कोरिया

गायें बेघर, मशीनें गायब, और डेयरी एक इतिहास : कोरिया जिले में दूध उत्पादन की दुर्दशा
01-Jun-2025 6:35 PM
गायें बेघर, मशीनें गायब, और डेयरी एक इतिहास :  कोरिया जिले में दूध उत्पादन की दुर्दशा

विश्व दूध दिवस पर चंद्रकांत पारगीर की विशेष रिपोर्ट

बैकुंठपुर (कोरिया),1 जून (‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता)। दूध जैसे पोषण से भरपूर उत्पाद को समर्पित विश्व दूध दिवस आज देशभर में मनाया जा रहा है, लेकिन कोरिया जिले की जमीनी हकीकत कुछ और ही कहानी बयां करती है। एक समय था, जब इस जिले को एकीकृत डेयरी विकास योजना के माध्यम से आत्मनिर्भर बनाने की पहल की गई थी, परंतु आज हालात इतने बदतर हो चुके हैं कि न तो डेयरी बची और न ही गायें।

शुरुआत हुई उम्मीदों से, अंत हुआ उपेक्षा से

वर्ष 2016-17 में कोरिया जिले में सागरपुर और उजियारपुर जैसे स्थानों पर बड़े स्तर पर दूध डेयरी की शुरुआत की गई। इसके लिए बड़ी संख्या में दुधारू गायों की खरीदी की गई और तत्कालीन कलेक्टर एस. प्रकाश की निगरानी में यह योजना तेजी से फली-फूली। उन्होंने बैकुंठपुर में एक मॉडल डेयरी प्रोजेक्ट शुरू कराया, जिसमें डीएमएफ फंड के माध्यम से आधुनिक मशीनें, ट्रांसफॉर्मर और भवनों की व्यवस्था की गई।

लेकिन जैसा अक्सर होता है, एक सक्षम अधिकारी के स्थानांतरण के बाद योजनाएं दम तोड़ देती हैं। प्रकाश के जाने के बाद न केवल कई गायों की मौत हो गई, बल्कि शेष पशुओं को नीलाम करना पड़ा। मशीनें अम्बिकापुर भेज दी गईं, और अब कभी डेयरी के लिए बना भवन निजी उपयोग और अतिक्रमण का केंद्र बन गया है।

भवन की देखरेख के लिए एक व्यक्ति नियुक्त, लेकिन डेयरी बंद

हैरानी की बात यह है कि जहां अब कोई डेयरी नहीं है, वहां एक व्यक्ति सिर्फ भवन की देखरेख के लिए नियुक्त है। यह सरकारी संसाधनों का ऐसा दुरुपयोग है, जिसकी जांच की आवश्यकता है। जब योजना की आत्मा ही समाप्त हो चुकी है, तो उसके ढांचे को बचाने की कवायद व्यर्थ प्रतीत होती है।

दूध उत्पादन गिरा, गौपालन में रुचि घटी

डेयरी योजना के ठप होने का सीधा असर जिले के दूध उत्पादन पर पड़ा है। अब शहरों में लोग गाय पालने से कतराते हैं और अक्सर सडक़ों पर छोड़ देते हैं, जिससे दुर्घटनाएं बढ़ रही हैं। दूसरी ओर, गांवों में भी चारे की बढ़ती कीमतों ने पशुपालन को कठिन बना दिया है। गेहूं का चारा 8-10 रु. प्रति किलो और धान का चारा 6-7 रु. प्रति किलो बिक रहा है, जिससे गौपालकों की कमर टूट रही है।

मिलावटी दूध से स्वास्थ्य पर खतरा

दूध की गुणवत्ता भी एक बड़ी समस्या बन गई है। जिले में खाद्य एवं औषधि प्रसाधन विभाग द्वारा किए गए परीक्षण में मिलावट की पुष्टि हुई है। एमसीबी जिले में लिए गए 12 सैंपल में से 3 फेल हुए, जबकि कोरिया में लिए गए 9 सैंपल में से 2 फेल पाए गए। इसका असर मिठाइयों और डेयरी उत्पादों की गुणवत्ता पर भी पड़ रहा है, जो आम उपभोक्ता के स्वास्थ्य के लिए खतरा बन सकता है।

अब कौन सुध लेगा?

प्रशासन अब गौपालन या डेयरी क्षेत्र में कोई खास रुचि नहीं दिखा रहा है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि जिस योजना को एक अधिकारी ने सशक्त आधार दिया था, वह आज सरकारी उदासीनता और लापरवाही का प्रतीक बन गई है।

विश्व दूध दिवस पर जब देशभर में दूध के महत्व और पोषण की बात की जा रही है, तब कोरिया जिले की यह स्थिति एक कड़वी सच्चाई के रूप में सामने आ रही है। जरूरत है कि प्रशासन एक बार फिर इस क्षेत्र की ओर ध्यान दे और बंद हो चुकी योजनाओं को पुनर्जीवित करने की ठोस पहल करे।

इस संबंध में पशु चिकित्सक सेवाएं की डिप्टी डायरेक्टर श्रीमती बघेल ने बताया कि सरकार ने डेयरी देवभोग को हैंडओवर करने का आदेश दिया था, अब भविष्य में उसे शुरू करने की कोई योजना नहीं है। भवन भी देवभोग को ही दिया जा चुका है।


अन्य पोस्ट