तीसगढ़ पहुंचे है। वर्तमान में छग के सूरजपुर जिले में राम वन गमन मार्ग स्थित सीता लेखनी, लक्ष्मण टांका के दर्शन कर कोरिया पहुंचे हंै। रामसेतु से आयोध्या तक 250 से ज्यादा स्थान हैं, जहां राम-सीता और लक्ष्मण के पैर पड़े थे। अब तक राधाकृष्णन 165 स्थानों पर पहुंच चुके हैं।
राधाकृष्णन अपने यात्रा के अनुभव बताते हंै कि भगवान राम के जहां-जहां चरण पड़े वो वहां पहुंच रहे हंै। जिससे यह पता चलता है कि भगवान राम-सीता और लक्ष्मण वनवास के दौरान एक दिन में 70 से 80 किमी की दूरी तय किया करते थे और फिर वहां एक महिना से लेकर 6 माह या साल भी रूका करते थे। एक पड़ाव के बाद दूसरे पड़ाव में पहुंचने से इस बात पता चलता है।
उन्होंने बताया कि अधिकांश जगह जंगल पहाड़ से होकर गुजरना पड़ता है। उस दौर में जब भगवान श्रीराम वन गमन किये थे, तब तो और भी स्थिति खराब रही होगी।
विदित हो कि प्रदेश सरकार द्वारा रामगमन मार्ग को पर्यटन स्थल के रूप में विकसीत करने के लिए कार्ययोजना तैयार की है। राधाकृष्ण कोरिया जिले के राम वनगमन मार्ग पर भी सायकल से यात्रा कर पहले केल्हारी से 5 किमी मप्र के कनवाही सीतामढ़ी पहुंचे, यहीं रात विश्राम किया। कोरिया में वे हरचोखा सीमामढ़ी, छतौड़ा सीतामढ़ी के साथ रावतसरई स्थित सीता चूल्हा के दर्शन भी सायकल से ही करेंगे।
अगला लक्ष्य नर्मदा परिक्रमा पूरा करने की
राधाकृष्ण भले ही 65 उम्र के हो गये हैं, लेकिन उसके हौसले किसी युवा से कम नहीं है। उन्होंने बताया कि अभी वे भगवान श्री राम वनगमन मार्ग की सायकल से यात्रा कर रहे हैं, इसके बाद भी वे रूकने वाले नहीं है। उन्होंने बतया कि उसके बाद वे नर्मदा परिक्रमा करने की सोच रखी है। श्रीराम वनगमन मार्ग की यात्रा पूरी करने के बाद वे नर्मदा परिक्रम शुरू करेंगे।