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‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
चिरमिरी, 7 फरवरी। सूर्यकांत त्रिपाठी निराला हिन्दी साहित्य के ऐसे दैदीप्यमान सूर्य हैं जिन्होंने अपनी रचनाओं के माध्यम से साहित्य को अत्यधिक समृद्ध किया है। वे छायावादी काव्य आंदोलन के प्रमुख स्तंभ रहे हैं। उनका काव्य और साहित्य जीवन के श्रेष्ठतम मूल्यों से अनुप्राणित है, उनकी कविताओं में अनुभूति की पूरी ऊष्मा, जीवन का पूरा आवेग है।
ऱाम की शक्ति पूजा, सरोज स्मृति, तुलसीदास आदि उनकी प्रसिद्ध कविताएं हैं। उक्त बातें शासकीय लाहिड़ी स्नातकोत्तर महाविद्यालय चिरमिरी के हिन्दी विभाग द्वारा निराला जयंती पर च्निराला होने का अर्थज् विषय पर गूगल मीट के द्वारा आनलाईन माध्यम से आयोजित व्याख्यान के दौरान डॉ. आशुतोष कुमार सिंह विभागाध्यक्ष हिन्दी एवम निदेशक पंडित दीनदयाल उपाध्याय शोध संस्थान प्रोफेसर राजेंद्र सिंह रज्जू भैय्या विश्वविद्यालय प्रयागराज उत्तर प्रदेश ने अपने व्याख्यान के दौरान कहीं। उन्होंने अपने व्याख्यान मे कहा कि निराला जैसे कवि सदियों बाद पैदा होते हैं। वे सच्चे अर्थों में युग प्रवर्तक रचनाकार थे।
इस अवसर पर महाविद्यालय प्राचार्य डॉ. आरती तिवारी ने कहा कि निराला जी भारतीय साहित्य के सर्वश्रेष्ठ रचनाकार हैं, उनकी रचनाओं में जीवन के श्रेष्ठतम मूल्य निहित हैं।ऐसे आयोजन महाविद्यालय के छात्र छात्राओं में साहित्यिक संस्कार का विकास करते हैं। इससे पूर्व कार्यक्रम के प्रारंभ में महाविद्यालय के हिन्दी विभागाध्यक्ष डॉ. राम किंकर पाण्डेय ने मुख्य वक्ता डॉ. आशुतोष सिंह का स्वागत करते हुए कहा कि यह हमारे महाविद्यालय के लिए गौरव की बात है कि महाकवि सूर्यकांत त्रिपाठी निराला की जयंती के अवसर पर डॉ. आशुतोष सिंह जैसे विद्वान हमारे बीच जुड़ रहे हैं। निराला जी को वसंत का अग्रदूत कहा जाता है। विषय प्रवेश करते हुए डॉ. राम किंकर पाण्डेय ने कहा कि निराला जी आध्यात्म के क्षेत्र में निराला जी भारतीय परंपरा के उदार दृष्टिकोण को स्वीकार करते प्रतीत होते हैं। यह दृष्टिकोण व्यापकता और विविधता का पर्यायवाची है। निराला जयंती पर आयोजित उक्त कार्यक्रम का सफल संचालन बी.ए.तृतीय वर्ष के छात्र प्रिंस कुमार सिंह ने किया। प्रिंस ने निराला की कविताओं का पाठ भी किया।