कोरिया

चुनाव नतीजे के बाद भाजपा में सन्नाटा
24-Dec-2021 6:38 PM
चुनाव नतीजे के बाद भाजपा में सन्नाटा

समर्थक सोशल मीडिया में लगा रहे हैं दोष

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बैकुंठपुर (कोरिया) 24 दिसंबर।
नगरीय चुनाव में आए परिणाम के बाद भाजपा संगठन में एकदम सन्नाटा पसरा हुआ है। बीते तीन वर्षों में पूर्व मंत्री और भाजपा संगठन में तनातनी किसी से छिपी नहीं थी, बाद में वो संगठन के करीब तो आ गए, जिसके बाद भाजपा संगठन में एकजुटता कहीं नजर नहीं आई, यही कारण है कई मुद्दे होने के बाद भी भाजपा को निराशा ही हाथ लगी। भाजपा के अंदर आगामी विधायक के टिकट की लड़ाई इस चुनाव में भाजपा के हार का मुख्य कारण बन गई है।

नगरीय चुनाव में भाजपा के कद्दावार नेता भाजपा जिला उपाध्यक्ष शैलेश शिवहरे की हार से उनके सैकड़ों समर्थक निराश हंै। श्री शिवहरे की पत्नी नविता शिवहरे की जीत के बाद मतगणना के बाद दोनों अपने घर से नहीं निकले। जिसके बाद भाजपा के लोग सोशल मीडिया पर खुद के लोगों को हराने की बात पर खुल कर पोस्ट कर रहे हंै।

दरअसल, भाजपा जिला उपाध्यक्ष विधायक के पद के लिए प्रमुख दावेदार के रूप में उभर रहे थे, कोरिया बचाओ मंच का गठन उनके नेतृत्व में हुआ, यदि श्री शिवहरे इस चुनाव में जीत जाते तो निश्चित है उन्हें विधायक के टिकट से कोई नहीं रोक सकता था।

समर्थकों की माने तो श्री शिवहरे को सुरक्षित सीट से न उतार कर मजबूत सीट से उन्हें उतारा गया ताकि वो आगे नहीं निकल सके। भाजपा में अभी ऐसा जारी है कि जो भी विधायक की दावेदारी का ख्वाब देखता है या भाजपा में अलग कुछ करने की सोचता है, उसे किनारे करने में नए समीकरण बनाने वाले दिग्गज लग जाते हंै। समर्थकों की बात काफी हद तक सहीं भी नजर आ रही है, बीते दिनों भाजपा के एक वरिष्ठ पदाधिकारी के जन्मदिन था, उसमें कोई न पहुंच पाए, इसके लिए बकायदा कार्यकर्ताओं को फोन लगाकर मना किया गया, बावजूद इसके काफी संख्या में युवा घड़ी चौक पहुंच कर उनका जन्मदिन मनाया गया। परन्तु जिले के ज्यादातर पदाधिकारियों ने उनके जन्मदिन से किनारा कर लिया था। कुछ समर्थक तो यहां तक कहते है कि कार्यकर्ताओं ने ऐसे नेता की बातों को अनसुना कर जन्मदिन में पहुंचकर उन्हें बताया कि अब तक सत्ता के किसी पद पर नहीं हो। इसी तरह का हाल भाजपा के जिला उपाध्यक्ष का हुआ। यही कारण है कि भाजपा जिला उपाध्यक्ष शैलेष शिवहरे को जब टिकट दिया गया तो वो ना चाह कर भी मैदान में उतरे और उन्हें हार का सामना करना पड़ा।

17 दिसंबर को बनी कमेटी
ऐसा नहीं है कि भाजपा संगठन ही हार की दोषी है, ज्यादा दोष पार्षद पद के प्रत्याशियों का भी है, भाजपा के सूत्रों की माने तो कोरिया के चुनाव प्रभारी भीमसेन अग्रवाल रहे, चुनाव प्रचार जारी था, उन्हें बताया जाता रहा है कि दोनो सीट निकल रही है, 16 दिसंबर को वो बैकुंठपुर आए और उन्होनें कहा कि बैठक करना है पर कोई तैयार नहीं हो रहा था, बाद में वो बोले मै बैठक लेने की आया हूं, जिसके बाद 3 बजे बैठक शुरू हुई, उन्होंने पूछा कि चुनाव कैसे लड़ रहे हो, तो बताया गया कि घूम रहे है। उन्होंने कहा कि भाजपा की रणनीति अलग होती है, वार्ड स्तर पर कमेटी बनाई जाती है, क्या कमेटी बनी है तो जवाब आया नहीं, जिसके बाद उन्होने जिले के 4 पदाधिकारियों को 5-5 वार्ड सौंपे और फिर कमेटी बनाने के निर्देश दिए, तब तक काफी देर हो चुकी थी, मात्र तीन में भाजपा कैसे पूरी रणनीति पर काम कर पाती है।

मंथन की है जरूरत
भाजपा के जिला उपाध्यक्ष शैलेष शिवहरे के पास बैकुंठपुर में युवाओं की बड़ी टीम है, परन्तु रणनीतिकार ऐसे हैं, जिसके कारण वो कई बार बैकफुट पर आ जाते हंै। भाजपा के अलावा उनकी टीम के द्वारा देवरहा बाबा सत्संग समिति के तहत पूरे वर्ष कोई न कोई आयोजन करवाती रहती है ताकि हर हाल में श्री शिवहरे की उपस्थिति पूरे वर्ष बनी रहे। ठीक उसी तरह जैसे पूर्व मंत्री की उनकी एक टीम भाजपा से अलग होकर चुनाव के साथ पूरे समय काम किया करती थी। यही कारण है कि भाजपा संगठन से वो अलग नजर आते है। कॉलरी की नौकरी छोड़ राजनीति में आए श्री शिवहरे को राजनीति में आगे की रणनीति बनाकर मंथन करने की जरूरत आ पड़ी है, ताकि वो खुद को भाजपा में स्थापित कर सकें।
 


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