कोरिया

सडक़ों पर फैला चकोड़ा, दुर्घटना का लगा रहता है डर
18-Dec-2021 6:25 PM
सडक़ों पर फैला चकोड़ा, दुर्घटना का लगा रहता है डर

ग्रामीण कमा रहे है बढिय़ा आमदनी

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बैकुंठपुर, (कोरिया) 18 दिसंबर।
कोरिया जिले की सडक़ों पर  चकोड़ा के पेड़ हर कही देखे जा सकते है, कई बार सडक़ों पर पड़े रहने से गढ्ढों का पता नहीं चलता है और लोग दुर्घटनाग्रस्त हो जाते है, जबकि इस साल इसके बीज के दाम बढ़े होने से ग्रामीणों की आमदनी का सबसे बढिय़ा साधन साबित हो रहा है।

जिले के ग्रामीण क्षेत्र के लोगों के द्वारा कई तरह के वनोपजों को एकत्र कर बाजार में बेचा जाता है। वही अपने गांव घर के आस पास भारी मात्रा में बरसात के दौरान उगने वाले एक पौधा जिसे चकोड़ा  स्थानीय बोली में कहा जाता है, वह भी काम की चीज है। चकोड़ा पौधे का जहां छोटे में साग बनाकर खाया जाता है, वही पौधा बड़ा होकर जब फल से लद जाता है तब भी यह काम की चीज होती है। ग्रामीण परिवार  चकोड़ा के फल से बीज प्राप्त करने के लिए पौधे को उखाड़ कर घर ले आते  है और सूखाकर उसके बीच निकालते है। आमतौर पर जिले के सभी क्षेत्रो में चकौड़ा भारी मात्रा में पाया जाता है।

बरसात की शुरूआत होने के साथ ही  चकोड़ा  का पौधा हर क्षेत्र में अपने आप ही उग जाता है, इसे तैयार करने की कोई जरूरत नहीं होती। गांव की खाली जमीन पर प्रत्येक वर्ष भारी मात्रा मे  चकोड़ा का पौधा उगता है। देखने वालों के लिए भले ही यह खरपतवार जैसा लगता है लेकिन ग्रामीण परिवार इसकी महत्ता को जानते है जिस कारण  चकोड़ा के पोधे को कभी नष्ट नही करते  अपने क्षेत्र में उगे चकौडे को वे फल लग जाने के बाद एकत्र करते है और इसके बीज का विक्रय बाजारों में करते है।

गांवों की सडक़ों पर बिछाये जा रहे चकौड़े
चकौड़े के पौधे का बीज प्राप्त करने के लिए ग्रामीण परिवार  चकोड़ा पौधे को उखाड़ कर एकत्र कर लिये है और उसे सुखाने के बाद अब अपने गॉव की सडकों पर बिछा देते है, जिससे कि उसका बीज निकाला जा सके। ग्रामीण परिवार अपने घर के पास से गुजरने वाले मार्ग पर सूखे चकौडे को सडक पर बिछा देते है जिससे कि उस मार्ग से आवाजाही करने वाले वाहों के पहिये से दबाव पडते रहने के कारण सूखे  चकोड़ा के बीच बाहर निकल जाते है इस तरह ग्रामीण परिवारों को चकौडे के बीज प्राप्त करने के लिए किसी तरह की मेहनत नही करनी पड़ती। वाहनों की आवाजाही से सडक़ पर रखे सूखे  चकोड़ा के बीज निकल जाते हैै जिसके एकत्र कर लिया जाता है।

बीस रूपये प्रति किलो के भाव से हो रही खरीदी
खरपतवार जैसे लगने वाले  चकोड़ा  कई काम की चीज है। जानकारी के अनुसार ग्रामीण परिवारों के  द्वारा एकत्र किये गये  चकोड़ा के बीज को व्यापारियो के द्वारा इन दिनों 20 रूपेय प्रति किलो के भाव से खरीदी की जा रही है। जबकि यह दर बीते वर्ष  40 रूपये प्रतिकिलो के भाव से बिका था। इस वर्ष अच्छी वर्षा के कारण भारी मात्रा में चकोड़ा हुआ है, लेकिन बीते वर्ष के मुकाबले इस वर्ष चकौडा का भाव आधा ही चल रहा है। बिना मेहनत के ग्रामीण परिवारों को  चकोड़ा  बीज से अतिरिक्त लाभ मिलता है। यही कारण है कि कई ग्रामीण परिवार इन दिनों चकोडे के बीज केा निकालकर बाजारों में विक्रय कर रहे है।

चीन-जापान तक होता है  चकोड़ा का निर्यात
ग्रामीण क्षेत्रों में बरसात के दिनो में अपने आप उगने वाले चकोड़ा का उपयोग साबून बनाने से लेकर सौंदर्य प्रसाधन तथा दवाईयां बनाने में उपयेाग किया जाता है जिसके कारण  चकोड़ा के महत्व कम नहीं है यही कारण है कि प्रतिवर्ष  चकोड़ा ं की ग्रामीण क्षेत्रों में जमकर खरीदी होती है। ग्रामीण परिवारा अपने क्षेत्र से भारी मात्रा में  चकोड़ा को एकत्र कर उसके बीज का विक्रय करते है जिससे कि उन्हे अच्छी आमदनी हो जाती है।

जानकारी के अनुसार भारतीय चकोड़ा का निर्यात चीन जापान जैसे विकसीत देशों में भारी मात्रा में किया जाता है। बताया जाता है कि चीन में  चकोड़ा के बीज से काफी पावडर तैयार किया जाता है। वही कई तरह के औषधी निर्माण में  चकोड़ा  के बीज का उपयोग के कारण ही मांग रही है।
 


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