कोरिया

साल भर से बंद है सोलर लाईट, अंधेरे में ग्रामीण
08-Mar-2022 3:11 PM
साल भर से बंद है सोलर लाईट, अंधेरे में ग्रामीण

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बैकुंठपुर (कोरिया), 8 मार्च।
कोरिया जिले के भरतपुर और सोनहत विकासखंड के कई ग्रामों के ग्रामीण अंधेेरे में जीने को मजबूर है। कई बार ग्रामीणों ने इसके संबंध में क्रेडा विभाग को शिकायत की। लेकिन उनकी समस्याओं को दूर करने की दिशा में कोई प्रयास नहीं किया जा रहा है, जिस कारण आदिवासी बाहुल्य ग्राम के लोगों को अपने हाल में जीवन यापन समस्याओं के बीच करना पड़ रहा है। सौर उर्जा की बिजली, पीने के पानी की समस्या, मोबाइल टॉवर के साथ सरकार की कई योजनाओं का लाभ यहां के ग्रामीणों को नहीं मिल पा रहा है।

जानकारी के अनुसार सोनहत रामगढ, सिंघोर के साथ भरतपुर विकासखंड के ग्राम देवसील, खोाखनिया के ग्रामीण अंधेरे में रहने को मजबूर है। इस क्षेत्र के कई ग्रामों की स्थिति एक जैसी बनी हुई है। यहां के आदिवासी ग्रामीणो को कई तरह की समस्याओं से जुझना पड़ रहा है। इन ग्रामीण इलाकों में अब तक बिजली नहीं पहुंची है ग्रामीणों को सौर उर्जा की बिजली सें ही जीवन गुजारना पड़ रहा है।

ग्रामीण गांव में विद्युत विस्तार की मांग कर चुके है लेकिन ग्रामीणों की मांग को अब तक अनसुना कर दिया गया। वहीं देवसील की मुख्य बस्ती का सोलर प्लांट बीते 1 वर्ष से बंद पड़ा हुआ है, यहां के लोगों ने कई बार विभाग के अधिकारियों को इसकी जानकारी दी, परन्तु विभाग ने समस्या के निदान को लेकर कोई पहल नही की, इसी तरह ग्राम पंचायत बडग़ांवखुर्द के आश्रित ग्राम खोखनिया का सोलर प्लांट बीते 6 माह से बंद पड़़ा पहुंच विहीन क्षेत्र होने के कारण लोग बड़ी मुश्किल से तहसील मुख्यालय तक पहुंच पाते है। इसी तरह सोनहत विकासखंड के रामगढ के सिघाड़ीपारा में एक साल से सौर उर्जा प्लांट बिगडा हुआ है, रामगढ में 4 प्लांट है जो ठीक तरह से संचालित है, परन्तु सिघाड़ीपारा मे लगा हुआ 5वां प्लांट खराब पड़ा हुआ है। इसकी सुध लेने कोई आगे नहीं आ रहा है, वहीं ग्राम पंचायत सिंघोर के बीच पारा का सोलर प्लांट बंद पडा हुआ है, ग्रामीणों ने इसकी कई बार शिकायत की, परन्तु आज तक स्थिति में कोई सुधार नहीं आ पाया है।

मोबाईल कनेक्टिविटी के लिए जंगल में ढूंढते है टावर
ग्राम देवसील कटवार से लेकर इससे जुड़े दर्जनों गांव ऐसे है जो आधुनिक युग में देश दुनिया से जुडने के लिए मोबाईल कनेक्टिविटी की सुविधा तक नहीं है इसी से समझा जा सकता है कि ग्रामीण किस तरह जीवन गुजार रहे है। ग्रामीण बताते है कि यहां के लोग मोबाईल का टॉवर के लिए पहाड़ पर चढक़र टॉवर ढूंढते है। तब जाकर वे अपने सगे संबंधियों से मोबाईल से जुड़ पाते है। गांव व घर में रहने पर कही पर भी टॉवर नहीं पकडता है जिस कारण उन्हे जब किसी सगे संबंधी से बात करना होता है तो जंगलों की ओर जाते है।


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