कोरिया

जिले के विभाजन के विरोध को हवा दे रहे भाजपाई
13-Dec-2021 5:34 PM
जिले के विभाजन के विरोध को हवा दे रहे भाजपाई

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

बैकुंठपुर (कोरिया), 13 दिसंबर। कोरिया जिले का विभाजन भाजपा के लिए मुख्य चुनावी मुद्दा बन चुका है, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष विष्णु देव साय ने कहा कि छोटे से जिले को इस तरह से विभाजित कर कांग्रेस की सरकार ने विरोध खड़ा कर दिया है, हमारी अटल बिहारी बाजपेयी जी की सरकार ने तीन तीन राज्य बनाए थे, तब जरा सा विरोध नहीं हुआ था। दरअसल, जिले के विभाजन के पीछे कोरिया जिले में क्षेत्रवाद की गहरी खाईयों है जिसे भाजपा ने समय रहते भांप लिया है, यहीं कारण है कि भाजपा अब खुलकर जिले के विभाजन को लेकर सामने आ गई है।

दरअसल, कोरिया जिले के विभाजन के बाद मनेन्द्रगढ़ छोड़ चिरमिरी, खडग़वां, केल्हारी, जनकपुर सहित हर कही कोई ना कोई मांग को लेकर विरोध देखा गया, चिरमिरी में आज भी जिला मुख्यालय बनाए जाने की मांग पर धरना जारी है। दूसरी ओर राजनैतिक परिदृश्य में कांग्रेस ने जिला बनने से नफे नुकसान का अभी तक अंदाजा नहीं लगाया है, परन्तु कहीं ना कही भाजपा इस ओर अभी से काम करने में जुट गई है, दरअसल, जिले में अलग-अलग तहसील और क्षेत्रवाद को लेकर राजनीति होती रही है। चिरमिरी की तुलना में मनेन्द्रगढ़ में काफी संख्या में मतदाता है। यहीं कारण है न सिर्फ भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदेव साय ने जिले के विभाजन से बात शुरू की, बल्कि भाजपा के दिग्गज नेता राम विचार नेताम ने कांग्रेस सरकार के मुख्यमंत्री को जमकर घेरा।

उन्होंने कहा कि राज्य का कांग्रेस ने बर्बाद कर दिया। कोरिया विभाजन को लेकर भी उन्होनें कई तंज कसा। वहीं पूर्व गृह मंत्री ने अवैध रेत उत्खनन का मुद्दा उठाया और कहा कि कांग्रेस सरकार अवैध रेत उत्खनन कर यहां को पैसा उत्तर प्रदेश में होने वाले चुनाव में लगा रही है। हलांकि भाजपा के जिला अध्यक्ष कृष्ण बिहारी जायसवाल ने कहा कि मनेन्दगढ़ के जिला बनने का कोई विरोध नहीं है, विरोध असमान्य विभाजन का है।

 इतिहास में मनेन्द्रगढ़ शहर

मनेन्द्रगढ़ विधानसभा में मनेन्द्रगढ़़ शहर से कोई भी विधायक बना हो ऐसा कही इतिहास में जिक्र नहीं देखा गया है। परिसीमन के बाद यह सीट सामान्य हो गई, और विधायक का टिकट चिरमिरी और खडग़वां तक सीमित हो गया, जबकि यदि इतिहास पर नजर डाले तो तो शहर को छोड़ हमेशा कांग्रेस या भाजपा ने मनेन्द्रगढ विधानसभा का टिकट ग्रामीण क्षेत्र से ही दिया है, चूंकि यह विधानसभा आरक्षित हुआ करती थी।

 यही कारण है कि अब तक ग्रामीण क्षेत्रों मेंं कछौड़, बेलबेहरा, पटना, बंजारीडांड, और फिर परिसीमन के बाद दो बार चिरमिरी और एक बार खडग़वां के रतनपुर क्षेत्र से विधायक चुने जा चुके है। वहंीं चुनाव में भी शहर से किसी एक पार्टी को एक तरफा बढ़त भी नहंीं मिली है। यहां के चुनाव हमेशा कांटे के मुकाबले की तरह होते आए है। मनेन्द्रगढ़ को हमेशा से जागरूक लोगों का शहर भी कहा जाता रहा है। ऐसे में अब भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष के बयानों से इस बात की संभावना जताई जा रही है कि कि भाजपा ने क्षेत्रवाद को लेकर अपनी रणनीति में बदलाव कर कोरिया के विभाजन को विरोध शुरू किया है। 

मतदाता की तादात ज्यादा चिरमिरी में

परिसीमन के पूर्व कोरिया जिले में दो विधानसभा हुआ करती थी, चिरमिरी बैकुंठपुर विधानसभा में आता था, वहीं मनेन्द्रगढ़ विधानसभा में भरतपुर आया करता था, और सोनहत बैकुंठपुर विधानसभा में था। 2008 में हुए परिसीमन के बाद चिरमिरी मनेन्द्रगढ़ विधानसभा में चला गया, तब से पहली बार भाजपा ने मतदाता की बाहुल्यता को देखते हुए चिरमिरी के दीपक पटेल पर दांव लगाया और जीत हासिल की, तब कांग्रेस से रमेश सिंह और राकपां से रामानुज अग्रवाल ने चुनाव लड़ा था। उसके बाद भाजपा ने खडग़वां श्याम बिहारी जायसवाल को मैदान में उतारा तो कांग्रेस ने बंजारीडांड से एक बार फिर गुलाब सिंह को उम्मीदवार बनाया, जिसमें भाजपा को जीत मिली, इसके बाद कांग्रेस ने चिरमिरी से डॉ. विनय जायसवाल को उम्मीदवार बनाया तो भाजपा ने दुबारा श्याम बिहारी जायसवाल को टिकट दिया, चिरमिरी में मतदाता की बाहुल्यता का लाभ मिला और कांग्रेेस को जीत मिली। इसलिए चिरमिरी के मतदाता के महत्व को कोई भी राजनैतिक दल झुठला नहीं सकते। दूसरी ओर जिला मुख्यालय की मांग पर आज तक आंदोलन जारी है, जिला बनाओ संघर्ष समिति की दृढ़ता देख लग रहा है कि यदि उन्हें उनकी मांग अनुरूप जिला मुख्यालय नहीं मिला तो आगामी विधानसभा चुनाव भी वो आसानी से प्रभावित कर सकते हंै।


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