कोण्डागांव

जंगल में फेंके बड़ी मात्रा में एक्सपायरी कीटनाशक
25-Jul-2025 9:53 PM
जंगल में फेंके बड़ी मात्रा में एक्सपायरी कीटनाशक

 जल-जंगल-जमीन को पहुंच रहा नुकसान, वन्यजीव और मवेशी भी खतरे में

-बंकिम साना

कोंडागांव, 25 जुलाई (‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता)। कोण्डागांव से बड़ेकनेरा मार्ग में निर्माणाधीन बाईपास के समीप स्थित छुईढोडी नाला के पास जंगल क्षेत्र में अज्ञात तत्वों द्वारा बड़ी मात्रा में एक्सपायरी कीटनाशक फेंके गए हंै। यह क्षेत्र न केवल वन भूमि है, बल्कि मवेशियों के चारागाह के रूप में भी आरक्षित है। ऐसे में इस रासायनिक कचरे ने जल, जंगल और जमीन तीनों पर प्रत्यक्ष रूप से हानिकारक प्रभाव डालना शुरू कर दिया है।

जिस स्थान पर कीटनाशक फेंका गया है, वहीं से होकर बड़ेकनेरा मुख्य मार्ग गुजरता है, जहां से रोजाना बड़ी संख्या में वाहन और ग्रामीणों की आवाजाही होती है। कीटनाशकों की दुर्गंध इतनी तीव्र है कि राहगीरों का गुजरना मुश्किल हो गया है। यह नाला नारंगी नदी की सहायक धारा है, जो आगे इंद्रावती नदी में जाकर मिलती है। ऐसे में इस प्रदूषण का प्रभाव स्थानीय जल स्रोतों से होते हुए व्यापक स्तर पर फैल सकता है।

स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि यह स्थिति पिछले पंद्रह दिनों से जस की तस बनी हुई है।

कृषि विभाग के उप संचालक डीपी टांडे ने मामले में जांच के बाद दोषियों के विरुद्ध कार्रवाई की बात कही है, लेकिन अब तक कीटनाशक को मौके से हटाने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया हैं। कीटनाशक के खुले में पड़े रहने से न केवल आसपास की भूमि विषैली हो रही है, बल्कि वन्यजीव और मवेशी भी खतरे में हैं।

 कोकोड़ी गांव के पूर्व सरपंच एवं सर्व आदिवासी समाज के जिला सचिव जीवन लाल नाग ने इस मामले को लेकर गहरी नाराजगी जताई है। उन्होंने कहा कि आदिवासी समाज सदियों से जल, जंगल और जमीन की रक्षा के लिए संघर्ष करता आया है, परंतु इस प्रकार की लापरवाही पर्यावरण और जनजीवन दोनों के लिए गंभीर संकट उत्पन्न करती है। उन्होंने मांग की है कि इस घटना को पर्यावरण सुरक्षा अधिनियम के अंतर्गत लेकर दोषियों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की जाए।

उनका आरोप है कि विभागीय अधिकारियों की निष्क्रियता के कारण ही यह स्थिति बनी हुई है और जिम्मेदार लोग अब तक बाहर हैं। बता दे कि, एक्सपायर्ड कीटनाशक अत्यधिक विषैले होते हैं। खुले में इनका पड़ा रहना मिट्टी की उर्वरता को नष्ट कर सकता है, साथ ही नाले के माध्यम से यह जल प्रदूषण को भी बढ़ावा दे सकता है, जिससे जलीय जीवों और आसपास की मानव आबादी पर भी खतरा मंडरा सकता है।

अब ग्रामीणों और सामाजिक संगठनों ने प्रशासन से मांग की है कि जल्द से जल्द इस क्षेत्र की सफाई की जाए, कीटनाशक को सुरक्षित रूप से हटाया जाए और दोषियों की पहचान कर उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाए। साथ ही यह भी आवश्यक है कि भविष्य में इस प्रकार की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो, इसके लिए निगरानी और जिम्मेदारी तय की जाए।

डीपी टांडे उप संचालक कृषि विभाग कोण्डागांव ने इस विषय को गंभीरता से लेने की बात कही है। उन्होंने बताया कि कोंडागांव के जिस भी कृषि केंद्र ने दवाइयां को सही रूप से डिस्पोज नहीं किया, उनका पताकर सीधी कार्रवाई की जाएगी।


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