कोरिया

मतपेटियों में कैद प्रत्याशियों का भाग्य, देर रात कलेक्टर की निगरानी में मतपेटियां स्ट्रांग रूम में सील
21-Dec-2021 5:38 PM
मतपेटियों में कैद प्रत्याशियों का भाग्य, देर रात कलेक्टर की निगरानी में मतपेटियां स्ट्रांग रूम में सील

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

बैकुंठपुर (कोरिया), 21 दिसंबर। सोमवार को हुए मतदान के बाद कांग्रेस-भाजपा दोनों दल अब जीत हार का गुणा भाग लगा रहे हंै। कांग्रेस आश्वस्त है कि दोनों नगरीय निकाय में दुबारा कांग्रेस लौट रही है तो भाजपा ये मान के चल रही है कि दोनों नगरीय निकाय में वो बाजी मारेगी।

20 दिसंबर को मतदान के बाद जिला निर्वाचन अधिकारी श्याम धावड़े देर रात तक मतदान दलो के आने के बाद मतपेटियों को स्ट्रांग रूम में सील करवाते देखे गए, उनके साथ राजनीतिक पार्टियों के अध्यक्ष भी साथ थे। इधर, मतदान के बाद दोनो राजनीतिक दल के नेता अब इस बात का मंथन करने में जुटे है कि आखिर किस वार्ड में उन्हें कितने मत मिल रहे है तो कहां उन्हें नुकसान हो रहा है। इसके अलावा जीत होने की स्थिति में अध्यक्ष के पद के लिए किस तरह की रणनीति बनाई जाना है, इस पर अभी से गणित लगाना शुरू हो गया है।

वहीं पूरे दिन मतदान के जनता का रिएक्शन कैसा रहा, इस पर नेता अब मंत्रणा कर रहे हैं। दूसरी ओर जानकारों की माने तों जिला विभाजन के मुद्दे पर यदि जनमत आता है तो भाजपा को बढ़त मिलेगी और यदि स्वास्थ्य मंत्री की समझाईश जनता तक पहुंची होगी तो निश्चित है कांग्रेस का फायदा होगा।

भाजपा से जुड़े सूत्रों की माने तो मतदान के बाद बैकुंठपुर के 20 वार्डो में भाजपा 10 से 11 सीट पर जीत मान रही है, जबकि कांग्रेस भी इसी आंकड़े के आसपास अपनी उपस्थिति दर्ज कराने की बात कह रही है, ऐसे में दोनों दलों को निर्दलीय की जरूरत पडऩा तय है। ऐसा ही हाल शिवपुर चरचा नपा में देखने को मिल रहा है, यहां दोनों दलों को जीत के लिए बेहद कड़ा संघर्ष करना पड़ेगा, यहां भी निर्दलीय ही ज्यादा पार्षद लाने वाले दल का बेड़ा पार कर सकते हंै।

भाजपा के दिग्गजों को कांग्रेस ने घेरा

दरअसल, भाजपा के पूर्व अध्यक्ष शैलेष शिवहरे बैकुंठपुर की राजनीति में काफी बड़ा नाम है, उनका हर वार्ड में अपना जनाधार भी है, परन्तु संसदीय सचिव की रणनीति के तहत उन्हें जिस वार्ड से वो लड़ रहे थे उन्हें वहीं घेर कर रखा गया, ताकि वो मतदान के दौरान दूसरे वार्ड में ना जा सके, इसी तरह का हाल बैकुंठपुर के मंडल अध्यक्ष भानूपाल के साथ हुआ, बेहद विनम्र और मिलनसार श्रीपाल को वार्ड नंबर 1 में ही उलझाए रखा गया, माहौल ऐसा बना कि वो अपने वार्ड से किसी और वार्ड में नहीं जा सके। जबकि संसदीय सचिव दूसरे वार्डों में जाकर हर घंटे निरीक्षण करती रहीं। हालांकि इस रणनीति का कांग्रेस को कितना फायदा हुआ यह 23 दिसंबर को आने वाले परिणाम से ही पता चलेगा।


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